अमेरिका और चीन में तनाव और बढ़ा, यूएस ने बीजिंग को ह्यूस्टन दूतावास बंद 72 घंटे में करने को कहा
By विनीत कुमार | Published: July 22, 2020 02:43 PM2020-07-22T14:43:06+5:302020-07-22T14:56:43+5:30
अमेरिका ने चीन को ह्यूस्टन वाणिज्य दूतावास बंद करने को कहा है। इस बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि चीनी अधिकारी ह्यूस्टन दूतावास में गुप्त दस्तावेज जला रहे हैं।
कोरोना संकट सहित कुछ और मुद्दों पर पहले ही चीन से बिफरे अमेरिका ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए चीन को ह्यूस्टन में मौजूद अपने कॉन्सुलेट को 72 घंटे में बंद करने का फरमान सुना दिया है। माना जा रहा है कि अमेरिका के इस कदम से चीन के साथ उसकी तनातनी अब और बढ़ेगी। अमेरिका के इस कदम पर चीन भी भड़क उठा है और उसने इसे अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन बताते हुए जवाबी कार्रवाई की भी धमकी दी है।
इस बीच चीन दूतावास के कर्मचारियों द्वारा 'गोपनीय दस्तावेजों' के जलाए जाने का मामला भी चर्चा में है। ह्यूस्टन में स्थानीय मीडिया के अनुसार मंगलवार को चीनी दूतावास से धुआं उठता देखा गया, इसके बाद आग बुझाने वाली गाड़ियां भी वहां पहुंच गई। हालांकि, फायर फाइटर्स अंदर दाखिल नहीं हुए। इस बीच सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो गए हैं जिसमें सभवत: दूतावास में मौजूद चीनी अधिकारी कुछ दस्तावेज जलाते नजर आ रहे हैं।
#BREAKING: #Houston firefighters responding to reports of people burning papers and documents at the #Chinese consulate. The #US has asked #China to close this consulate in 72 hours! Why are they burning it? What are they hiding?#USA#CCP#CCPVirus#coronavirus#COVID19#COVIDpic.twitter.com/iPR636SDaQ
— Faruk Firat (@FarukFirat1987) July 22, 2020
अमेरिका के कदम से भड़का चीन
अमेरिका के फरमान के बाद चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए तत्काल उसे अपना फैसला वापस लेने को कहा है। चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि अमेरिका अगर अपने कदम पीछे नहीं खींचता है तो चीन की ओर से भी जवाबी कदम उठाए जाएंगे।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबीन ने कहा, अमेरिका की ओर से ये भड़काने की कोशिश है। इसमें अंतरराष्ट्रीय नियमों का निश्चित रूप से उल्लंघन हो रहा है। साथ ही चीन और अमेरिका के बीच के समझौतों का भी ये उल्लंघन है।
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि बीजिंग अमेरिका के इस कदम की घोर निंदा करता है और इसे न्यायोचित नहीं ठहराता जो निश्चित तौर पर दोनों देशों के रिश्तों को खराब करेगा।