पटनाः बिहार में बेटियों की संख्या निरंतर कम हो रही है, जो लिंगानुपात का खतरनाक ट्रेंड दिखाता है। यह सब तब हो रहा है जब बालिका जन्म दर बढ़ाने के बिहार सरकार के द्वारा तमाम प्रयास और प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसके बावजूद राज्य में बेटियों के संख्या में भारी गिरावट आना चिंता का विषय बन गया है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) 4 के अनुसार बिहार में प्रति 1000 पुरुष पर 934 कन्या अनुपात था, जो एनएफएचएस-5 में घटकर 1,000 पुरुषों पर 908 हो गया है। बिहार में जहां बालिका जन्मदर में कमी आई है, वहीं राष्ट्रीय औसत में सुधार हुआ है और यह एनएफएचएस-4 के 919 से बढ़कर एनएफएचएस-5 में 929 हो गया है।
बिहार में मुजफ्फरपुर में सबसे चिंताजनक स्थिति है। यहां एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के अनुसार प्रति 1,000 पुरुषों पर केवल 685 लड़कियों का खतरनाक आंकड़ा दिखाया, जबकि एनएफएचएस-4 में यह संख्या 930 थी। मुजफ्फरपुर के बाद दूसरा सबसे खराब सारण का है। सारण में एनएफएचएस-4 के 976 की तुलना में एनएफएचएस-5 में बच्चियों की संख्या 779 हो गई है।
दरभंगा, मधुबनी, पूर्वी चंपारण और समस्तीपुर में भी लिंगानुपात में बड़ी गिरावट है। दरभंगा के आंकड़े में लिंगानुपात 982 से गिरकर 812, मधुबनी में 954 से 800, जबकि पूर्वी चंपारण और समस्तीपुर में 159 की संख्या से गिरावट आई है। बिहार में समस्तीपुर में जहां पिछली बार बेटियों की संख्या प्रति 1000 पुरुष पर 1049 थी वह इस बार घटकर 890 हो गई है।
इसी तरह शेखपुरा में 1015 की तुलना में घटकर 888 हो गई है। औरंगाबाद में 905 से घटकर यह संख्या 886, लखीसराय में 934 से घटकर 886 हो गया है। लिंगानुपात में आ रही इस कमी को बिहार के गंभीर खतरे की घंटी के तौर पर माना जा रहा है। यह पहला मौका है जब एक साथ राज्य में इतनी बड़ी संख्या में कन्या जन्मदर में कमी आई है।
एनएफएचएस- 4 के जब बिहार में प्रति 1000 पुरुष पर 934 कन्या अनुपात था तो इसे बढ़ाने को लेकर कई बातें की गई। यहां तक कि केंद्र सरकार की ओर से भी बेटी बचाओ-बेटी बढाओ जैसी योजना का खूब प्रचार हुआ। बावजूद इसके एनएफएचएस-5 में बेटियों की संख्या घटकर 1,000 पुरुषों पर 908 हो गई है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों का मानना है कि लिंगानुपात में आ रही गिरावट के पिछले मूल कारण कन्या भ्रूण हत्या है। राज्य में हर जिले में अवैध रूप से चल रहे अल्ट्रासाउंड केंद्रों के साथ-साथ पीएनडीटी एक्ट का पालन नहीं करने वालों पर नकेल कसने की जरूरत है।
इससे कन्या भ्रूण हत्या को रोका जा सकता है। बेटियों का जन्म दर बढ़ाने के लिए कई ऐसे प्रयास और जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी लिंगानुपात में कन्या जन्मदर में कमी आना गंभीर चिंता का विषय है।