श्रीलंका मंत्रिमंडलः राजपक्षे परिवार के चार सदस्य मंत्री बने, राष्ट्रपति गोटाबाया ने रक्षा अपने पास रखा, वित्त मंत्रालय दिया भाई को

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 12, 2020 04:31 PM2020-08-12T16:31:45+5:302020-08-12T18:02:13+5:30

कैंडी शहर में मंत्रिमंडल के सदस्यों ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और उनके बड़े भाई एवं प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे की उपस्थिति में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति के बड़े भाई महिंदा राजपक्षे को वित्त मंत्रालय सहित तीन मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

Sri Lanka’s new Cabinet sworn in President Rajapaksa retains Defence Ministry PM Rajapaksa takes Finance | श्रीलंका मंत्रिमंडलः राजपक्षे परिवार के चार सदस्य मंत्री बने, राष्ट्रपति गोटाबाया ने रक्षा अपने पास रखा, वित्त मंत्रालय दिया भाई को

राजपक्षे नीत एसएलपीपी ने पिछले हफ्ते हुए संसदीय चुनाव में 225 सदस्यीय संसद की रिकार्ड 145 सीटों पर जीत दर्ज की।

Highlightsमहिंदा के बड़े बेटे नमल राजपक्षे को युवा मामले एवं खेल मंत्री बनाया गया है, 2010 में उनके संसद में प्रवेश करने के बाद पहली बार उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिली है। श्रीलंका की मीडिया में आई खबर के मुताबिक राष्ट्रपति के सबसे बड़े भाई चमल राजपक्षे को भी मंत्रिमंडल में जगह मिली है। आंतरिक सुरक्षा मामलों के राज्य मंत्री भी रहेंगे। उनके बेटे, शीषेंद्र राजपक्षे को राज्य मंत्री पद दिया गया है।

कोलंबोः श्रीलंका के नये मंत्रिमंडल ने बुधवार को शपथ ली, जिसमें शक्तिशाली राजपक्षे परिवार के चार सदस्य शामिल हैं। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने रक्षा मंत्रालय अपने पास ही रखा है, जबकि वित्त मंत्रालय का प्रभार नव निर्वाचित प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को दिया गया है।

पिछले हफ्ते संसदीय चुनाव में राजपक्षे की पार्टी को शानदार जीत मिली थी। शपथ ग्रहण समरोह कैंडी शहर में हुआ। राष्ट्रपति गोटाबाया ने मंत्रिमंडल के 28 सदस्यों को पद की शपथ दिलाई। हालांकि, संविधान के मुताबिक यह संख्या 30 तक हो सकती है। उन्होंने 40 राज्य मंत्री भी नियुक्त किये।

कैंडी शहर में मंत्रिमंडल के सदस्यों ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और उनके बड़े भाई एवं प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे की उपस्थिति में शपथ ग्रहण किया। राष्ट्रपति गोटाबाया ने रक्षा मंत्रालय अपने पास ही रखा है, जबकि उनके बड़े भाई एवं प्रधानमंत्री महिंदा को वित्त, शहरी विकास और बौद्ध मामलों के मंत्रालय का प्रभाार दिया गया।

महिंदा के बड़े बेटे नमल राजपक्षे को युवा मामले एवं खेल मंत्री बनाया गया

महिंदा के बड़े बेटे नमल राजपक्षे को युवा मामले एवं खेल मंत्री बनाया गया है, 2010 में उनके संसद में प्रवेश करने के बाद पहली बार उन्हें मंत्रिमंडल (कैबिनेट) में जगह मिली है। श्रीलंका की मीडिया में आई खबर के मुताबिक राष्ट्रपति के सबसे बड़े भाई चमल राजपक्षे को भी मंत्रिमंडल में जगह मिली है। साथ ही वह आंतरिक सुरक्षा मामलों के राज्य मंत्री भी रहेंगे।

उनके बेटे, शीषेंद्र राजपक्षे को राज्य मंत्री पद दिया गया है। मंत्रिमंडल की एक मुख्य विशेषता यह है कि प्रख्यात नेता दिनेश गुनवर्द्धना को फिर से विदेश मंत्री नियुक्त किया गया है, जबकि क्षेत्रीय सहयोग का एक राज्य मंत्रालय भी सृजित किया गया है जो विदेश मंत्रालय से संबद्ध होगा।

पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना को कैबिनेट मंत्री का पद देने में अनदेखी की गई

दिलचस्प है कि पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना को कैबिनेट मंत्री का पद देने में अनदेखी की गई है, जबकि उन्होंने चुनाव में अपने उत्तर मध्य गृह क्षेत्र में शानदार जीत दर्ज की थी। राष्ट्रपति गोटाबाया ने अपने वकील को न्याय मंत्री बनाया है अली सब्री गोटाबाया के लिये उस वक्त अदालत में पेश हुए थे जब वह भ्रष्टाचार के मामलों में अदालती मुकदमों का सामना कर रहे थे।

मंत्रिमंडल में जगह पाने वाले नव निर्वाचित सांसदों में सिर्फ सब्री ही एकमात्र नया चेहरा हैं। राजपक्षे नीत श्री लंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) ने पिछले हफ्ते हुए संसदीय चुनाव में 225 सदस्यीय संसद की रिकार्ड 145 सीटों पर जीत दर्ज की। संसद का प्रथम सत्र 20 अगस्त को होने वाला है।

सिंगापुर के अलावा श्रीलंका एशिया के उन गिने-चुने देशों में शामिल है, जहां कोरोना वायरस महामारी के बीच आम चुनाव हुए हैं। राजपक्षे परिवार का श्रीलंका की राजनीति में दो दशकों से वर्चस्व रहा है। राष्ट्रपति गोटाबाया ने नवंबर में हुआ राष्ट्रपति चुनाव एसएलपीपी के टिकट पर जीता था।

उन्होंने मार्च में संसद भंग कर दी और मध्यावधि चुनाव की घोषणा की। महिंदा 2005 से 2015 के दौरान देश के कार्यकारी राष्ट्रपति रहे थे। उस दौरान मानवाधिकार हनन के, खासतौर पर अल्पसंख्यक तमिलों के खिलाफ, उन पर आरोप लगे थे। लिट्टे को 2009 में शिकस्त देकर देश में तीन दशक से चले आ रहे गृह युद्ध को समाप्त करने के उनके कार्यों को लेकर सिंहला बहुसंख्यक समुदाय में उनका अच्छा खासा प्रभाव है।

श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने यूएनपी नेतृत्व से इस्तीफा देने का फैसला लिया

श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने गत पांच अगस्त को चुनाव में यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) की हार के बाद पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का सोमवार को निर्णय लिया। पार्टी के महासचिव अकिला विराज करियावासम ने पत्रकारों को बताया कि विक्रमसिंघे (70) ने इस्तीफा देने का फैसला किया है।

करियावासम ने इस पद के लिए खुद और तीन अन्य संभावित दावेदारों के नाम बताये है। विक्रमसिंघे दिसम्बर 1994 से पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं। प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के नेतृत्व वाली श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) के संसदीय चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद उन्होंने यह फैसला लिया।

एसएलपीपी ने पांच अगस्त को हुए आम चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की और 225 सदस्यीय संसद में दो-तिहाई बहुमत हासिल किया। एसएलपीपी सरकार के सदन में 150 सदस्य हैं और विपक्षी सदस्यों की संख्या 75 है। 

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