PM मोदी का संयुक्त राष्ट्र में सुधारों पर जोर, कहा- कुछ ताकतवर देश इसे संघर्ष सुलझाने बजाय औजार की तरह कर रहे हैं इस्तेमाल
By भाषा | Published: October 30, 2019 06:04 AM2019-10-30T06:04:48+5:302019-10-30T06:04:48+5:30
हाई-प्रोफाइल ‘फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशिएटिव’ (एफआईआई) में मुख्य भाषण देने वाले मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे किसी निकाय को एक संस्थान ही नहीं, बल्कि सकारात्मक बदलाव लाने का जरिया भी होना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार पर मंगलवार को जोर दिया। उन्होंने इस बात पर खेद प्रकट किया कि कुछ “ताकतवर’’ देश संयुक्त राष्ट्र को संघर्ष सुलझाने की "संस्था" के रूप में इस्तेमाल करने की बजाय एक "औजार" की तरह उपयोग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने 'ब्रिजवॉटर एसोसिएट्स' के संस्थापक, सह-अध्यक्ष और सह मुख्य निवेश अधिकारी रे डेलियो के साथ चर्चा के दौरान कहा कि संयुक्त राष्ट्र का विवाद सुलझाने की संस्था के रूप में उस तरह विकास नहीं हुआ है जैसा कि होना चाहिये था और सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र की संरचना में सुधार के बारे में सोचना चाहिये।
हाई-प्रोफाइल ‘फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशिएटिव’ (एफआईआई) में मुख्य भाषण देने वाले मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे किसी निकाय को एक संस्थान ही नहीं, बल्कि सकारात्मक बदलाव लाने का जरिया भी होना चाहिए।
उन्होंने किसी देश का नाम लिए बिना कहा, “कुछ ताकतवर देश संयुक्त राष्ट्र को संस्थान के तौर पर नहीं, बल्कि औजार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ कानून को नहीं मान रहे, कुछ कानून के बोझ तले दबे हुए हैं। दुनिया को कानून का पालन करना होगा।” प्रधानमंत्री ने कहा, "हमें यह सोचना होगा कि संघर्षों के समाधान की जब बात आती है तो क्या संयुक्त राष्ट्र ने अपनी भूमिका सही परिप्रेक्ष्य में अदा की। मैंने संयुक्त राष्ट्र के 70 साल पूरे होने पर यह मुद्दा उठाया था लेकिन इस पर ज्यादा चर्चा नहीं हो सकी। मुझे उम्मीद है कि इस विषय पर संयुक्त राष्ट्र के 75 साल पूरे होने पर ज्यादा सक्रियता से चर्चा होगी।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में 21वीं सदी की वास्तविकताओं के अनुसार सुधार होना चाहिये। साथ ही संयुक्त राष्ट्र को दुर्घटनाओं एवं प्राकृतिक आपदाओं के समय सहायता मुहैया कराने तक ही खुद को सीमित नहीं करना चाहिये।
भारत लगातार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का आह्वान करता रहा है, ताकि वैश्विक निकाय को ज्यादा समावेशी एवं प्रतिनिधित्व आधारित बनाया जा सके। भारत जी4 राष्ट्रों का हिस्सा है जिसमें ब्राजील, जर्मनी और जापान भी शामिल हैं जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी स्थान के लिए एक-दूसरे के पक्ष का समर्थन करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, “पहले विस्तार की प्रवृत्ति ताकत को परिभाषित करती थी। आज विकासोन्मुखी राजनीति, नवप्रवर्तन की तलाश ताकत को परिभाषित कर रही है।” उन्होंने कहा कि विश्व बहुत तेज गति से बदल रहा है और यह जल, थल, वायु तथा अंतरिक्ष के युद्धक्षेत्रों में बदलने से साफ जाहिर होता है।
मोदी ने कहा, “द्विध्रुवीय विश्व का वक्त चला गया है। हम ऐसे समय में रह रहे हैं जहां हर राष्ट्र एक-दूसरे से जुड़ा हुआ और एक-दूसरे पर निर्भर है। इस वक्त बहु-ध्रुवीय व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है। आज प्रत्येक राष्ट्र महत्त्वपूर्ण है।”