National Computer Security Day: पूरे भारत में हर साल 30 नवंबर को राष्ट्रीय कम्प्यूटर सुरक्षा दिवस मनाया जाता है जिसकी शुरुआत साल 1988 से हुई थी. इस मौके पर विभिन्न कार्यक्रमों में साइबर एक्सपर्ट बताते हैं कि कम्प्यूटर इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ता कैसे अपने कम्प्यूटर, डाटा, डिवाइस आदि की सुरक्षा करें. देश का प्रत्येक व्यक्ति कम्प्यूटर के खतरों से सुरक्षित हो, उपयोग सुगमता से कर सके, जैसी जरूरी बातों के प्रति जागरूकता बढ़ाने को लेकर प्रचार-प्रसार किया जाता है. बढ़ती डिजिटल ठगी को देखते हुए ही वर्ष 2000 में केंद्र सरकार ने साइबर अपराधों पर नकेल कसने के लिए पूरे देश में ‘साइबर थाने’ स्थापित करने का निर्णय लिया था. वर्ष 2001 में, भारत का पहला ‘साइबर अपराध पुलिस स्टेशन’ बेंगलुरु में बना.
बेंगलुरु को आईटी हब कहा जाता है, जहां तकनीक के जरिए चोरी हुए डेटा को आसानी से साइबर एक्सपर्ट पुलिस के सहयोग से एकत्र कर सकते हैं. पुलिस विभाग में अब साइबर अपराधों से जुड़े मामलों की जांच टीमें अलग से होती हैं जिनमें जांचकर्ताओं द्वारा कम्प्यूटर, विज्ञान, कानून और जांच तकनीकों का इस्तेमाल करके साक्ष्य इकट्ठा कर संदिग्धों की पहचान की जाती है.
साइबर क्राइम से निपटने के लिए भारत सरकार ने हाल ही में कई बेहतरीन कदम उठाए हैं, जैसे भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र बनाना, संयुक्त साइबर अपराध समन्वय टीमों का गठन करना, राष्ट्रीय साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशालाएं बनाना, राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग का पोर्टल लॉन्च करना, सिटिजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम को स्थापित करना, साइबर अपराध पर जागरूकता फैलाने के लिए मोबाइल एसएमएस के माध्यम से संदेशों का प्रसार-प्रसार करना आदि.
कम्प्यूटर की सुरक्षा का मतलब होता है कम्प्यूटिंग प्रणालियों को जोखिमों और खतरों से बचाना तथा सूचना संसाधनों की उपलब्धता और गोपनीयता सुनिश्चित करना. अपने कम्प्यूटर को समय-समय पर अपडेट करते रहना चाहिए और पासवर्ड बदलते रहना चाहिए.