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इतिहास में एक बदलाव के बिंदु पर है दुनिया: बाइडन

By भाषा | Updated: September 21, 2021 22:34 IST

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संयुक्त राष्ट्र, 21 सितंबर (एपी) अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने पहले संबोधन में यह घोषणा की कि दुनिया ‘‘इतिहास में एक बदलाव के बिंदु’’ पर खड़ी है और उसे कोविड-19 महामारी, जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकार हनन के मुद्दों से निपटने के लिए तेजी से सहयोगात्मक रूप से आगे बढ़ना चाहिए।

चीन को लेकर बढ़ते तनाव के बीच बाइडन ने यह भी घोषणा की कि अमेरिका ‘‘एक नया शीतयुद्ध नहीं चाहता है।’’

बाइडन ने चीन का सीधे उल्लेख किये बिना दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को लेकर बढ़ती चिंताओं को स्वीकार किया। हालांकि उन्होंने कहा, ‘‘हम एक नया शीतयुद्ध या कठोर ब्लॉक में विभाजित दुनिया नहीं चाहते हैं।’’

बाइडन ने पिछले महीने अफगानिस्तान में अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त करने के अपने फैसले का उल्लेख किया और अपने प्रशासन के लिए दुनिया के सामने उत्पन्न संकटों से निपटने के लिए एक रूपरेखा तय की। उन्होंने कहा कि वह इस विश्वास से प्रेरित हैं कि ‘‘अपने लोगों की बेहतरी के लिए हमें बाकी दुनिया के साथ भी गहराई से जुड़ना चाहिए।’’

बाइडन ने कहा, ‘‘हमने अफगानिस्तान में 20 साल से चल रहे संघर्ष को खत्म कर दिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में जब हमने इस युद्ध को समाप्त किया है, हम अपनी विकास सहायता का इस्तेमाल दुनिया भर में लोगों के उत्थान के लिए करने की कूटनीति के एक नए युग की शुरुआत कर रहे हैं।’’

बाइडन मंगलवार के अपने संबोधन से पहले महासचिव एंतोनियो गुतारेस से मिलने के लिए सोमवार शाम न्यूयॉर्क पहुंचे थे। बाइडन ने इतिहास के एक कठिन समय में इस वैश्विक निकाय की प्रासंगिकता और आकांक्षा का पूरी तरह से समर्थन की पेशकश की।

बाइडन ने कहा कि अमेरिका ने स्वास्थ्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन से लेकर उभरती प्रौद्योगिकियों तक की चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ क्वाड साझेदारी का ‘‘उन्नयन’’ किया है।

उच्च स्तरीय 76वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेने वाले विश्व नेताओं को संबोधित करते हुए बाइडन ने कहा कि राष्ट्रपति पद पर पिछले आठ महीनों में उन्होंने अमेरिका के गठबंधनों के पुनर्निर्माण को प्राथमिकता दी है, अपनी साझेदारी को पुनर्जीवित किया है और यह स्वीकार किया है कि वे जरूरी होने के साथ ही अमेरिका की सुरक्षा और समृद्धि के लिए आवश्यक हैं।

बाइडन ने कहा, ‘‘जब अमेरिका प्राथमिकताओं और दुनिया के क्षेत्रों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है, जैसे कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र जो आज और कल सबसे अधिक अहम है, हम संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय संस्थानों के सहयोग से अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ ऐसा करेंगे। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने स्वास्थ्य सुरक्षा से लेकर जलवायु परिवर्तन से लेकर उभरती प्रौद्योगिकियों तक की चुनौतियों का सामना करने के लिए ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच क्वाड साझेदारी को बढ़ाया है।’’

राष्ट्रपति बाइडन के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 सितंबर को ‘क्वाड’ नेताओं की एक बैठक में शिरकत करेंगे और अगले दिन न्यूयार्क संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्च स्तरीय आम बहस को संबोधित करेंगे।

राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए बाइडन को अफगानिस्तान में अमेरिकी युद्ध की समाप्ति के तरीके को लेकर अपने सहयोगियों की असहमति का सामना करना पड़ा है। उन्हें कोरोना वायरस के मद्देनजर यात्रा प्रतिबंधों और इसे लेकर भी मतभेदों का सामना करना पड़ा है कि कोविड-19 रोधी टीके को विकासशील देशों के साथ कैसे साझा करना चाहिए। साथ ही चीन द्वारा सैन्य और आर्थिक कदमों का जवाब देने के सर्वोत्तम तरीके को लेकर भी सवाल उठाये गए हैं।

ऑस्ट्रेलिया को परमाणु-संचालित पनडुब्बियों से लैस करने की योजना की घोषणा किये जाने के बाद बाइडन ने खुद को अमेरिका के सबसे पुराने सहयोगी फ्रांस के साथ एक नये कूटनीतिक विवाद में फंसा पाया है। चीनी सेना की बढ़ती आक्रामकता को लेकर बढ़ती चिंता के बीच इस कदम से ऑस्ट्रेलिया को प्रशांत क्षेत्र में गश्त करने की बेहतर क्षमता मिलने की उम्मीद है।

उल्लेखनीय है कि ऑस्ट्रेलिया ने 12 पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए 2016 में फ्रांस सरकार के स्वामित्व वाली नौसैन्य कंपनी के साथ एक अनुबंध किया था, लेकिन अब ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका एवं ब्रिटेन के साथ परमाणु ऊर्जा चालित आठ पनडुब्बियों के लिए नया समझौता किया है। इस समझौते के कारण आस्ट्रेलिया ने फ्रांस के साथ अनुबंध रद्द कर दिया है।

फ्रांस के विदेश मंत्री जीन वाई ले द्रियन ने सोमवार को कहा कि इस प्रकरण के परिणामस्वरूप अमेरिका के साथ ‘‘विश्वास का संकट’’ है।

बाइडन ने फ्रांस के साथ तनाव को कमतर करने का प्रयास किया। मंगलवार को जब बाइडन संयुक्त राष्ट्र में पहुंचे तो एक संवाददाता ने यह सवाल किया कि उन्होंने फ्रांस के साथ संबंधों को सुधारने की क्या योजना बनायी है, तो उन्होंने केवल यह जवाब दिया, ‘‘वे महान हैं।’’

बाइडन के आगमन से पहले, यूरोपीय संघ परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने यूरोप को ‘‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र में खेल से बाहर’’ छोड़ने और ट्रांस-अटलांटिक गठबंधन के अंतर्निहित तत्वों की अनदेखी करने के लिए बाइडन प्रशासन की कड़ी आलोचना की।

मतभेदों के बावजूद, बाइडन को उम्मीद थी कि वह महासभा में अपने संबोधन और के साथ ही बाद में विश्व नेताओं के साथ आमने-सामने और बड़ी बैठकों का इस्तेमाल विश्व मंच पर अमेरिकी नेतृत्व को मजबूती प्रदान करने के लिए कर सकेंगे।

व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा, ‘‘असहमति के बिंदु हैं, जब हम अन्य देशों द्वारा किए जा रहे निर्णयों से असहमत होते हैं, जब हम अन्य देशों द्वारा द्वारा लिए जा रहे निर्णयों से असहमत होते हैं। लेकिन यहां बड़ा मुद्दा यह है कि हम उन गठबंधनों के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसके लिए हमेशा हर राष्ट्रपति से, हर वैश्विक नेता से काम की आवश्यकता होती है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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