नागपुर ने दोहराया इतिहास, महिला यात्रियों को नहीं पसंद आ रहा इलेक्ट्रिक बस का सफर, सामने आयी ये वजह

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 14, 2019 09:42 AM2019-10-14T09:42:29+5:302019-10-14T09:42:29+5:30

परिवहन विभाग को महिला यात्रियों से टिकट के जरिये 57 हजार रुपए के करीब राजस्व प्राप्त हुआ। जो कि बिलकुल भी समाधानकारक नहीं है। जबकि  खर्च 5.14 लाख रुपए के करीब हुआ है। ऑपरेटर को इलेक्ट्रिक बस पर 42 रुपए प्रति किमी के आधार पर भुगतान किया जा रहा है। 

Female passengers of Nagpur do not like the travel of electric bus | नागपुर ने दोहराया इतिहास, महिला यात्रियों को नहीं पसंद आ रहा इलेक्ट्रिक बस का सफर, सामने आयी ये वजह

प्रतीकात्मक फोटो

Highlightsपर्यावरण के अनुकूल होने से यह बस परिवहन बस सेवा से अच्छी है। बस के दरवाजे यात्रा के दौरान खुले नहीं रहते। जिसकी वजह से यात्रा के दौरान हवा का संचालन बखूबी नहीं हो पाता।

सितंबर महीने में पांच महिला स्पेशल तेजस्विनी इलेक्ट्रिक बस शहर की सड़कों पर दौड़नी शुरू हुईं। लगभग एक महीने के संचालन से साफ होता है कि महिलाओं को यह बस लुभा पाने में विफल साबित हुई है। यात्रियों की संख्या को देखें तो पाएंगे कि औसतन मात्र 6.29 महिला यात्री सफर कर रही हैं। 

मिली जानकारी के अनुसार 17 से 30 सितंबर के बीच रोजाना 77 फेरियों में इलेक्ट्रिक बस पांच अलग-अलग मार्गों पर दौड़ती हैं। इसकी 77 फेरियों में कुल यात्री क्षमता 4697 है, जबकि औसतन मात्र 295 महिला यात्री ही इस बस से यात्रा कर रही हैं। वैसे भी नागपुर का इतिहास रहा है कि जब भी महिलाओं के लिए स्पेशल बस शुरू की गई, वह सफल नहीं रही है। 

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जब वंश निमय इंफ्रा प्रोजेक्ट के पास शहर बस का परिचालन था, तब दो मर्तबा महिला स्पेशल बस शुरू की गई थी। लेकिन दोनों ही मर्तबा महिला यात्री नहीं मिलने से उसे बंद कर दिया गया था। शहर में सीताबर्डी से वाईसीसी कॉलेज, सीताबर्डी से डिफेंस, सीताबर्डी से कोराडी, सीताबर्डी से बूटीबोरी एमआईडीसी तथा सीताबर्डी-पिपला फाटा के बीच सुबह 7 से रात 10 बजे के बीच 77 ट्रिप इलेक्ट्रिक बस दौड़ती है। संबंधित बस रोजाना 900 किमी का सफर करती है। सितंबर महीने के 14 दिनों में बस 1044 ट्रिप में 12,652 किमी चली। लगभग 4142 महिलाओं ने बस में यात्रा की। 

परिवहन विभाग को महिला यात्रियों से टिकट के जरिये 57 हजार रुपए के करीब राजस्व प्राप्त हुआ। जो कि बिलकुल भी समाधानकारक नहीं है। जबकि  खर्च 5.14 लाख रुपए के करीब हुआ है। ऑपरेटर को इलेक्ट्रिक बस पर 42 रुपए प्रति किमी के आधार पर भुगतान किया जा रहा है। 

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परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकारा कि महिलाओं में तेजस्विनी बस प्रचलित होना बाकी है। यही वजह है कि इसमें कम महिला यात्री सफर कर रही हैं। इस बस की पब्लिसिटी के लिए प्रयास किए जाएंगे। पर्यावरण के अनुकूल होने से यह बस परिवहन बस सेवा से अच्छी है। बॉक्स बस में कुछ कमी इलेक्ट्रिक बस में सफर करने वाली कुछ महिलाओं का अनुभव जानने का प्रयास लोकमत समाचार ने किया। 

उन्होंने स्वीकारा कि पहल अच्छी है। फिर भी बस की खिड़की को खिसकाने की जगह ऊपर उठानी पड़ती है। बस के दरवाजे यात्रा के दौरान खुले नहीं रहते। जिसकी वजह से यात्रा के दौरान हवा का संचालन बखूबी नहीं हो पाता। इसमें एसी भी नहीं लगी है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। गर्मी के दिनों में तकलीफ बढ़ेगी। इसके अलावा दो सीटों के बीच का अंतर थोड़ा अधिक होना चाहिए था।

Web Title: Female passengers of Nagpur do not like the travel of electric bus

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