भारत की विविध भौगोलिक संरचना, जलवायु परिस्थितियों और सामाजिक-आर्थिक कारकों के कारण जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों के प्रति उसकी संवेदनशीलता अधिक है। ये प्रभाव पहले से ही अर्थव्यवस्था और आजीविका को प्रभावित कर रहे हैं, जो विकास और गरीबी उन्मूलन ...
गोवा में चल रहा इंडिया एनर्जी वीक 2024 भारत के ऊर्जा भविष्य की रोमांचक तस्वीर दिखा रहा है। क्लीन एनर्जी, महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्य और एनर्जी सिक्योरिटी पर जोर के साथ इस कार्यक्रम में कई प्रमुख घटनाक्रम सामने आए हैं। ...
विकसित अर्थव्यवस्थाओं में इसकी खपत में तेजी से गिरावट आ रही है, जिसमें यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 20 प्रतिशत की रिकॉर्ड गिरावट भी शामिल है। ...
कॉप 28 की असाधारण उपलब्धियों में से एक रहा लॉस एंड डैमेज पर हुआ एक अभूतपूर्व समझौता। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का कठोर खामियाजा भुगत रहे कमजोर राष्ट्रों ने राष्ट्रीय प्रतिक्रिया योजनाओं, जलवायु सूचना वृद्धि और विस्थापन के मामलों में सम्मानजनक मानव ...
एक नए शोध से पता चलता है कि ग्रिड-संचालित इलेक्ट्रोलिसिस से पैदा होने वाली ग्रीन हाइड्रोजन से एम्बोडीड या समावेशित कार्बन एमिशन, फॉसिल फ्यूल से उत्पन्न पारंपरिक ‘ग्रे’ हाइड्रोजन के उत्पादन के दौरान होने वाले एमिशन से कहीं ज्यादा हो सकता है। ...
साल 2021 में एक अध्ययन से पता चला था कि दक्षिण लोनाक झील का आकार गंभीर रूप से बढ़ चुका है। इस अध्ययन में यह भी कहा गया था कि अब झील भारी बारिश जैसे चरम मौसम के प्रति संवेदनशील हो गई है। ...
रिपोर्ट में घुसपैठ करने वाली आक्रामक विदेशी प्रजातियों को दुनिया भर में जैव विविधता को हो रहे नुकसान के मुख्य प्रत्यक्ष कारकों में से एक के रूप में पहचाना गया है. ...