लता मंगेशकरः धड़कता था दिल-ए-हिंदोस्तां आवाज में तेरी

By अनिल शर्मा | Published: February 7, 2022 07:32 AM2022-02-07T07:32:17+5:302022-02-07T09:18:41+5:30

महान गायिका लता मंगेशकर का निधन 6 फरवरी, 2022 को हो गया। वे कोरोना संक्रमित होने के बाद से ही बीमार चल रही थीं और करीब एक महीने से अस्पताल में भर्ती थीं।

Lata Mangeshkar: life, journey and how her voice become identity of India | लता मंगेशकरः धड़कता था दिल-ए-हिंदोस्तां आवाज में तेरी

लता मंगेशकर की गायिकी को सलाम (फाइल फोटो)

सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर 6 फरवरी को दुनिया से रुख्सत कर गईं।  28 अक्तूबर, 1929 को मराठी के सुप्रसिद्ध अभिनेता तथा गायक दीनानाथ मंगेशकर के यहां जन्मीं लता काफी मुश्किलों का सामना करते हुए लोकप्रियता के शीर्ष पर पहुंचीं।

पिता के निधन के बाद भाई, बहनों तथा विधवा माता के पालन-पोषण का भार उनके कंधों पर आ गया। उस वक्त उनकी उम्र महज तेरह साल थी। गुरु से अधिक अपने पिता के समीप रहकर उन्होंने जो कुछ सीखा, उसी के बलबूते उन्हें अपनी गायन कला का विकास और परिष्कार करने का अवसर मिला।

लता की अलौकिक आवाज थी। इस आवाज के दुनिया पर कितने ही अहसान हैं। आधी शताब्दी से भी अधिक समय तक जनमन पर सतत प्रभुत्व रखना आसान काम नहीं होता। लेकिन लता तो लता थीं। उनकी मकबूलियत उम्र की बंदिशों और सरहदों में जकड़ी नहीं थी। अमेरिका से लेकर अमरावती तक, गांव-देहात से लेकर शहरों के आलीशान बंगलों में रहनेवालों तक, एक सामान्य से श्रोता से लेकर दिग्गज संगीतज्ञ तक उन्मुक्त भाव से उनके स्वरों में भीगते थे। 

शास्त्रीय संगीत के दिग्गज भी लता की आवाज सुन मंत्रमुग्ध हो जाते थे

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू लता के स्वर में शहीदों को श्रद्धासुमन रूप में गाए गए हृदय द्रावक गीत 'ए मेरे वतन के लोगों' के बोलों को सुनकर 26 जनवरी, 1963 के दिन वे रो पड़े थे। गीत खत्म होने के बाद उन्होंने लता से कहा था, 'बेटी, आज तूने मुझे रुला दिया।'  

शास्त्रीय संगीत के दिग्गज कुमार गंधर्व भी पहली बार रेडियो पर उनकी आवाज सुन मंत्रमुग्ध हो गए थे। और लता के साथ संगति की इच्छा जगा बैठे। लता के 'आएगा आने वाला' गीत सुनकर उन्होंने कहा था- तानपुरे से निकलनेवाला गंधार शुद्ध रूप में सुनना चाहो तो लता का गीत सुनो।

लता की आवाज से सम्मोहित होकर उस्ताद बड़े गुलाम अली खां तो अपना राग यमन ही भूल गए थे। वह लता की आवाज के जादू से इस कदर मोहित होते की तारीफ में कहते- 'कम्बख्त, कभी बेसुरी नहीं होती। लता का फन अल्लाह की देन है।'  

शालीन, विनम्र तथा संगीत के लिए पूर्ण समर्पित लतादी के मन में अपने अग्रज गायकों के प्रति सम्मान का भाव रहा तो अपने समकालीन हमसफर गायकों को उन्होंने भरपूर स्नेह तथा आदर दिया। अपने से कनिष्ठ गायक-गायिकाओं को उनका आशीर्वाद सदा सुलभ रहा है। नूरजहां से जहां उनका संबंध बहन जैसा रहा वहीं मुकेश कुमार को वह अपना बड़ा भाई मानती थीं और उन्हें राखी बांधती थीं। मोहम्मद रफी और किशोर कुमार से भी उनका काफी लगाव रहा। उन्होंने रफी के साथ सबसे ज्यादा युगल गीत गाएं। 

'बड़ी होकर मैं सहगल से शादी करूंगी'

लतादी ने पार्श्वगायन के क्षेत्र में जिस समय प्रवेश किया था, उस समय  कुंदन लाल सहगल ( के. एल. सहगल), पंकज मलिक, कोकिलकंठी कानन तथा खनकती आवाज की मलिका नूरजहां के चर्चे थे। हालांकि इनमें से अधिकांश सुरों की दुनियां से विदा ले चुके थे। 1947 के आरंभ में सहगल स्वर्ग सिधार गए वहीं नूरजहां ने पाकिस्तान की नागरिकता स्वीकार कर ली थी।

सहगल के जादूभरे गीतों से लता किशोरावस्था से ही मोहित थीं। सहगल का प्रसिद्ध गीत- 'मैं क्या जानूं क्या जादू है' को वह हर खास मौकों पर गाती थीं। यही नहीं सहगल की फिल्म 'चंडीदास' को उन्होंने तब देखा था जब वह मात्र छह साल की बच्ची थीं। तब उन्होंने घर आकर ऐलान कर दिया था कि 'बड़ी होकर मैं सहगल से शादी करूंगी।' हालांकि सहगल के जीते जी लता की उनसे मुलाकात कभी नहीं हुई। 

सहगल की मृत्यु की खबर सुन बेच दिया था नया रेडियो

किस्सा है कि जनवरी 1947 में लता ने अपनी कमाई की राशि (सवा पांच सौ रुपयों) से एक रेडियो सेट खरीदा था जिसकी तमन्ना उनको बहुत दिनों से थी। घर आने के बाद उन्होंने ज्यों ही रेडियो ऑन किया और जो पहली आवाज सुनाई पड़ी, वह सहगल के निधन का समाचार था।

सहगल की मृत्यु 18 जनवरी, 1947 को हुई थी। जिस गायक को वह अपना आदर्श मानती थीं उसकी मौत की खबर देनेवाले रेडियो सैट को लता ने अपशगुन समझा और दूसरे ही दिन कम पैसों में उसे बेच दिया। अपने आदर्श की मृत्यु से आहत होनेवालीं लता आज अपने चाहनेवालों को आहत कर गईं। विदा हो गईं अपनी आवाज और पहचान को छोड़े। संगीतकार नौशाद ने कभी इन पंक्तियों से लता की गायिकी को सलाम किया था- 'सुनी सबने मोहब्बत की जबां आवाज में तेरी, धड़कता है दिल-ए-हिंदोस्तां आवाज में तेरी।

Web Title: Lata Mangeshkar: life, journey and how her voice become identity of India

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