Electric vehicles In India: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है. प्रदूषण को कम करने में सहायक माने जाने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों पर करों में शत-प्रतिशत छूट देकर दक्षिणी राज्य तेलंगाना ने अन्य प्रदेशों को भी ऐसा ही कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है. प्रदूषण की गंभीर समस्या पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बीच एक अच्छी खबर यह भी आ रही है कि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में तेजी से वृद्धि होती जा रही है. देश के 26 राज्यों द्वारा बनाई गई इलेक्ट्रिक वाहन नीति तथा केंद्र सरकार द्वारा करों में दी जा रही रियायतों के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं.
इस बात की पूरी संभावना है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री खासकर ईवी दोपहिया वाहनों का बाजार अगले दस वर्षों में पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों के बराबर हो जाएगा. अभी जो उत्साहवर्धक बाजार बना है, उससे तो यह लगता है कि पेट्रोल से चलने वाले दोपहिया तथा तीनपहिया वाहनों की बिक्री इलेक्ट्रिक वाहनों के मुकाबले सन् 2035 तक कम हो जाएगी.
इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार बढ़ाने की दिशा में धीरे-धीरे केंद्र तथा राज्य स्तरों पर कदम उठाए जा रहे हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण की लागत ज्यादा होने से उनकी कीमत अधिक है. इस मोर्चे पर ईवी निर्माता कंपनियों को खास ध्यान देना होगा. एक बात तय है कि भविष्य इलेक्ट्रिक वाहनों का है और वायु प्रदूषण जैसी जानलेवा समस्या पर काबू पाने के लिए कार्बन उत्सर्जन को कम करने का उद्देश्य हासिल करने की खातिर इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर देने का प्रयास सभी को करना होगा. तेलंगाना सरकार ने इस दिशा में महत्वपूर्ण पहल की है.
तेलंगाना सरकार की नई ईवी नीति के मुताबिक अगर राज्य का कोई निवासी इलेक्ट्रिक वाहन खरीदता है तो उसे उस पर किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं देना होगा. इससे राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में उल्लेखनीय कमी होने की संभावना है. केंद्र सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी को घटाकर पहले ही पांच प्रतिशत कर चुकी है.
इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए प्राप्त बैंक ऋण पर डेढ़ लाख तक के ब्याज की अदायगी पर आयकर में रियायत मिलती है. देश के 26 राज्यों ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर जो नीति बनाई है, उसमें ईवी पर करों में विभिन्न तरह की रियायतें दी गई हैं. ईवी को कई राज्यों ने रोड टैक्स से भी छूट दे दी है. इन कदमों के अच्छे नतीजे सामने आने लगे हैं.
देश में इस वर्ष मई में ईवी की बिक्री में 20.65 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी जो जुलाई में बढ़कर 55.2 प्रतिशत पर पहुंच गई. अक्तूबर-नवंबर के त्यौहारी मौसम में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री ने डीजल-पेट्रोल वाहनों को बराबर की टक्कर दी. पिछले वर्ष अक्तूबर-नवंबर में जितने ईवी देश में बिके, उससे 67 प्रतिशत ज्यादा ईवी इस साल के त्यौहारी मौसम में बिके.
दोपहिया वाहनों के बाजार में दोपहिया ईवी की हिस्सेदारी पिछले वर्ष के 4.3 प्रतिशत से बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई. चारपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में वृद्धि की रफ्तार दोपहिया ईवी की तुलना में कम है. चारपहिया ईवी की कीमत विभिन्न कर रियायतों तथा प्रोत्साहनों के बावजूद हाइब्रिड चारपहिया वाहनों से ज्यादा है.
इसके अलावा उनके रखरखाव को लेकर भी कुछ समस्याएं हैं जिन्हें दूर करने के लिए ईवी निर्माता कंपनियों को मेहनत और शोध करनी पड़ेगी. सबसे बड़ी समस्या चार्जिंग को लेकर है. चारपहिया ईवी से वर्तमान में लंबी दूरी की यात्रा करना मुश्किल काम है क्योंकि चार्जिंग स्टेशन बहुत कम हैं और वहां वाहन को चार्ज करने में बहुत समय लगता है.
चार्जिंग को लेकर दो मोर्चों पर युद्धस्तर पर काम करना पड़ेगा. पहला यह कि पेट्रोल पंपों की तरह ही हर कुछ मील पर चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध हो और दूसरा यह कि ऐसी तकनीक विकसित की जाए, जिससे चार्जिंग की अवधि घंटों से घटकर मिनटों पर आ जाए. प्रदूषण कम करने की दिशा में पेट्रोल और डीजल के वाहनों के विकल्प के रूप में इलेक्ट्रिक वाहन सबसे उपयोगी साबित हुए हैं.
पिछले एक दशक में दुनियाभर में ईवी का उपयोग तेजी से बढ़ा है. ईवी बनाने वाली कंपनियां निरंतर अनुसंधान कर ईवी को बेहतर तथा किफायती बनाने की दिशा में प्रयास कर रही हैं. इस मामले में उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली है लेकिन कुछ उत्साहवर्धक नतीजे जरूर सामने आए हैं. इससे उम्मीद बंधी है कि ईवी की उत्पादन लागत और चार्जिंग के समय में उल्लेखनीय कमी आएगी.