जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: लडखड़ाती वैश्विक अर्थव्यवस्था के बीच मजबूत होता भारत

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: September 2, 2023 02:49 PM2023-09-02T14:49:38+5:302023-09-02T14:51:14+5:30

दुनिया की वित्तीय एजेंसियां टिप्पणी कर रही हैं कि 4 दशक से विकास कर रहे चीन के लिए अब अवसान का समय आ गया है. जहां चीन में इस समय मुद्रा संकुचन (मनी डिफ्लेशन) की स्थिति है वहीं अमेरिका में मुद्रा स्फीति (मनी इनफ्लेशन) की स्थिति है.

India would have been strong in the midst of a faltering global economy | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: लडखड़ाती वैश्विक अर्थव्यवस्था के बीच मजबूत होता भारत

फाइल फोटो

Highlightsवैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए 2023 में लगभग 2.5 प्रतिशत की वृद्धि दर संभावित की गई है.यह अगले वर्ष 2024 में और घटकर 2.4 फीसदी रह सकती है. अमेरिका मार्च 2022 से अब तक 11 बार ब्याज दरों में इजाफा करने के बाद भी मुद्रास्फीति का सामना कर रहा है.

इन दिनों प्रकाशित हो रही वैश्विक आर्थिक संगठनों की रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि लड़खड़ाती वैश्विक अर्थव्यवस्था के बीच भारत मजबूत स्थिति में है. हाल ही में 31 अगस्त को प्रकाशित राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल से जून 2023 की तिमाही में भारत की विकास दर 7.8 फीसदी रही, जो दुनिया में सर्वाधिक है.

गौरतलब है कि 23 अगस्त को प्रकाशित एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक इस समय लड़खड़ाती हुई वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भयावह काले बादल छाए हुए हैं. वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए 2023 में लगभग 2.5 प्रतिशत की वृद्धि दर संभावित की गई है. यह अगले वर्ष 2024 में और घटकर 2.4 फीसदी रह सकती है. 

यदि हम वैश्विक परिदृश्य को देखें तो पाते हैं कि पिछले वर्ष के दौरान तेजी से मौद्रिक नीति सख्त होने से वैश्विक आवास, बैंक ऋण और औद्योगिक क्षेत्र में कमजोरी आई है. स्पष्ट है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के हालात चुनौतीपूर्ण हैं. चीन, अमेरिका और जापान जैसी अर्थव्यवस्थाओं से भी चिंताजनक संदेश हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन की अर्थव्यवस्था को एक ऐसे टाइम बम की संज्ञा दी है जो कभी भी फट सकता है. 

उन्होंने यह भी कहा कि जब बुरे लोगों को दिक्कत होती है तो वे बुरे काम करते हैं. दुनिया की वित्तीय एजेंसियां टिप्पणी कर रही हैं कि 4 दशक से विकास कर रहे चीन के लिए अब अवसान का समय आ गया है. जहां चीन में इस समय मुद्रा संकुचन (मनी डिफ्लेशन) की स्थिति है वहीं अमेरिका में मुद्रा स्फीति (मनी इनफ्लेशन) की स्थिति है. अमेरिका मार्च 2022 से अब तक 11 बार ब्याज दरों में इजाफा करने के बाद भी मुद्रास्फीति का सामना कर रहा है. अमेरिका असाधारण ऋण से भी गुजर रहा है. 

पिछले तीन वर्षों में उसके कर्ज में करीब 8 लाख करोड़ डॉलर का इजाफा भी हुआ. परिणामस्वरूप रेटिंग एजेंसी फिच ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग को घटा दिया है. जापान में भी हालात अच्छे नहीं हैं. वहां मुद्रास्फीति बढ़ी हुई है. जापान में इसके लिए खाद्यान्न, ईंधन और टिकाऊ वस्तुओं की ऊंची कीमतें उत्तरदायी हैं. डॉलर के मुकाबले येन की कीमत में भारी गिरावट आई है.

यद्यपि दुनियाभर में भारत सबसे आकर्षक अर्थव्यवस्था वाले देश के रूप में रेखांकित हो रहा है, लेकिन हमें देश की नई लॉजिस्टिक नीति 2022 और गति शक्ति योजना की अभूतपूर्व रणनीतियों से भारत को आर्थिक प्रतिस्पर्धी देश के रूप में तेजी से आगे बढ़ाना होगा. शोध और नवाचार पर व्यय बढ़ाया जाना होगा. दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी वाले भारत को युवाओं को डिजिटल कारोबार के दौर की और नई तकनीकी योग्यताओं से सुसज्जित करना होगा.

Web Title: India would have been strong in the midst of a faltering global economy

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