ब्लॉग: कोविड महामारी के बाद तेजी से पटरी पर लौट रही अर्थव्यवस्था, पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़े ने दे दिए संकेत

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: September 2, 2022 01:12 PM2022-09-02T13:12:44+5:302022-09-02T13:14:54+5:30

हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधित मुद्दों के बावजूद विश्व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में उभरा है.

India's economy rapidly returning on track after covid epidemic, GDP figures of first quarter gave indications | ब्लॉग: कोविड महामारी के बाद तेजी से पटरी पर लौट रही अर्थव्यवस्था, पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़े ने दे दिए संकेत

तेजी से पटरी पर लौट रही भारत की अर्थव्यवस्था (फाइल फोटो)

एशिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति भारत की अर्थव्यवस्था में एक साल में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है. देश में पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 13.5 प्रतिशत बढ़ा है जो पिछली तिमाही में 4.1 प्रतिशत था. भारतीय अर्थव्यवस्था में यह बेहतरीन बढ़ोत्तरी ऐसे समय में दर्ज की गई है, जब दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं संकट के दौर से गुजर रही हैं और कई देशों में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की जा रही है. 

अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में जहां नरमी के संकेत हैं वहीं उनकी तुलना में भारत की वृद्धि दर का बेहतर होना बड़ी राहत की बात है. भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका तो वित्तीय तबाही का सामना कर रहे हैं. कहना गलत न होगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब तेजी से पटरी पर आती दिख रही है और आर्थिक विकास में बढ़ोत्तरी के संकेत भी मिल रहे हैं. 

दरअसल, वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में कोविड लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था में 23.8 फीसदी की गिरावट आई थी. माना जा रहा है कि घरेलू मांग में तेजी के चलते जीडीपी ग्रोथ रेट बढ़ा है. इस तिमाही में निवेश और खपत में तेजी देखी गई है. हालांकि यह तेजी आरबीआई के 16.2 फीसदी के अनुमान से कम है. 

कई विश्लेषकों ने तुलनात्मक आधार को देखते हुए देश की आर्थिक वृद्धि दर दहाई अंक में रहने का अनुमान जताया था. जीडीपी से आशय एक निश्चित अवधि (तिमाही या वित्त वर्ष) में देश की सीमा के भीतर उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य से है. यानी यह बताता है कि निश्चित अवधि में देश में कितने मूल्य का आर्थिक उत्पादन हुआ है. बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्त-वर्ष 2024-25 तक भारत को 5 लाख करोड़ डॉलर (5 ट्रिलियन डॉलर) की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है, हालांकि कोरोना संकट की वजह से इसमें रुकावट आ गई थी. 

फिलहाल भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 2.9 ट्रिलियन डॉलर के आसपास का है. पर अब भारत साल 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने समूचे पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत कर रहा है. इस बढ़ोत्तरी का कारण है पहली तिमाही में खपत का बढ़ना. खपत बढ़ने से संकेत मिलता है कि खासकर सेवा क्षेत्र में घरेलू मांग पटरी पर आ रही है. 

महामारी के असर के कारण दो साल तक विभिन्न पाबंदियों के बाद अब लोग खर्च के लिए बाहर आ रहे हैं. सेवा क्षेत्र में तेजी देखी जा रही है और आने वाले महीनों में त्यौहारों के दौरान इसे और गति मिलने की उम्मीद है. हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक विनिर्माण क्षेत्र की धीमी वृद्धि दर और निर्यात के मुकाबले आयात का अधिक होना भी चिंताजनक है. 

राहत की बात है कि जीडीपी आंकड़ा बेहतर होने से अब रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को काबू में लाने पर ध्यान दे सकेगा. इससे वैश्विक निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और देश में निवेश आकर्षित करने में मदद मिल सकती है. इस बीच आर्थिक गतिविधियों पर नजर रखने वाली संस्था ‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी’ ने बेरोजगारी दर में कमी आने का भी दावा किया है. 

हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधित मुद्दों के बावजूद विश्व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में उभरा है. अनुमान लगाया जा रहा है कि भारतीय अर्थव्यस्था अगले दो दशकों में तेजी से आगे बढ़ती रहेगी और भारत अगले 20 साल में दुनिया की टॉप-3 इकोनॉमी में शामिल होगा. 

Web Title: India's economy rapidly returning on track after covid epidemic, GDP figures of first quarter gave indications

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