पाक में सेना की आलोचना पर दो साल कैद के कानून का दो वरिष्ठ मंत्रियों ने किया विरोध

By भाषा | Published: April 9, 2021 07:19 PM2021-04-09T19:19:26+5:302021-04-09T19:19:26+5:30

Two senior ministers opposed two-year imprisonment law on criticism of army in Pak | पाक में सेना की आलोचना पर दो साल कैद के कानून का दो वरिष्ठ मंत्रियों ने किया विरोध

पाक में सेना की आलोचना पर दो साल कैद के कानून का दो वरिष्ठ मंत्रियों ने किया विरोध

(सज्जाद हुसैन)

इस्लामाबाद, नौ अप्रैल पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान के मंत्रिमंडल के दो वरिष्ठ सदस्यों ने उस विवादास्पद कानून का विरोध किया है जिसके तहत देश के शक्तिशाली सशस्त्र बलों की किसी भी आलोचना या उनके उपहास को अपराध माना जाएगा। इस कानून के तहत दोषी को दो साल की कैद या 50 हजार रुपये का जुर्माना अथवा दोनों सजा हो सकती है।

पाकिस्तान की एक संसदीय समिति द्वारा बुधवार को कानून को अनुमोदित किये जाने के बाद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी और मानवाधिकार मामलों की मंत्री शिरीन मजारी ने इसका विरोध किया है।

इस कानून को आंतरिक मामलों पर नेशनल असेंबली की स्थायी समिति ने मंजूर किया जबकि विपक्षी दलों ने इस कानून की तीखी आलोचना करते हुए इसे मौलिक अधिकारों के विपरीत करार दिया।

इस प्रस्तावित कानून के खिलाफ सबसे पहले चौधरी ने अपनी आवाज उठाई और इसे एक ट्वीट में हास्यास्पद करार दिया।

उन्होंने कहा, “आलोचना को अपराध बनाए जाने का विचार पूर्णत: हास्यास्पद है, सम्मान हासिल किया जाता है, इसे लोगों पर थोपा नहीं जा सकता, मेरा पुरजोर मानना है कि ऐसे नए कानूनों के बजाय, अदालत की अवमानना कानून को निरस्त किया जाना चाहिए।”

चौधरी के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए मानवाधिकार मामलों की मंत्री शिरीन मजारी ने टिप्पणी की, “पूरी तरह सहमत। इसे और पुरजोर तरीके से नहीं कह सकती।”

पाकिस्तानी दंड संहिता (पीपीसी) में संशोधन के उद्देश्य से लाए गए इस कानून को संसद में सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के सांसद अमजद अली खान ने पेश किया।

हालांकि, इस कानून को लेकर 11 सदस्यीय समिति में मतभेद स्पष्ट रूप से दिखा जब विधेयक में कड़े दंड के प्रावधान का पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने विरोध किया।

विपक्षी दलों का कहना था कि इन संशोधनों का इस्तेमाल देश में अभिव्यक्ति की आजादी पर लगाम लगाने के लिये किया जाएगा।

विधेयक पर पक्ष व विपक्ष में 5-5 मत आए और गतिरोध समिति के अध्यक्ष राजा खुर्रम शहजाद नवाज के मत से टूटा, जो सत्ताधारी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) से आते हैं। आम तौर पर समितियों के अध्यक्ष तटस्थ रहते हैं।

विधेयक में कहा गया है कि सशस्त्र बलों के कर्मियों का जानबूझ कर उपहास, अपमान या अवमानना नहीं की जाएगी और उन्हें निशाना बनाने वालों को दंडित किया जाएगा।

गनीमत यही है कि ऐसे मामलों में मुकदमा नागरिक अदालत में चलेगा, न कि सैन्य अदालत में।

कानून बनने के लिये इस विधेयक को हालांकि अलग से नेशनल असेंबली व सीनेट में पारित करवाना जरूरी है। नेशनल असेंबली में जहां सरकार के पास बहुमत है, वहीं ऊपरी सदन सीनेट में विपक्षी दलों का पलड़ा भारी है।

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Web Title: Two senior ministers opposed two-year imprisonment law on criticism of army in Pak

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