चाहे जितना भी करीबी हो न दें अपनी बाइक और कार, ऐसा हुआ तो लाखों रुपये देना पड़ सकता है हर्जाना
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 7, 2019 01:19 PM2019-10-07T13:19:20+5:302019-10-12T13:16:44+5:30
ट्राइब्यूनल ने कहा कि यह फैक्ट इंश्योरेंस कंपनी को मृतक रामचंद्र के परिजन को मुआवजा राशि की देयता से मुक्त करता है लेकिन 'पे एंड रिकवर' नियम के मुताबिक इंश्योरेंस कंपनी को रामचंद्र के परिजनों को मुआवजा राशि देना चाहिये।
अक्सर देखा जाता है कि लोग अपने दोस्त, पड़ोसी और परिजनों के मांगने पर आसानी से अपनी बाइक या कार दे देते हैं। लेकिन आपका ये परोपकार कब आपके लिये बड़ी मुसीबत बन जाए इसका कोई भरोसा नहीं। खासकर तब जब आपको इस परोपकार के बदले करोड़ों रुपये जुर्माने के रूप में भरना पड़ जाए। मुंबई से एक ऐसी ही घटना सामने आयी है।
दरअसल मुंबई में साल 2013 में एक सड़क दुर्घटना हुयी थी। बाइक से हुये एक्सीडेंट की इस घटना में रामचंद्र जोरे नाम के शख्स की मौत हो गयी। रामचंद्र बीएमसी में ऐंबुलेंस चलाते थे और घटना के वक्त उनका वेतन 68,000 रुपये महीने था। इस मामले में मोटर व्हीकल एक्सीडेंट क्लेम ट्राइब्यूनल ने निर्देश दिया कि रामचंद्र के परिजन को 1 करोड़ रुपये मुआवजा दिया जाए।
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इस पूरे घटनाक्रम में खेल तब बदल गया जब ट्राइब्यूनल ने इंश्योरेंस कंपनी से यह कहा कि कंपनी को मुआवजे की राशि बाइक मालिक से वसूलने की छूट है। बाइक के मालिक थे खूबलाल प्रजापति और उन्होंने अपनी बाइक मोहम्मद अशरफ कुरैशी नाम के व्यक्ति को इस्तेमाल करने के लिये दे दिया था। अशरफ से ही एक्सीडेंट हो गाय और घटना के वक्त अशरफ के पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं था।
ट्राइब्यूनल ने कहा कि ऐसा करना इंश्योरेंस पॉलिसी के खिलाफ है। ट्राइब्यूनल ने कहा कि इंश्योरेंस कंपनी को मृतक रामचंद्र के परिजन को मुआवजा राशि की देयता से मुक्त करता है लेकिन 'पे एंड रिकवर' नियम के मुताबिक इंश्योरेंस कंपनी को रामचंद्र के परिजनों को मुआवजा राशि देना चाहिये। रामचंद्र के परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं जिनकी उम्र 5 साल और 10 साल है।
ट्राइब्यूनल ने 75.60 लाख रुपये का मुआवजा देने का फैसला सुनाया है। साथ ही 7 अक्टूबर 2013 से अब तक 7.5 परसेंट ब्याज भी जोड़ने का निर्देश दिया है। ट्राइब्यूनल के फैसले के मुताबिक मृतक की पत्नी को ब्याज समेत 37.60 लाख रुपये और बच्चों को ब्याज समेत 18.75 लाख रुपये दिये जाएंगे। बच्चों को मिलने वाले मुआवजे की राशि उनके बालिग होने तक फिक्स्ड डिपॉजिट की जाएगी।
मुआवजे की रकम तय करते समय ट्राइब्यूनल कई पहलुओं पर ध्यान देता है। जैसे पीड़ित या मृतक की उम्र कितनी थी, अगर जीवन है तो उसके जीवनयापन का साधन, अंतिम क्रिया में होने वाला खर्च आदि।
सावधानी-
अगर किसी भी स्थिति में आप दोस्तों, परिजनों को कार या बाइक देने से मना नहीं कर सकते तो कम से कम इस बात का ख्याल जरूर रखें कि गाड़ी चलाने वाले के पास ड्राइविंग लाइसेंस जरूर हो। दूसरी बात कार या बाइक का बीमा जरूर करा कर रखें।