पुतिन के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट के बाद रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष की ICC जजों को धमकी, जानें क्या कहा
By मनाली रस्तोगी | Published: March 21, 2023 11:01 AM2023-03-21T11:01:32+5:302023-03-21T11:02:50+5:30
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय की ओर से युद्ध अपराध के आरोप में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। ऐसे में रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने आईसीसी जजों को धमकी दी।

(फोटो क्रेडिट- ANI)
मॉस्को: अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय की ओर से युद्ध अपराध के आरोप में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। ऐसे में रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने सोमवार को कहा कि पुतिन के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी करने के अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के फैसले के अंतरराष्ट्रीय कानून के लिए विनाशकारी परिणाम होंगे। एएनआई ने TASS के हवाले ये जानकारी दी।
टेलीग्राम पर उन्होंने कहा, "उन्होंने एक परमाणु शक्ति के राष्ट्रपति को निशाने पर लेने का फैसला किया जो अमेरिका और कुछ अन्य देशों के समान कारणों से आईसीसी का पक्षकार नहीं है। यह स्पष्ट है कि निर्देश सबसे कठोर संभव था। आईसीसी जजों को एक बड़ी परमाणु शक्ति के खिलाफ हाथ नहीं उठाना चाहिए था। मुझे डर है हर कोई भगवान और मिसाइलों के प्रति जवाबदेह है।"
उन्होंने ये भी कहा, "यह कल्पना करना बहुत संभव है कि उत्तरी सागर में एक रूसी युद्धपोत से हाइपरसोनिक ओनिक्स ने हेग में अदालत की इमारत पर कैसे हमला किया। इसे नीचे नहीं गिराया जा सकता, मुझे डर है। अदालत सिर्फ एक दयनीय अंतरराष्ट्रीय संगठन है, नाटो देश के लोग नहीं। इसलिए वे युद्ध शुरू नहीं करेंगे। वे डर जाएंगे और किसी को खेद नहीं होगा।"
उन्होंने न्यायाधीशों से "आसामन को करीब से देखने" का आग्रह किया। रूसी एजेंसी TASS के अनुसार, दिमित्री मेदवेदेव ने आगे कहा, "यह स्पष्ट है कि इसका कोई व्यावहारिक मूल्य नहीं है लेकिन आपके विचारों के लिए धन्यवाद। लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानून के परिणाम विनाशकारी होंगे। इसका अर्थ है नींव का पतन, और कानून के सिद्धांत, जिसमें सजा की अनिवार्यता का सिद्धांत भी शामिल है।"
उन्होंने कहा, "अब कोई भी अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की ओर रुख नहीं करेगा। सब आपस में समझौते कर रहे होंगे। संयुक्त राष्ट्र और अन्य संगठनों के सभी मूर्खतापूर्ण निर्णय सीम पर फूटेंगे। अंतरराष्ट्रीय संबंधों की पूरी प्रणाली का एक काला पतन आ रहा है। भरोसा खत्म हो गया है।"