लाइव न्यूज़ :

भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: मुफ्त में अगर कुछ बांटना है तो शिक्षा बांटिए

By भरत झुनझुनवाला | Updated: January 26, 2022 15:37 IST

चुनाव के इस माहौल में अगर कुछ बांटना है तो शिक्षा को मुफ्त में बांटा जा सकता है। यदि युवाओं को मुफ्त साइकिल और लैपटॉप वितरित करने के स्थान पर मुफ्त शिक्षा वितरित की जाए तो वे साइकिल और लैपटॉप स्वयं खरीद लेंगे और आजीवन अपनी जीविका भी चला सकेंगे।

Open in App
ठळक मुद्देवर्ष 2016-17 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में प्रति छात्न 25000 रुपए प्रतिवर्ष खर्च किए जा रहे थे। नेशनल सैंपल सर्वे के अनुसार लगभग 60 प्रतिशत बच्चे वर्तमान में सरकारी विद्यालयों में जा रहे हैं।

चुनाव के इस माहौल में मुफ्त बंटवारे के वादे करने की होड़ मची हुई है। कोई साड़ी बांटता है, कोई साइकिल, कोई लैपटॉप और कोई मुफ्त में बस यात्ना। यहां तक कि कहीं-कहीं तो शराब भी मुफ्त बांटने की बात की जा रही है। शराब छोड़कर इस मुफ्त बंटवारे का मैं स्वागत करता हूं क्योंकि कम से कम जनता को पांच साल में एक बार ही सही, कुछ तो हासिल हो। सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी जैसी नीतियां लागू कर जनता के रोजगार और धंधे को पस्त कर दिया है।

मेरा सुझाव है कि शिक्षा को ही मुफ्त बांट दीजिए तो जनता भी सुखी हो जाएगी और पार्टी को संभवत: जीत भी हासिल हो जाए? यदि हम युवाओं को मुफ्त साइकिल और लैपटॉप वितरित करने के स्थान पर मुफ्त शिक्षा वितरित कर दें तो वे साइकिल और लैपटॉप स्वयं खरीद लेंगे और आजीवन अपनी जीविका भी चला सकेंगे। जनता में अंग्रेजी शिक्षा की गहरी मांग है। शहरों में घरों में काम करने वाली सहायिकाओं द्वारा भी अपने बच्चों को 1500 से 2000 रुपए प्रतिमाह की फीस देकर अच्छी अंग्रेजी के लिए प्राइवेट स्कूल में भेजने का प्रयास किया जाता है। 

वे अपनी आय का लगभग तिहाई हिस्सा बच्चों की फीस देने में व्यय कर देती हैं। इससे प्रमाणित होता है कि शिक्षा की मांग है लेकिन अच्छी शिक्षा खरीदने की उनकी क्षमता नहीं है। दिल्ली की आप सरकार ने सरकारी शिक्षा में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं लेकिन इसके बावजूद सरकारी विद्यालयों के हाईस्कूल में 72 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए जबकि प्राइवेट स्कूलों में 93 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। दूसरे राज्यों में सरकारी विद्यालयों की स्थिति बहुत अधिक दुरूह है जबकि इन पर सरकार द्वारा भारी खर्च किया जा रहा है। इस विषय पर उत्तर प्रदेश का उदाहरण रखना चाहूंगा।

वर्ष 2016-17 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में प्रति छात्न 25000 रुपए प्रतिवर्ष खर्च किए जा रहे थे। वर्तमान वर्ष 2021-22 में यह रकम लगभग 30000 रुपए हो गई होगी। इसमें भी सरकारी विद्यालयों में तमाम दाखिले फर्जी किए जा रहे हैं। बिहार के एक अध्ययन में 9 जिलों में 4.3 लाख फर्जी विद्यार्थी सरकारी विद्यालयों में पाए गए। इन फर्जी दाखिलों को दिखाकर स्कूल के कर्मचारी मध्याह्न् भोजन और यूनिफॉर्म इत्यादि की रकम को हड़प जाते हैं। 

किसी अन्य आकलन के अभाव में हम मान सकते हैं कि 20 प्रतिशत विद्यार्थी फर्जी दाखिले के माध्यम से दिखाए जाते होंगे। इन्हें काट दें तो उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रति सच्चे विद्यार्थी पर 37000 रुपए प्रति वर्ष खर्च किया जा रहा है। नेशनल सैंपल सर्वे के अनुसार लगभग 60 प्रतिशत बच्चे वर्तमान में सरकारी विद्यालयों में जा रहे हैं। अत: यदि इस 37000 रुपए प्रति सच्चे छात्न की रकम को प्रदेश के सभी छात्नों यानी सरकारी एवं प्राइवेट स्कूल दोनों में पढ़ने वाले छात्नों में वितरित किया जाए तो प्रत्येक छात्न पर उत्तर प्रदेश सरकार लगभग 20000 रु प्रति वर्ष खर्च कर रही है।

