जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: 2019 में आर्थिक सुस्ती के कारण देश में बढ़ती गईं आर्थिक चिंताएं

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: December 29, 2019 13:03 IST2019-12-29T13:03:39+5:302019-12-29T13:03:39+5:30

गौरतलब है कि वर्ष 2019 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आर्थिक चुनौतियों का वर्ष रहा. वर्ष 2019 में देश की अर्थव्यवस्था का हर क्षेत्न मांग की कमी का सामना करते हुए दिखाई दिया.

Jayantilal Bhandari's blog: Economic worries in the country increased due to economic slowdown in 2019 | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: 2019 में आर्थिक सुस्ती के कारण देश में बढ़ती गईं आर्थिक चिंताएं

जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: 2019 में आर्थिक सुस्ती के कारण देश में बढ़ती गईं आर्थिक चिंताएं

Highlightsरियल एस्टेट, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, ऑटोमोबाइल सेक्टर में सुस्ती के हालात रहे. निर्यात में कमी, खपत में गिरावट, निवेश में कमी और अर्थव्यवस्था के उत्पादन एवं सेवा क्षेत्नों में गिरावट से भारतीय अर्थव्यवस्था संकटग्रस्त दिखाई दी. 

हाल ही में 24 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था गहरी सुस्ती के दौर में है, सरकार को तुरंत नीतिगत कदम उठाने की जरूरत है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2019 में विकास दर कमजोर रही. रोजगार के अवसर नहीं बढ़े. ऐसे में आईएमएफ ने भारत को सुझाव दिया है कि आर्थिक सुस्ती से बाहर निकलने के लिए साहसिक और तुरंत फल देने वाले कदमों की जरूरत है.

यदि हम बीते हुए वर्ष 2019 की ओर देखें तो पाते हैं कि जनवरी 2019 की शुरुआत से देश में आर्थिक सुस्ती का जो परिदृश्य था उस परिदृश्य में प्रत्येक माह यह पाया गया कि सरकार के द्वारा आर्थिक सुस्ती रोकने के प्रयासों के बाद भी आर्थिक सुस्ती बढ़ती गई. यही कारण है कि वर्ष 2019 में आर्थिक सुस्ती बढ़ने के साथ-साथ देश की आर्थिक मुश्किलें बढ़ती गईं और दिसंबर 2019 में यह पाया गया कि वर्ष 2019 में देश की विकास दर 5 फीसदी के निम्न स्तर पर पहुंच गई. 

गौरतलब है कि वर्ष 2019 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आर्थिक चुनौतियों का वर्ष रहा. वर्ष 2019 में देश की अर्थव्यवस्था का हर क्षेत्न मांग की कमी का सामना करते हुए दिखाई दिया. रियल एस्टेट, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, ऑटोमोबाइल सेक्टर में सुस्ती के हालात रहे. निर्यात में कमी, खपत में गिरावट, निवेश में कमी और अर्थव्यवस्था के उत्पादन एवं सेवा क्षेत्नों में गिरावट से भारतीय अर्थव्यवस्था संकटग्रस्त दिखाई दी. 

वर्ष 2019-20 में विकास दर संबंधी विभिन्न अध्ययन रिपोर्टो में देश की विकास दर घटने और आर्थिक संकट के विश्लेषण प्रस्तुत किए गए. ख्याति प्राप्त रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा कि सरकार का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.3 फीसदी के निर्धारित लक्ष्य से बढ़कर 3.7 फीसदी के स्तर पर पहुंच सकता है.

सरकार को नए वर्ष 2020 में वैश्विक सुस्ती के बीच निर्यात मौकों को मुट्ठियों में लेने के लिए  रणनीति के साथ आगे बढ़ना होगा. सरकार के द्वारा वर्ष 2020 में चारों श्रम संहिताओं को लागू करना होगा. सरकार को वर्ष 2020 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, बैंकिंग सेक्टर, कार्पोरेट सेक्टर, ई-कॉमर्स, ग्रामीण विकास, भूमि एवं कालेधन पर नियंत्नण से लेकर रोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी और कठोर कदम उठाने होंगे. जरूरी है कि बैंकों की बैलेंस शीट में गड़बड़ियों को दूर किया जाए और सरकारी बैंकों का संचालन बेहतर बनाया जाए. इसके अतिरिक्त गैरबैंकिंग वित्तीय कंपनियों की निगरानी बेहतर की जाए. सरकार ने सरकारी बैंकों में काफी पूंजी डाली है लेकिन संचालन सुधारों के मामले में सरकार को सुदृढ़ीकरण के अलावा कई कदम उठाने होंगे.

Web Title: Jayantilal Bhandari's blog: Economic worries in the country increased due to economic slowdown in 2019

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