बिहार के समस्तीपुर में कर्ज चुकाने के लिए गरीब को बेचना पड़ा खून

By एस पी सिन्हा | Published: July 1, 2023 07:39 PM2023-07-01T19:39:45+5:302023-07-01T19:42:00+5:30

खेती से हो रही आमदनी से पूरे परिवार का पेट पालना भी मुश्किल था। बैंक का लोन चुकाना तो दूर की बात थी। परिवार पर लोन की किश्त जमा करने के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा था। 

In Bihar's Samastipur, the poor had to sell blood to repay the loan | बिहार के समस्तीपुर में कर्ज चुकाने के लिए गरीब को बेचना पड़ा खून

बिहार के समस्तीपुर में कर्ज चुकाने के लिए गरीब को बेचना पड़ा खून

Highlightsगरीब परिवार शुक्रवार को अपना खून बेचने के लिए सदर अस्पताल के ब्लड बैंक पहुंचा थागुलनाज देवी ने किसानी-खेती के लिए स्वयं सहायता समूह के जरिए एक बैंक से 35 हजार रुपये कर्ज लिया थापरिवार पर लोन की किश्त जमा करने के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा था

पटना: जुलाई बिहार के समस्तीपुर से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां गरीबी और लाचारी से जूझ रहा एक परिवार खून बेचकर लोन चुकाने को मजबूर हुआ। गरीब परिवार शुक्रवार को अपना खून बेचने के लिए सदर अस्पताल के ब्लड बैंक पहुंचा था।

प्राप्त जानकारी के अनुसार वारिसनगर प्रखंड की रहने वाली गुलनाज देवी ने किसानी-खेती के लिए स्वयं सहायता समूह के जरिए एक बैंक से 35 हजार रुपये कर्ज लिया था, क्योंकि खेती से हो रही आमदनी से पूरे परिवार का पेट पालना भी मुश्किल था। बैंक का लोन चुकाना तो दूर की बात थी। परिवार पर लोन की किश्त जमा करने के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा था। 

पीड़ित महिला गुलनाज देवी ने बताया कि मैंने अपने पति के साथ मिलकर पैसे कमाकर लोन चुकाने की हर संभव कोशिश की। रिश्तेदारों और दोस्तों से उधार भी मांगा, लेकिन किसी ने हमारी मदद नहीं की। उसने बताया कि फिर हमारे मन में लोन की किश्त जमा करने के लिए खून बेचकर कुछ पैसे कमाने का ख्याल आया। शुक्रवार को वह अपने पति के साथ समस्तीपुर सदर अस्पताल पहुंची। यहां ब्लड बैंक के अधिकारियों ने जब गुलनाज और उनके पति की दुर्दशा के बारे में सुना, तो स्थानीय प्रशासन को घटना की जानकारी दी। 

वारिसनगर के प्रखंड अधिकारी ने कहा कि हमें सदर अस्पताल के ब्लड बैंक से ऐसी घटना के बारे में पता चला। अधिकारियों ने हमें सूचित किया, लेकिन हमें पीड़ितों की ओर से कोई पत्र नहीं मिला है। हम परिवार से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि बिहार में 10 लाख स्वयं सहायता समूह संचालित हैं। हर समूह में एक गांव या पंचायत की 10 से 15 महिलाएं शामिल रहती हैं। 

वे अपने-अपने गांव की महिलाओं को व्यवसाय और कृषि उद्देश्यों के लिए बैंक से 2 लाख रुपये तक का लोन दिलवाती हैं। बैंक 2 प्रतिशत से 4 प्रतिशत के ब्याज पर महिलाओं को लोन देता है। आरबीआई के निर्देशों के अनुसार, किश्तों का भुगतान नहीं होने की स्थिति में ऋणदाता उधारकर्ताओं पर दबाव नहीं डाल सकते। लेकिन यहां पैसों की वसूली के लिए हर हथकंडे अपनाए जाते हैं।

Web Title: In Bihar's Samastipur, the poor had to sell blood to repay the loan

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