इन दंगों के बारे में समाज-वैज्ञानिक विश्लेषकों की प्रतिक्रियाओं के बीच भी काफी विरोधाभास है. मसलन, ज्यां द्रेज जैसे बुद्धिजीवी-एक्टिविस्ट मानते हैं कि दिल्ली के पटल पर जो कुछ घटित हो रहा है, वह द्विज जातियों (ब्राह्मण, ठाकुर, बनिया) की तरफ से हिंदुत् ...
दिल्ली चुनाव के नतीजे आने के बाद आजकल टीवी चैनल भारतीय जनता पार्टी के सुर में सुर मिलाते हुए उसे देश विरोधी, संविधान विरोधी, कानून विरोधी और पाकिस्तान की साजिश के रूप में दिखाने से बच रहे हैं. लेकिन, दिल्ली चुनाव के दौरान तकरीबन हर टीवी चैनल (एक-दो अ ...
कुछ टीवी एंकर यह योजना बना रहे थे कि आम आदमी पार्टी के चुनाव जीतने (जो लगभग तय था) के साथ ही वे गृह मंत्री अमित शाह को ‘मैन ऑफ द मैच’ घोषित कर देंगे, क्योंकि भाजपा को कम से कम पच्चीस सीटें तो मिलेंगी ही (स्वयं अमित शाह का अनुमान था कि उन्हें चालीस से ...
ध्यान रहे कि भारतीय समाज दस्तावेज-कुशल नहीं है. पिछली दो पीढ़ियों से पहले के लोगों के पास उनके जन्म-प्रमाणपत्र नहीं हैं. जिन क्षेत्रों में नियमित रूप से प्राकृतिक आपदाएं आती हैं, वहां भी लोगों के पास दस्तावेज नहीं होते हैं. खास बात यह है कि सरकार को इ ...
विशेषज्ञों की निर्विवाद राय के अनुसार हमारी समस्या यह है कि बाजार में मांग बड़ी हद तक घट गई है. चाहे कारें हों या बिस्कुट का पैकेट- माल बिक नहीं रहा है और कुल मिला कर उपभोग की मात्र में खासी कमी आई है. ...
अगर दिल्ली के वोटरों के पंद्रह-बीस फीसदी वोटरों ने भी कांग्रेस को चुना, तो राष्ट्रवादी भावनाओं पर भरोसा करने वाली भाजपा का ग्राफ एकदम ऊपर चढ़ सकता है. दरअसल, भाजपा चुनाव जीते या हारे, उसे 30-32 फीसदी वोट मिलते ही हैं. अगर उसके विरोधी वोट बंट जाएं तो ...
अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने हाल ही में कार्ल पोलान्यी के हवाले से याद दिलाया है कि अर्थव्यवस्था का रिश्ता केवल मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों से ही नहीं होता, बल्कि उसकी जड़ें समाज, संस्थाओं और राजनीति में निहित होती हैं. ...