बर्फ पिघलने से तेजी से बढ़ रहा समुद्र का जलस्तर, रहने लायक नहीं रहेंगे कुछ देश: रिपोर्ट

By भाषा | Updated: September 26, 2019 05:53 IST2019-09-26T05:53:59+5:302019-09-26T05:53:59+5:30

आईपीसीसी के उपाध्यक्ष और अमेरिका स्थित राष्ट्रीय सामुद्रिक और पर्यावरणीय प्रशासन के उप सहायक प्रशासक को बेरेट ने कहा, ‘‘ दशकों से समुद्र और क्रायोस्फेयर ऊष्मा को सोख रहे हैं। पर्यावरण और मानवता पर इसका असर गंभीर और विनाशकारी है। 

UN report warns of accelerating sea level rise in a warming world | बर्फ पिघलने से तेजी से बढ़ रहा समुद्र का जलस्तर, रहने लायक नहीं रहेंगे कुछ देश: रिपोर्ट

प्रतीकात्मक फोटो

Highlightsसमुद्र में ऊष्मा बढ़ने के कारण हम पीछे नहीं जा सकते पर रिपोर्ट में कई विनाशकारी प्रभावों के पूर्वानुमान से बच सकते हैं।लेकिन यह इस पर निर्भर करता है कि विश्व कैसे इसका सामना करता है।

संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध महासागर और बर्फ रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से महासागर पहले के अनुमानों से कहीं अधिक तेजी से गर्म हो रहे हैं और उनके जल स्तर में वृद्धि हो रही है, ऑक्सीजन में कमी हो रही है और समु्द्र का पानी तेजी से अम्लीय हो रहा है। बर्फ पिघलने की दर भी अधिक है। 

बुधवार को सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक अगर वैश्विक तापमान में वृद्धि को कम नहीं किया गया तो इस सदी के अंत तक समुद्र के जलस्तर में तीन फुट की बढ़ोतरी हो जाएगी, अम्लीयता बढ़ने से मछलियों की संख्या में कमी आएगी और समुद्र लहरें कमजोर होंगी। वैश्विक स्तर पर बर्फ के जमाव में कमी आएगी। यहां तक समुद्र में उठने वाले चक्रवाती तूफान और घातक होंगे और अल नीनो मौसम प्रणाली में अनिश्चितता बढ़ेगी। 

प्रिंस्टन विश्वविद्यालय में भू विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर और शोध दल का नेतृत्व करने वाले माइकल ओपेनहाइमर ने कहा, ‘‘दुनिया में समुद्र और बर्फ से ढंके इलाके खतरे में हैं और इसका मतलब है कि हम भी खतरे में हैं। बदलाव की गति बढ़ रही है।’’ 

जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की रिपोर्ट में कहा गया कि इस बदलाव से पृथ्वी के 71 फीसदी हिस्से में फैले समुद्र और 10 फीसदी बर्फ से ढके इलाके ही प्रभावित नहीं होंगे बल्कि इससे इंसानों, पेड़-पौधों, जंतुओं, भोजन, समाज, अवसंरचना और वैश्चिक अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी। 

ग्रीन हाउस गैस कार्बन डाइ ऑक्साइड उष्मा को सोखता है इसके अलावा इन गैसों से उत्सर्जित अतिरिक्त 90 फीसदी ऊष्मा को समुद्र सोखते हैं। समुद्र धीरे-धीरे गर्म होते हैं लेकिन यह देर तक गर्म रहते हैं और यह रिपोर्ट पानी और पृथ्वी पर बर्फ से अच्छादित क्षेत्र (क्रायोस्फेयर)से संबंधित है। 

आईपीसीसी के उपाध्यक्ष और अमेरिका स्थित राष्ट्रीय सामुद्रिक और पर्यावरणीय प्रशासन के उप सहायक प्रशासक को बेरेट ने कहा, ‘‘ दशकों से समुद्र और क्रायोस्फेयर ऊष्मा को सोख रहे हैं। पर्यावरण और मानवता पर इसका असर गंभीर और विनाशकारी है। 

पहली बार अंतरराष्ट्रीय टीम के वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि जलवायु संबंधित समुद्र और क्रायोस्फेयर में बदलाव की वजह से कुछ द्वीपीय देश रहने लायक नहीं होंगे।’’ फ्रांसीसी मौसम वैज्ञानिक और रिपोर्ट की प्रमुख लेखक वलेरी मैसन डेलमोंटे ने मोनाको में कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन पहले ही अपरिवर्तनीय है। 

समुद्र में ऊष्मा बढ़ने के कारण हम पीछे नहीं जा सकते पर रिपोर्ट में कई विनाशकारी प्रभावों के पूर्वानुमान से बच सकते हैं लेकिन यह इस पर निर्भर करता है कि विश्व कैसे इसका सामना करता है। उल्लेखनीय है कि आईपीसीसी ने इस सदी के अंत तक महासागरों के जलस्तर में बढ़ोतरी से संबंधित 2013 के पूर्वानुमान में चार इंच की वृद्धि की है। यह पूर्वानुमान ग्रीनलैंड और अंटार्कटिक में बर्फ के पिघलने की गति के ताजा आकलन के आधार पर किया गया है। 

नासा के समुद्र वैज्ञानिक जोश विलिस ने इस पूर्वानुमान पर असहमति जताई है। उन्होंने कहा, ‘‘पूर्व की रिपोर्ट की तरह यह भी पूर्वानुमान के मामले में रूढ़िवादी है, खासतौर पर ग्रीनलैंड और अंटार्कटिक में बर्फ पिघलने के मामले को लेकर।’’ विलिस ने ग्रीनलैंड में बर्फ पिघलने का अध्ययन किया है और इस रिपोर्ट का हिस्सा नहीं है।

Web Title: UN report warns of accelerating sea level rise in a warming world

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