कोविड के टीकों के ‘अप्राकृतिक’ या ‘कृत्रिम’ होने को लेकर चिंता बेवजह

By भाषा | Updated: September 2, 2021 13:13 IST2021-09-02T13:13:47+5:302021-09-02T13:13:47+5:30

Unreasonable concern about Kovid vaccines being 'unnatural' or 'artificial' | कोविड के टीकों के ‘अप्राकृतिक’ या ‘कृत्रिम’ होने को लेकर चिंता बेवजह

कोविड के टीकों के ‘अप्राकृतिक’ या ‘कृत्रिम’ होने को लेकर चिंता बेवजह

(आर्चा फॉक्स, द यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया और चार्ल्स बॉन्ड, यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया) पर्थ, दो सितंबर (द कन्वरसेशन) कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में फाइजर और मॉडर्ना के एमआरएनए टीके हमार‍े कुछ बेहतरीन हथियारों में शामिल हैं। ये अत्यधिक प्रभावी हैं और दुनिया भर में लाखों लोगों ने अपनी सभी खुराकें ले ली हैं। ये टीके सबसे पहले कृत्रिम रूप से तैयार किए जाते हैं, यानी ये एक जीवित कोशिका के बाहर बनाए जाते हैं। सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट इस तथ्य पर अड़े हुए हैं कि ये टीके “प्राकृतिक" नहीं हैं और इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर टीका लगवाने से झिझकने वाले लोगों में चिंता पैदा कर दी है। तो एमआरएनए टीकों के ‘कत्रिम’ होने का क्या अर्थ है और ऐसा है तो भी क्यों कोई चिंता वाली बात नहीं है? लंबे समय से संक्रामक रोगों से लड़ने के लिए हमारे शरीर को प्रशिक्षित करने के लिए कीटाणुओं का टीका लगाया जाता रहा है।मध्य 18वीं शताब्दी में एडवर्ड जेनर (चेचक का टीका विकसित करने वाले) के प्रसिद्ध प्रयोगों से पहले भी, चीनी और कुछ यूरोपीय समाज चेचक के खिलाफ प्रतिरक्षा के लिए गायों की छालों से मिली सामग्री का इस्तेमाल कर रहे थे। 20वीं सदी में टीका निर्माण के गति पकड़ने के वक्त कमजोर या असक्रिय विषाणुओं का इस्तेमाल किया जाता था। टीकों के लिए कई विषाणओं को मुर्गी के अंडों में विकसित किया जाता था जो अंडों से एलर्जी वाले लोगों के लिए समस्या पैदा करता था। कुछ नवीनतम टीके, जैसे एस्ट्राजेनेका का कोविड-19 टीका, बड़े किण्वन (फर्मेंटेशन) टैंकों में कोशिकाओं में विकसित किए जाते हैं। पुनः संयोजक प्रोटीन टीके, जैसे कि हेपेटाइटिस बी का टीका, बैक्टीरिया के अंदर बनाया जाता है, फिर उपयोग के लिए शुद्ध किया जाता है। इसलिए अब हमारे पास विभिन्न प्रकार के टीकों की एक पूरी श्रृंखला है, प्रत्येक को अलग-अलग तरह से बनाया गया है, जो विभिन्न परिस्थितियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। इन सभी टीकों में समानता यह है कि वे एक जीवित कोशिका के अंदर उगाए जाते हैं, इसलिए इसे "प्राकृतिक" माना जा सकता है। एमआरएनए के टीके पहले सिंथेटिक टीके हैं। एमआरएनए एक अस्थायी आनुवंशिक निर्देश है जो हमारी कोशिकाओं को एक विशेष प्रोटीन बनाने के लिए कहता है। इसमें प्रोटीन के लिए आनुवंशिक कोड के साथ एक केंद्रीय भाग होता है और दोनों तरफ छोटे हिस्से होते हैं जो कोड की "पठनीयता" के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। एमआरएनए के टीके प्रतिक्रिया वाहिकाओं (बड़े कंटेनरों) में बनाए जाते हैं, और इसमें पहले एमआरएनए बनाना शामिल होता है, फिर इसे तैलीय कोट में लपेटा जाता है। एमआरएनए बनाने के लिए, हम 1970 के दशक में खोजी गई विधियों का उपयोग करते हैं, जिसे "ट्रांसक्रिप्शन" के रूप में जाना जाता है, जहां एक डीएनए टेम्पलेट की प्रतिलिपि बनाई जाती है, जिससे आनुवंशिक अनुक्रम का एमआरएनए संस्करण बनता है। यह एमआरएनए निर्माण कुछ वैसा ही होता है जैसा हमारी कोशिकाएं जब अपना एमआरएनए बनाती हैं। ‘कृत्रिम’ की चिंता क्यों न करें? कृत्रिम या बनावटी की परिभाषा वह है जहां एक पदार्थ या यौगिक रासायनिक संश्लेषण द्वारा बनाया जाता है, विशेष रूप से एक प्राकृतिक पदार्थ की नकल करने के लिए। यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि, रासायनिक दृष्टिकोण से, एक यौगिक समान रहता है, चाहे वह किसी कोशिका के अंदर किसी जीवित जीव द्वारा बनाया गया हो, या प्रयोगशाला में बनाया गया हो। यदि एक रसायन विशेषज्ञ एक यौगिक को संश्लेषित करता है, और एक जैव रसायनज्ञ उसी यौगिक को एक प्राकृतिक स्रोत से निकालता है, तो वे दोनों यौगिक एक समान ही होते हैं। दरअसल, कोशिकाओं के बाहर एमआरएनए के टीके बनाने की क्षमता तकनीक की ताकतों में से एक है। विकसित होती कोशिकाओं, या वायरस की आवश्यकता को समाप्त करके, कुछ मायनों में यह टीके के उत्पादन को सरल करता है।

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Web Title: Unreasonable concern about Kovid vaccines being 'unnatural' or 'artificial'

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