लॉकडाउन बना मुसीबत: पिता लकवाग्रस्त, मां बेरोजगार, खुद भुखमरी से जूझ रहीं ये भारतीय एथलीट
By भाषा | Published: May 13, 2020 06:46 PM2020-05-13T18:46:32+5:302020-05-13T18:51:59+5:30
कोरोना वायरस के चलते प्राजक्ता गोडबोले मुश्किलों का सामना कर रही हैं। हालांकि उन्होंने जिले या राज्य स्तर पर किसी एथलेटिक अधिकारी से मदद नहीं मांगी है...
कोविड-19 लॉकडाउन के कारण नागपुर की धाविका प्राजक्ता गोडबोले की मां बेरोजगार हैं, जबकि उनके पिता कुछ समय पहले लकवाग्रस्त हो गये थे, जिससे उन्हें भुखमरी का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें नहीं पता कि अगले वक्त का खाना मिलेगा भी या नहीं।
24 साल की प्राजक्ता नागपुर में सिरासपेठ झुग्गी में अपने माता-पिता के साथ रहती हैं, उन्होंने 2019 में इटली में विश्व विश्वविद्यालय खेलों की 5,000 मीटर रेस में भारतीय विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया था, जिसमें उन्होंने 18:23.92 का समय निकाला था लेकिन वह फाइनल दौर के लिये क्वालीफाई नहीं कर पायी थीं।
साल के शुरू में हुई टाटा स्टील भुवनेश्वर हाफ मैराथन में 1:33:05 के समय से दूसरे स्थान पर रही थीं। उनके पिता विलास गोडबोले पहले सुरक्षाकर्मी के तौर पर काम करते थे, लेकिन वह एक दुर्घटना के बाद लकवाग्रस्त हो गये।
प्राजक्ता की मां अरुणा रसोइये के तौर पर काम करके 5,000 से 6,000 रुपये महीना तक कमाती थीं जो उनके घर को चलाने का एकमात्र साधन था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से शादियां नहीं हो रहीं तो उन्हें दो जून का खाना जुटाने के लिये भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
प्राजक्ता ने कहा, ‘‘हम पास के लोगों की मदद पर ही निर्भर हैं। वे हमें चावल, दाल और अन्य चीजें दे जाते हैं। इसलिये हमारे पास अगले दो-तीन दिन के लिये खाने को कुछ होता है लेकिन नहीं पता कि आगे क्या होगा? हमारे लिये यह लॉकडाउन काफी क्रूरता भरा साबित हो रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं ट्रेनिंग के बारे में सोच भी नहीं रही हूं क्योंकि मैं नहीं जानती कि इन हालात में मैं कैसे जीवित रहूंगी। हमारे लिये जीवन बहुत कठिन है। इस लॉकडाउन ने हमें बर्बाद कर दिया है।’’
प्राजक्ता का कहना है कि वह नहीं जानती कि इन हालात में क्या करे और किससे मदद की गुहार करे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं जानती कि क्या करूं, मेरे माता-पिता कुछ नहीं कर सकते। हम केवल प्रार्थना ही कर सकते हैं कि यह लॉकडाउन खत्म हो जाये। हम बस इसका इंतजार कर रहे हैं।’’