काबुल में तालिबान ने किया हमला, अमेरिकी दूतावास के पास फिदायीन विस्फोट, 10 लोगों की मौत, 42 जख्मी
By भाषा | Published: September 5, 2019 06:34 PM2019-09-05T18:34:21+5:302019-09-05T18:34:21+5:30
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता नसरत रहिमी ने कहा कि हमले में 42 लोग जख्मी हुए हैं और 12 वाहन नष्ट हो गए हैं। तालिबान ने कहा कि उसने ‘विदेशियों’ की गाड़ियों को निशाना बनाया है। उन्होंने भारी सुरक्षा व्यवस्था वाले शश दरक इलाके में घुसने की कोशिश की जहां अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा विभाग का दफ्तर है।
अफगानिस्तान के काबुल में राजनयिक क्षेत्र में तालिबान के एक फिदायीन ने कार बम से विस्फोट कर दिया जिसमें कम से कम 10 असैन्य लोगों की मौत हो गई।
इस राजनयिक क्षेत्र में अमेरिकी दूतावास भी है। इस हफ्ते यह दूसरा हमला है। अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते को अंतिम रूप दिया जाने के दौरान यह विस्फोट हुआ है। अफगान सरकार ने कहा कि यह समझौता जल्दबाजी में हो रहा है।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता नसरत रहिमी ने कहा कि हमले में 42 लोग जख्मी हुए हैं और 12 वाहन नष्ट हो गए हैं। तालिबान ने कहा कि उसने ‘विदेशियों’ की गाड़ियों को निशाना बनाया है। उन्होंने भारी सुरक्षा व्यवस्था वाले शश दरक इलाके में घुसने की कोशिश की जहां अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा विभाग का दफ्तर है।
नाटो रेजुलेट सपोर्ट मिशन का दफ्तर भी घटनास्थल के पास है और ब्रिटिश सैनिक नाटो के नष्ट हो चुके वाहन को हटा रहे थे। बहरहाल, नाटो मिशन और ब्रिटिश उच्चायोग ने विस्फोट पर कोई टिप्पणी नहीं की है। स्थानीय अस्पताल में घायल निज़ामुद्दीन खान ने बताया कि उन्हें यह याद नहीं है कि उन्हें अस्पताल कौन लेकर आया।
इस विस्फोट से पहले, सोमवार देर शाम एक विदेशी परिसर को तालिबान ने निशाना बनाया था जिसमें कम से कम 16 लोगों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा जख्मी हुए थे। इनमें तकरीबन सभी स्थानीय असैन्य लोग थे। अमेरिकी दूत ज़लमी खलीलज़ाद इस हफ्ते काबुल में हैं।
वह अफगानिस्तान के राष्ट्रपति और अन्य अधिकारियों को अमेरिका-तालिबान के बीच समझौते के बाबत जानकारी देने के लिए आए हुए हैं। यह समझौता करीब 18 साल की जंग को खत्म करेगा। उन्होंने कहा कि समझौते को असलियत बनने के लिए सिर्फ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मंजूरी मिलने की जरूरत है।
अफगान सरकार ने इस समझौते को लेकर गंभीर चिंताएं प्रकट की हैं। बृहस्पतिवार को हुए विस्फोट के बाद फिर से चिंता जताई गई है। राष्ट्रपति के सलाहकार वहीद उमर ने पत्रकारों से कहा कि यह समझौता जल्दबाजी में हो रहा है। उन्होंने कहा कि मुश्किल दिन आने वाले हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि इस सांप ने पहले भी अफगान लोगों को डसा है। उमर ने यह टिप्पणी पुराने समझौते के संदर्भ में की। पहले की ही तरह अब भी अफगान सरकार को अलग रखा गया है।