Green Hydrogen: ग्रीन हाइड्रोजन का अनियोजित विकास बढ़ा सकता है कार्बन उत्सर्जन
By निशांत | Published: October 27, 2023 02:09 PM2023-10-27T14:09:57+5:302023-10-27T14:10:56+5:30
एक नए शोध से पता चलता है कि ग्रिड-संचालित इलेक्ट्रोलिसिस से पैदा होने वाली ग्रीन हाइड्रोजन से एम्बोडीड या समावेशित कार्बन एमिशन, फॉसिल फ्यूल से उत्पन्न पारंपरिक ‘ग्रे’ हाइड्रोजन के उत्पादन के दौरान होने वाले एमिशन से कहीं ज्यादा हो सकता है।
ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को रफ्तार देते हुए हाल ही में भारत सरकार ने 400 करोड़ रुपए की लागत वाला एक आर एंड डी (अनुसंधान एवं विकास) रोडमैप पेश किया है। साथ ही, भारत ने साल 2030 तक सालाना पांच मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का लक्ष्य भी रखा है, लेकिन इस बीच एक नए शोध से पता चलता है कि ग्रिड-संचालित इलेक्ट्रोलिसिस से पैदा होने वाली ग्रीन हाइड्रोजन से एम्बोडीड या समावेशित कार्बन एमिशन, फॉसिल फ्यूल से उत्पन्न पारंपरिक ‘ग्रे’ हाइड्रोजन के उत्पादन के दौरान होने वाले एमिशन से कहीं ज्यादा हो सकता है।
अपने इस शोध के माध्यम से जलवायु थिंक टैंक ‘क्लाइमेट रिस्क होराइजंस’ ने आगाह किया है कि भारत के लिए यह बहुत जरूरी है कि वो अपने इस मिशन के लिए सही सुरक्षा उपाय और कार्बन अकाउंटिंग के साथ आगे बढ़े क्योंकि इनके बगैर यह मिशन कार्बन उत्सर्जन में और भी इजाफा भी कर सकता है।
क्लाइमेट रिस्क होराइजंस ने ‘ग्रीन हाइड्रोजन : प्रॉमिसेज एंड पिटफाल्स’ शीर्षक वाली अपनी इस रिपोर्ट में आगाह किया है कि तथाकथित ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन अगर एनर्जी अकाउंटिंग के सख्त मानकों के बगैर किया गया तो यह जलवायु के लिए सही नहीं होगा, बल्कि यह तो फॉसिल फ्यूल से पैदा होने वाली परंपरागत ग्रे हाइड्रोजन के मुकाबले कई गुना खराब हो सकती है।
साल 2030 तक हर साल पांच एमएमटी ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने के लिए करीब 250 टेरावॉट बिजली की जरूरत होगी जो भारत की मौजूदा कुल बिजली उत्पादन का लगभग 13 प्रतिशत है। अगर इसमें से कुछ बिजली भारत के कोयला-संचालित ग्रिड से आती है तो यह वातावरण में अच्छे खासे एमिशन को बढ़ावा देगी। ध्यान रहे भारत का 70% बिजली उत्पादन कोयले पर निर्भर है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने हाल ही में ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए एमिशन की सीमाएं भी घोषित की हैं, लेकिन अकाउंटिंग और प्रमाणन के तौर-तरीकों को अभी अंतिम स्वरूप दिया जाना बाकी है। इस पद्धति की संपूर्णता यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होगी कि ग्रीन हाइड्रोजन में जीवाश्म ईंधन से चलने वाली बिजली से उत्सर्जन शामिल नहीं है।
अमेरिका द्वारा किए गए मौजूदा शोध से पता चलता है कि कार्बन की वास्तविक कटौती सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रोलाइजर के लिए बिजली की जरूरत को सिर्फ मासिक या वार्षिक आधार के बजाय प्रति घंटे के आधार पर समर्पित क्लीन एनर्जी सप्लाई के साथ मेल खाना चाहिए।