Burkina Faso: अज्ञात हमलावरों ने बुर्किना फासो के 2 गावों पर किए कई हमले, 44 लोगो की हुई मौत, कई घायल
By आजाद खान | Published: April 9, 2023 07:51 AM2023-04-09T07:51:22+5:302023-04-09T08:18:39+5:30
मामले में बोलते हुए साहेल क्षेत्र के गवर्नर लेफ्टिनेंट कर्नल ने बताया कि हमलवरों ने सेनो प्रांत में कूराकू और तोंदोबी गांवों पर हमला किया है। इस हमले में 44 लोगों की जान चली गई है।
औगाडौगु: उत्तरी बुर्किना फासो में इस्लामिक चरमपंथियों ने कई हमलों में कम से कम 44 लोगों की हत्या कर दी। सरकार ने शनिवार को यह जानकारी दी है। इस हमले में कई लोग घायल भी हुए है जिनका इलाज चल रहा है। ऐसे में हमला करने वाले और इनके इरादे का अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है।
साहेल क्षेत्र के गवर्नर लेफ्टिनेंट कर्नल पी एफ रोडोल्फे सोरगो ने एक बयान में कहा कि जिहादियों ने सेनो प्रांत में कूराकू और तोंदोबी गांवों पर हमला किया। सोरगो ने गुरुवार तथा शुक्रवार को किए गए हमलों को ‘‘घृणित तथा बर्बर’’ बताया है और कहा है कि सरकार इलाके में शांति सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है। यही नहीं उन्होंने लोगों से शांत रहने की भी अपील की है।
क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार, इस हमले में कई लोग घायल भी हुए है जिनका इलाज चल रहा है। बता दें कि इस इलाके में अल कायदा और इस्लामिक स्टेट से जुड़े इस्लामी संगठनों का कब्जा है। ऐसे में यह हमला किसने किया है, उसका अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है। हालांकि इस हमले को लेकर अधिकारियों का दावा है कि सशस्त्र आतंकी समूहों ने इस हमले को अंजाम दिया है।
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, गवर्नर रोडोल्फ सोरघो ने जानकारी देते हुए बताया है कि कौराकोउ में 31 लोगों और तोंडोबी में 13 की मौत हुई है। उन्होंने कहा है कि इस हमले के बाद इलाके में शांति बहाल करने की कोशिश की जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, यह वही जगह है जहां पर पिछले साल जूम में एक हमला हुआ था जिसमें 86 लोगों की मौत हुई थी।
अशांति की शुरुआत हुई थी 2012 से
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के गरीब देशों में से एक माने जाने वाले बुर्किना फासो में पिछले कई सालों से हजारों लोगों की जान गई है और करीब 20 लाख से ज्यादा लोगों को इलाका छोड़कर जाना पड़ा है। हिंसा और अशांति के कारण देश में दो बार तख्तापलट भी हो चुका है। इसके बावजूद भी इलाके में हिंसा रूक नहीं रही है।
ऐसे में रिपोर्ट में यह कहा गया है कि यहां पर आशंति की शुरुआत 2012 से पश्चिम अफ्रीकी देश माली से शुरू हुई थी। इसके बाद इसकी आंच पड़ोसी देश बुर्किना फासो और नाइजर में भी फैल गई थी।