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कुरान जलाने की घटना पर स्वीडिश विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया, मुस्लिम देशों के विरोध का जवाब दिया

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: July 3, 2023 17:32 IST

इस घटना के बाद कई देशों में स्वीडन के दूतावास पर हमले और प्रदर्शन हुए हैं। स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टर्शन ने दूतावासों पर हमले की निंदा की है लेकिन साथ ही कहा है कि स्वीडन को अब अपनी पहचान पर विचार करने का समय आ गया है।

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ठळक मुद्देकुरान जलाने की घटना के बाद से ही स्वीडन मुस्लिम देशों के निशाने पर हैकई देशों में स्वीडन के दूतावास पर हमले और प्रदर्शन हुए हैंस्वीडिश विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है

नई दिल्ली: स्टॉकहोम सेंट्रल मस्जिद के सामने कुरान जलाने की घटना के बाद से ही स्वीडन मुस्लिम देशों के निशाने पर है। इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) की प्रतिक्रिया और सऊदी अरब, तुर्की, ईरान, ईराक, पाकिस्तान जैसे देशों के कड़े विरोध के बाद स्वीडिश विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है।

अपने बयान में स्वीडन ने कहा है कि हम इन कृत्यों की कड़ी निंदा करते हैं। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि  स्वीडन में प्रदर्शनों के दौरान कुछ व्यक्तियों के इस्लामोफोबिक कृत्य मुसलमानों के लिए अपमानजनक हो सकता हैं। ये कृत्य  किसी भी तरह से स्वीडिश सरकार के विचारों को प्रदर्शित नहीं करते हैं।

इससे पहले इस्लामिक देशों के संगठन OIC ने कहा था कि यह घृणित कृत्य पवित्र कुरान और अन्य इस्लामी मूल्यों, प्रतीकों उसकी पवित्रता का उल्लंघन का प्रयास है। ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन ने सभी देशों से  संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के तहत सार्वभौमिक रूप से सभी लोगों के लिए मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की अपील की थी।

कुरान जलाने की घटना से नाराज ईरान सरकार ने अपना नया राजदूत स्वीडन भेजने से इनकार कर दिया है वहीं सऊदी अरब ने भी स्वीडन के राजदूत को क़ुरान जलाने के मामले में समन किया है।

बता दें कि स्वीडन में स्टॉकहोम सेंट्रल मस्जिद के सामने बकरीद के मौके पर  इराक में पैदा हुए एक शरणार्थी ने कुरान जला दी थी। इसके बाद से ही पूरे देश में तनाव फैल गया। स्वीडन की पुलिस ने कुरान जलाने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार कर  जातीय और राष्ट्रीय समूह के खिलाफ अशांति फैलाने का मामला दर्ज किया है।

स्वीडन में इससे पहले भी ऐसी घटना हो चुकी है और बकरीद के मौके पर हुई घटना ने देश की मुश्किल बढ़ा दी है। दरअसल स्वीडन लंबे समय से नाटो का सदस्य बनना चाहता है। हालांकि नाटो का सदस्य तुर्की इसके खिलाफ है और हलिया घटना के बाद तुर्की स्वीडन पर और ज्यादा हमलावर हो गया है। 

इस घटना के बाद कई देशों में स्वीडन के दूतावास पर हमले और प्रदर्शन हुए हैं। स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टर्शन ने दूतावासों पर हमले की निंदा की है लेकिन साथ ही कहा है कि स्वीडन को अब अपनी पहचान पर विचार करने का समय आ गया है।

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