Turkey Syria Earthquake: ऑपरेशन दोस्त के तहत भारत ने भूकंप प्रभावित तुर्किये और सीरिया को 841 कार्टन दवाएं, सुरक्षा सुरक्षा उपकरण और डायग्नोस्टिक्स भेजे हैं। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को जानकारी दी। दवाइयां, कंबल, तंबू और अन्य राहत सामग्री भेजी गई है।
आधिकारिक सूत्रों ने एएनआई को बताया कि भारत ने 841 कार्टन दवा, सुरक्षा सुरक्षा उपकरण और डायग्नोस्टिक्स को 6.19 टन वजन के साथ भेजा है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार सोमवार को 7.8 और 7.5 तीव्रता के भूकंप के बाद 22,000 से अधिक लोग मारे गए हैं।
जो सुरक्षा और सुरक्षा उपकरण भेजे गए हैं, उनमें गाउन, दस्ताने, शू कवर और कैप शामिल हैं। अन्य चिकित्सा सहायता में इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफ़ छह चैनल, सिरिंज पंप और एक फिजियोलॉजिकल मॉनिटर सिस्टम शामिल हैं। भारतीय सेना ने तुर्की के भूकंप प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए 'ऑपरेशन दोस्त' के तहत एक फील्ड अस्पताल स्थापित किया है।
तुर्किये में आए भीषण भूकंप के 100 घंटों से भी अधिक समय के बाद बचाव और राहत कर्मियों ने उस समय राहत की सांस ली जब उन्होंने खराब मौसम और कड़ाके की सर्दी के बावजूद मलबे में कई लोगों को जिंदा निकालने में सफलता हासिल की। बचाए गए लोगों में छह रिश्तेदार भी शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि क्रमश: 7.8 और 7.5 तीव्रता के आए भूकंप के दो बड़े झटकों से तुर्किये और सीरिया में भारी तबाही हुई है और 22 हजार से भी अधिक लोगों की मौत हुई है। तुर्किये के इस्केंदेरुन में बचावक्रमियों ने मलबे के नीचे 101 घंटे तक दबे रहे छह लोगों को शुक्रवार सुबह जिंदा निकाल लिया।
वहीं, एक किशोर को भी सुरक्षित निकाला गया जो अपना पेशाब पीकर जिंदा रहा और साथ ही एक चार साल के बच्चे को भी निकाला गया है। एक खोज और बचावकर्मी मूरत बेगुल ने बताया कि इन छह लोगों को ध्वस्त इमारत के भीतर बची एक छोटी सी जगह में एक साथ रहने से जीवित बच पाने में मदद मिली। सभी छह लोग रिश्तेदार हैं।
इस भूकंप से मरने वाले लोगों की तादाद जापान के फुकुशिमा में आए भूकंप और सुनामी से होने वाली मौतों की संख्या से भी अधिक हो गई है और मलबों से शवों का निकलने का सिलसिला जारी है जिससे हताहतों की संख्या और बढ़ने की आशंका हैं भूकंप के चार दिनों के बाद भूकंप के केंद्र रहे गैजियांतेप स्थित एक मकान की इमारत से बचाव कर्मियों ने 17 वर्षीय अदनान मुहम्मद कोरकुत को जिंदा निकाला।
वह, 94 घंटे से मलबे में दबा था और अपना ही पेशाब पीकर जिंदा रहा। कोरकुत ने कहा, ‘‘ईश्वर का शुक्र है कि आप (बचावकर्मी) आए।’’ उसकी मां और अन्य ने उसे तब चूमा जब कोरकुत को एंबुलेंस में ले जाया जा रहा था। इस बीच, अदियामान में बचावकर्मियों ने भूकंप में दबे रहने के करीब 105 घंटे बाद चार साल के योगिज कोमसु नामक बच्चे को जिंदा निकाला।
बचाव कार्य का सजीव प्रसारण करने वाले हाबेर तुर्क के मुताबिक बच्चे को निकालने के बाद उसकी मां को मलबे से निकाले की कोशिश शुरू कर दी गई है। बचाव कर्मियों ने बच्चे को बाहर निकालने के बाद भीड़ से खुशी में शोर नहीं मचाने को कहा क्योंकि बच्चा सहमा हुआ था।