सिर्फ नाम बदल देने से नहीं बदलेंगे हालात?, न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी!

By विश्वनाथ सचदेव | Updated: June 30, 2025 05:20 IST2025-06-30T05:20:04+5:302025-06-30T05:20:04+5:30

सरकार ने ऐलान कर दिया है कि अब सरकारी दस्तावेजों में राज्य के बेरोजगार युवाओं को ‘रोजगार खोजने वाला युवा’ कहा जाएगा.

Just changing name not change situation unemployed youth state called job seeking youth in government documents blog Vishwanath Sachdev | सिर्फ नाम बदल देने से नहीं बदलेंगे हालात?, न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी!

सांकेतिक फोटो

Highlightsमध्य प्रदेश में दिख रहा है. वहां रातों-रात बेरोजगारी समाप्त कर दी गई है.सरकार ने बाकायदा घोषणा की है कि अब प्रदेश में कोई बेरोजगार नहीं है! मंत्री ने घोषणा कर दी है कि अब इन युवाओं को ‘आकांक्षी युवा’ कहा जाएगा.

शेक्सपियर ने भले ही कह दिया हो कि नाम में क्या रखा है, पर हकीकत तो यही है कि आपका नाम आपके चरित्र को बदलने की क्षमता रखता है. शायद इसी समझ का यह परिणाम है कि हमारी सरकारें नाम बदलने की नीति में विश्वास करती दिख रही हैं. गली-मोहल्लों के नाम बदलने से लेकर शहरों तक के नाम बदलने की देश में जैसे एक प्रतिस्पर्धा-सी चल रही है.  कोई भी राज्य इस काम में पीछे नहीं रहना चाहता. राज्य यह मानकर चलते दिख रहे हैं कि नाम बदलने की यह कवायद जादुई असर रखती है. इसी प्रवृत्ति का उदाहरण मध्य प्रदेश में दिख रहा है. वहां रातों-रात बेरोजगारी समाप्त कर दी गई है.

सरकार ने बाकायदा घोषणा की है कि अब प्रदेश में कोई बेरोजगार नहीं है! ऐसा नहीं है कि राज्य में सबको रोजगार मिल गया है.  हुआ यह है कि राज्य सरकार को बेरोजगारी की इस समस्या से निपटने का सबसे कारगर तरीका यह लग रहा है कि रोजगार की तलाश में सड़कों पर भटकते युवाओं का नाम ही बदल दिया जाए. न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी!

इसलिए सरकार ने ऐलान कर दिया है कि अब सरकारी दस्तावेजों में राज्य के बेरोजगार युवाओं को ‘रोजगार खोजने वाला युवा’ कहा जाएगा. ऐसे में युवाओं को एक अच्छा-सा नाम भी दे दिया गया है. मध्य प्रदेश के कौशल विकास मंत्री ने घोषणा कर दी है कि अब इन युवाओं को ‘आकांक्षी युवा’ कहा जाएगा.

शेक्सपियर ने भले ही कुछ भी माना या कहा हो,  हमारी सरकार यह मानती है कि बेरोजगारी शब्द युवाओं का मनोबल गिराता है, इस शब्द का अस्तित्व ही समाप्त कर दिया जाना चाहिए. अब युवाओं पर इसका नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा. उनका मनोबल बना रहेगा. इस निर्णय के परिणामस्वरूप सरकारी नौकरियों में कार्यरत युवा उच्च पद पाने की आकांक्षा रखेंगे और बेरोजगार युवा नौकरी की आकांक्षा रखेंगे.

बेरोजगारी की समस्या का इससे अच्छा भला और क्या समाधान हो सकता है? सरकारी आंकड़ों और मान्यता के अनुसार मध्यप्रदेश में ‘आकांक्षी युवाओं’ की संख्या दिसंबर 2024 में 26 लाख थी, अब यह बढ़कर 29 लाख हो गई है. सरकारी आंकड़े यह भी बताते हैं कि सन्‌ 2020 से 2024 के दौरान राज्य में 27 रोजगार मेले लगाए गए थे, इनमें तीन लाख युवाओं को रोजगार के प्रस्ताव मिले थे.

अब सरकार यह मान रही है कि बेरोजगारों का नाम बदलने से रोजगार मिलने की गति में तेजी आएगी और जल्दी ही बेरोजगारी का खात्मा हो जाएगा.  अब शायद देश के अन्य राज्य भी मध्य प्रदेश से प्रेरणा प्राप्त करेंगे और समस्याओं के समाधान का यह नाम बदलू तरीका अपनाकर देश में एक नई क्रांति लाएंगे!

किसी भी समस्या का समाधान समस्या की आंख से आंख मिलाकर उसका सामना करने से होता है, न कि यह मान लेने से कि समस्या है ही नहीं. हमें यह मानना ही होगा कि बेरोजगारी और गरीबी हमारी बहुत बड़ी समस्या है- और चुनौती भी. इस समस्या का समाधान चुनौती को स्वीकार करके ही किया जा सकता है.  

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