सुझाव है कि चुनाव के इस समय पार्टियां वादा कर सकती हैं कि इस 20000 की रकम में से 12000 रुपए प्रदेश के सभी छात्नों को मुफ्त वाउचर के रूप में दे दिया जाएगा। इस वाउचर के माध्यम से वे अपने मनचाहे विद्यालय में फीस अदा कर सकेंगे। यह 12000 रुपए प्रति वर्ष प्रति छात्न सरकारी शिक्षकों के वेतन में से सीधे कटौती करके दिया जा सकता है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि सरकारी अध्यापकों का वेतन वास्तव में कम हो जाएगा। वे अपने विद्यालय को आकर्षक बनाकर पर्याप्त संख्या में छात्नों को आकर्षित करेंगे तो वे अपने वेतन में हुई इस कटौती की भरपाई वाउचर से मिली रकम से कर सकते हैं। जैसे वर्तमान में तमाम विश्वविद्यालयों में सेल्फ फाइनेंसिंग कोर्स चलाए जा रहे हैं। 

इन कोर्सों में छात्न द्वारा भारी फीस दी जाती है जिससे पढ़ाने वाले अध्यापकों के वेतन का पेमेंट किया जाता है। ऐसा करने से सरकारी तथा निजी दोनों प्रकार के विद्यालयों को लाभ होगा। सरकारी विद्यालयों के लिए अनिवार्य हो जाएगा कि वे अपनी शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाएं जिससे कि वे पर्याप्त संख्या में छात्नों को आकर्षित कर सकें, उनके वाउचर हासिल कर सकें और अपने वेतन में हुई कटौती की भरपाई कर सकें। प्राइवेट विद्यालयों के लिए भी यह लाभप्रद हो जाएगा क्योंकि उनमें दाखिला लेने वाले छात्न 1000 रुपए प्रति माह की फीस इन वाउचरों से अदा कर सकते हैं और शेष फीस वह अपनी आय से दे सकते हैं।

टॅग्स :विधानसभा चुनाव 2022उत्तर प्रदेशAam Aadmi Partyजीएसटी
Open in App

संबंधित खबरें

क्राइम अलर्टट्रेन का इंतजार कर रही थी, खाली डिब्बे में ले जाकर 22 वर्षीय महिला के साथ 42 वर्षीय सेना का जवान ने किया रेप, चीख-पुकार सुनकर दौड़े और...

भारतSIR 2026 Voter List: एड्रेस बदलने की वजह से नहीं भर पा रहे SIR फॉर्म? इन डॉक्यूमेंट्स से बन जाएगा काम

क्राइम अलर्ट9 अप्रैल को 12 वर्षीय लड़की का अपहरण कर बलात्कार, 8 माह बाद 19 दिसंबर को बिहार के शिवहर से शिवम कुमार पटेल अरेस्ट

भारतबृहन्मुंबई महानगरपालिका 2026ः सभी 227 सीट पर चुनाव, 21 उम्मीदवारों की पहली सूची, देखिए पूरी सूची

भारतVIDEO: सपा सांसद जया बच्चन का सरकार पर गंभीर आरोप, देखें वायरल वीडियो

कारोबार अधिक खबरें

कारोबारPetrol Diesel Price Today: दिल्ली से लेकर मुंबई तक अपडेट हो गए पेट्रोल और डीजल के दाम, बस एक क्लिक से करें चेक

कारोबारखाद्य सब्सिडी बढ़ी, नहीं घटी किसानों की चिंता

कारोबारविपक्ष फ्रस्ट्रेशन में हैं, कुछ भी बयान देते हैं, सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा-जनता ने कांग्रेस की नीतियों को पूरी तरह से नकार दिया

कारोबारगृह मंत्री की डेड लाइन से पहले हमने खत्म कर दिया नक्सलवाद, नक्सलियों के पास थे पाकिस्तानी सेना जैसे हथियार?, सीएम मोहन यादव ने विधानसभा में रखे विचार

कारोबारस्वास्थ्य क्षेत्र में 42000 नई नौकरी, मुख्यमंत्री यादव ने विधान सभा पटल पर रखा पक्ष