श्रीलंका: राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने विपक्षी दल एसजेबी को भेजा था अंतरिम सरकार में शामिल होने का न्योता, एसजेबी ने प्रस्ताव ठुकराया

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 8, 2022 04:11 PM2022-05-08T16:11:40+5:302022-05-08T16:16:23+5:30

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने मुख्य विपक्षी दल समागी जन बालवेग्या (एसजेबी) को अंतरिम सरकार में शामिल होने का प्रस्ताव भेजा था लेकिन एसजेबी प्रमुख प्रेमदासा ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।

Sri Lanka: President Gotabaya Rajapaksa sent an invitation to the opposition party SJB to join the interim government, SJB rejected the offer | श्रीलंका: राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने विपक्षी दल एसजेबी को भेजा था अंतरिम सरकार में शामिल होने का न्योता, एसजेबी ने प्रस्ताव ठुकराया

श्रीलंका: राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने विपक्षी दल एसजेबी को भेजा था अंतरिम सरकार में शामिल होने का न्योता, एसजेबी ने प्रस्ताव ठुकराया

Highlightsष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने विपक्षी दल एसजेबी को अंतरिम सरकार में शामिल होने का प्रस्ताव भेजाएसजेबी के प्रमुख साजिथ प्रेमदासा ने राजपक्षे सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है वहीं श्रीलंका में दूसरी बार आपातकाल लगा चुके राष्ट्रपति राजपक्षे सत्ता छोड़ने के लिए तैयार नहीं है

कोलंबो: साल 1948 में मिली आजादी के बाद से अब तक के सबसे भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में सत्ता के शीर्ष पर बैठे हुए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने मुख्य विपक्षी दल समागी जन बालवेग्या (एसजेबी) को प्रस्ताव भेजा ता कि वो संकट की घड़ी में वो सरकार में शामिल होकर श्रीलंका को इस विकट स्थिति से उबारने का प्रयास करें।

लेकिन मिल रही जानकारी के मुताबिक विपक्षी दल एसजेबी के प्रमुख साजिथ प्रेमदासा ने रविवार को ऐसान किया कि वो मौजूदा आर्थिक और राजनीतिक अनिश्चितता के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व प्रस्ताव को अस्वीकार करते हैं।

प्रेस को इस मामले में सूचना देते हुए एसजेबी के राष्ट्रीय आयोजक टिस्सा अतनायके ने कहा, "हमारे नेता प्रेमदासा ने राष्ट्रपति के प्रस्ताव को स्वीकार करने से स्पष्ट इनकार कर दिया है।"

इस घटनाक्रम से पहले राष्ट्रपति राजपक्षे ने अंतरिम सरकार बनाने की संभावना पर विचार करने के लिए एसजेबी प्रमुख प्रेमदासा और एसजेबी के  आर्थिक सलाहकार हर्ष डी सिल्वा को फोन किया था।

उसके बाद एसजेबी ने शनिवार को घोषणा की कि वो बार एसोसिएशन ऑफ श्रीलंका से बात करके सत्ता पक्ष के दिये प्रस्ताव पर विचार करेंगे।

मालूम हो कि साल 2020 में राजपक्षे ने सत्ता की निरंकुश शक्तियां प्राप्त करने के लिए संविधान में 20वां संशोधन किया था, जिसे एसजेबी द्वारा बार-बार निरस्त किये जाने की मांग की जाती है।

बार एसोसिएशन ऑफ श्रीलंका (बीएएसएल) राजपक्षे सरकार से संविधान में 19वें संशोधन की बहाली की मांग कर रहा है, जिसके जरिये संसद को राष्ट्रपति से ज्यादा शक्तियां हासिल होती हैं। इस मामले में एसजेबी नेता हरिन फर्नांडो ने कहा कि बीएएसएल के साथ इस संबंध में चर्चा करेंगे।

साल 2015 में किये गये संविधान संशोधन के जरिये 19A में बदलाव किये गये, जिससे संसद को सशक्त बनाकर राष्ट्रपति की शक्तियों को कम कर दिया। हालांकि साल नवंबर 2019 में चुनाव जीतने के बाद राष्ट्रपति गोटवाया राजपक्षे ने संविधान के 19A को समाप्त कर दिया था।

इस बीच पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने भी शनिवार को एसजेबी प्रमुख प्रेमदासा से मुलाकात की और उनसे अपील की वो राजपक्षे के नेतृत्व में अंतरिम सरकार में शामिल हो जाएं।

वहीं इस सब मामलों से पहले एसजेबी के 55 साल के अध्यक्ष प्रेमदासा पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि वह गोटाबाया और उनके भाई महिंदा राजपक्षे के नेतृत्व वाली किसी भी सरकार में नहीं शामिल होंगे।

श्रीलंका में बीते एक महीने से जनता का विरोध झेल रही राजपक्षे सरकार ने वहां दोबारा आपातकाल लागू कर दिया है। मौजूदा समय में श्रीलंका सरकार के पास वस्तुओं के आयात के लिए पैसे खत्म हो गए हैं, जिसके कारण देश में आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। इसके अलावा देश में ईंधन, दवाओं और बिजली आपूर्ति में भारी कमी है।

वहीं जनता द्वारा बढ़ते दबाव के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके बड़े भाई और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने सत्ता छोड़ने से इनकार कर दिया है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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