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ब्लॉगः विनिर्माण में चीन को पीछे छोड़ सकता है भारत, विश्वपटल पर नए आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरा

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: October 28, 2022 15:17 IST

दुनियाभर में तेजी से बदलती हुई यह धारणा भी भारत के लिए लाभप्रद है कि भारत गुणवत्तापूर्ण और किफायती उत्पादों के निर्यात के लिहाज से एक बढ़िय़ा प्लेटफॉर्म है। साथ ही भारत सस्ती लागत और कार्य कौशल के मद्देनजर विनिर्माण में चीन को पीछे छोड़ सकता है।

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यकीनन पिछले दो वर्षों की कोरोना काल की निराशाओं के बाद इस वर्ष 2022 की दीपावली उत्साह, उमंग और अच्छे कारोबार की दीपावली रही है। 22 अक्तूबर को धनतेरस के दिन प्रधानमंत्री मोदी ने 75 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपे तथा आगामी एक वर्ष में 10 लाख नौकरियां देने का लक्ष्य रखा है। देश में उद्योग, कृषि एवं सेवा क्षेत्र में हर जगह लाभ और समृद्धि के संकेत मिल रहे हैं। आगामी वर्ष में रियल इस्टेट और सोने में करीब 15-16 फीसदी तक रिटर्न की संभावनाएं प्रस्तुत की जा रही हैं।

इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि वर्ष 2022 में वैश्विक मंदी की चुनौतियों के बीच भारत से निर्यात तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोत्तरी हुई है। 13 अक्तूबर को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि गरीबों और किसानों के सशक्तिकरण के मद्देनजर भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा वर्ष 2014 से लागू की गई प्रत्यक्ष नगद हस्तांतरण (डीबीटी) योजना एक चमत्कार की तरह है। इससे सरकारी योजना का फायदा सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंच रहा है।

इन दिनों प्रकाशित हो रही विभिन्न वैश्विक आर्थिक एवं वित्तीय संगठनों की रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और चीन की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट के बीच आर्थिक मंचों पर चीन प्लस वन के विचार-विमर्श में दुनिया के नए आपूर्तिकर्ता देश के रूप में भारत का नाम उभरकर सामने आ रहा है। दुनिया के अर्थविशेषज्ञों के द्वारा भारत को चायना प्लस वन के रूप में चिन्हित किए जाने के कई प्रमुख आधार उभरकर दिखाई दे रहे हैं। चीन में कार्यरत अमेरिका सहित विभिन्न यूरोपीय व अन्य देशों की कई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां चीन से निकलकर भारत के दरवाजे पर तेजी से दस्तक दे रही हैं। दुनियाभर में तेजी से बदलती हुई यह धारणा भी भारत के लिए लाभप्रद है कि भारत गुणवत्तापूर्ण और किफायती उत्पादों के निर्यात के लिहाज से एक बढ़िय़ा प्लेटफॉर्म है। साथ ही भारत सस्ती लागत और कार्य कौशल के मद्देनजर विनिर्माण में चीन को पीछे छोड़ सकता है। भारत की करीब 50 फीसदी आबादी 25 वर्ष से कम उम्र की है और इसकी एक बड़ी संख्या कौशल प्रशिक्षण और तकनीकी व पेशेवर दक्षताओं से सुसज्जित होकर मैन्युफैक्चरिंग हब की शक्ति बनते हुए दिखाई दे रही है।

इस समय देश में आत्मनिर्भर भारत अभियान और उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) की तेजगति दिखाई दे रही है। पीएलआई स्कीम के तहत 14 उद्योगों को करीब दो लाख करोड़ रुपए आवंटन के साथ प्रोत्साहन सुनिश्चित किए हैं।

टॅग्स :चीनइकॉनोमीभारत
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