अश्विनी महाजन का ब्लॉगः विकास के आंकड़ों का हेरफेर
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 21, 2018 14:58 IST2018-12-21T14:58:07+5:302018-12-21T14:58:07+5:30
कांग्रेस का यह आरोप है कि नीति आयोग ने जानबूझकर ग्रोथ को कमतर आंकते हुए पूर्व की यूपीए सरकार की उपलब्धि को कम दिखाने की कोशिश की है.

अश्विनी महाजन का ब्लॉगः विकास के आंकड़ों का हेरफेर
अश्विनी महाजन
जीडीपी के आंकड़े एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गए हैं. जीडीपी से हमारा अभिप्राय होता है देश के भौगोलिक क्षेत्र में अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य. 28 नवंबर को नीति आयोग और केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) द्वारा वर्ष 2005 से 2012 के बीच के वर्षो के लिए ग्रोथ के पुनर्कलित आंकड़े प्रकाशित किए गए हैं. इन नए आंकड़ों के अनुसार इस दौरान औसत ग्रोथ की दर मात्र 6.82 प्रतिशत बताई गई है. गौरतलब है कि वर्ष 2005 से 2012 के बीच यूपीए की सरकार थी और पूर्व में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार इस दौरान जीडीपी की ग्रोथ इससे कहीं ज्यादा, 7.75 प्रतिशत दिखाई गई थी. कांग्रेस का यह आरोप है कि नीति आयोग ने जानबूझकर ग्रोथ को कमतर आंकते हुए पूर्व की यूपीए सरकार की उपलब्धि को कम दिखाने की कोशिश की है.
गौरतलब है कि वर्तमान सरकार के आने से पहले 2004-05 के आधार वर्ष के अनुसार जीडीपी का आकलन किया जाता था. जीडीपी हो या राष्ट्रीय आय, इनकी गणना को बेहतर बनाने की दृष्टि से समय-समय पर आधार वर्ष और गणना की पद्धतियों में बदलाव होता रहता है. यदि आधार वर्ष बहुत पुराना हो जाए तो राष्ट्रीय आय की गणना और विभिन्न वर्षो के बीच उसकी तुलना करना मुश्किल होता है.
यही नहीं अर्थव्यवस्था में होने वाले बदलावों के कारण जीडीपी और राष्ट्रीय आय के मापन की पद्धति में भी बदलाव अपेक्षित होता है. इसीलिए पूर्व के 2004-05 के अनुसार जीडीपी और राष्ट्रीय आय के मापन में बदलाव करते हुए, वर्ष 2011-12 को आधार वर्ष रखते हुए वर्ष 2011-12 से एक नई श्रृंखला बनाई गई. राष्ट्रीय आय के मापन की विधि में भी व्यापक फेर-बदल किए गए. इन फेर-बदलों के बाद 2004-05 के आधार वर्ष के जीडीपी के आंकड़ों और 2011-12 के आधार वर्ष के आधार पर जीडीपी के आंकड़ों में व्यापक अंतर दिखाई दिया. इसके चलते एनडीए शासन के दौरान जीडीपी की ग्रोथ की दर यूपीए शासन के दौरान 2011-12 से 2013-14 के बीच की ग्रोथ की दर से बेहतर दिखाई देती है. आधार वर्ष में यह बदलाव 2015 में किया गया था. इसके अनुसार 2014-15 की ग्रोथ की दर 7.3 प्रतिशत आंकी गई थी.
पहली बार है कि नीति आयोग जीडीपी आंकड़ों के आकलन में शामिल हुआ है. गौरतलब है कि 28 नवंबर 2018 को नए आंकड़े भारत के मुख्य सांख्यिकीविद के साथ मिलकर नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने जारी किए थे. नीति आयोग के उपाध्यक्ष के बारे में कांग्रेस का कहना है कि उन्होंने राजनीतिक कारणों से इन आंकड़ों को प्रभावित किया है. प्रश्न यह भी है कि क्या नीति आयोग की राष्ट्रीय आय की गणना में कोई भूमिका है? पूर्व सांख्यिकीविद प्रणव सेन का कहना सही लगता है कि नीति आयोग को इससे अलग रखकर इस विवाद से बचा जा सकता था.