भारत और रूस के सैनिकों की संयुक्त तैनाती चाहते हैं पुतिन, समझौते का प्रस्ताव जल्द ही मिलेगा, अपने प्रधानमंत्री को सौंपी बातचीत की जिम्मेदारी
By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: June 26, 2024 15:20 IST2024-06-26T15:18:22+5:302024-06-26T15:20:01+5:30
रूस के नए मसौदा प्रस्ताव में सैनिकों युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों की संयुक्त तैनाती शामिल है। यह तैनाती संभावित रूप से एक-दूसरे के क्षेत्रों में हो सकती है। हालांकि भारत पारंपरिक रूप से संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के शांति मिशनों के बाहर ऐसे समझौतों से परहेज करता रहा है।

भारत-रूस रक्षा संबंध दीर्घकालिक और मजबूत हैं
नई दिल्ली: रक्षा क्षेत्र में भारत का सदाबहार सहयोगी रूस अब इस पार्टनरशिप को नए मुकाम पर ले जाना चाहता है। रूस ने घोषणा की है कि वह भारत के साथ नए स्तर के सैन्य सहयोग पर विचार कर रहा है। इसमें सैनिकों की संयुक्त तैनाती और लाजिस्टिक्स की आपूर्ति पर एक समझौता शामिल है। रूसी प्रधान मंत्री मिखाइल मिशुस्टिन ने अपने देश के रक्षा मंत्रालय को भारत के साथ इस प्रस्ताव के विवरण पर बातचीत करने का काम सौंपा है।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार रूस के नए मसौदा प्रस्ताव में सैनिकों युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों की संयुक्त तैनाती शामिल है। यह तैनाती संभावित रूप से एक-दूसरे के क्षेत्रों में हो सकती है। हालांकि भारत पारंपरिक रूप से संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के शांति मिशनों के बाहर ऐसे समझौतों से परहेज करता रहा है। वर्तमान में भारतीय सशस्त्र बल दो दर्जन से अधिक देशों के साथ अभ्यास और रक्षा सहयोग में संलग्न हैं। लेकिन भारत ने अब तक संयुक्त सैन्य तैनाती के लिए किसी देश से समझौता नहीं किया है।
भारत अमेरिका के साथ लॉजिस्टिक्स समर्थन समझौता कर चुका है। भारत ने 2016 में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ ये समझौता किया था। इसके तहत लड़ाकू विमानों में ईंधन भरने, मरम्मत और पुनः आपूर्ति के लिए एक-दूसरे के नौसैनिक और सैन्य अड्डों का उपयोग किया जा सकता है। भारत का फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ इसी तरह का समझौता है। रूस के साथ कोई समझौता अभी तक नहीं हो पाया है।
भारत-रूस रक्षा संबंध दीर्घकालिक और मजबूत हैं। आर्कटिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर रूस के साथ संभावित लॉजिस्टिक्स समर्थन समझौता विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। भारत इस भू-राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में उपस्थिति स्थापित करने का इच्छुक है। आर्कटिक में रूसी सैन्य सुविधाओं तक पहुंच से इस क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति और परिचालन पहुंच में काफी वृद्धि होगी।
भारत के साथ संभावित सैन्य तैनाती और लॉजिस्टिक्स सहयोग की घोषणा ऐसे समय में हुई है जब रूस वैश्विक स्तर पर अपने रणनीतिक गठबंधनों को बढ़ा रहा है। हाल ही में, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उत्तर कोरिया के साथ एक विशेष रणनीतिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें किसी भी देश पर हमले की स्थिति में पारस्परिक रक्षा का वादा किया गया। पीएम मोदी अगले महीने वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन के लिए मास्को जा रहे हैं और वर्ष के अंत में रूस में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इस दौरे में ये महत्वपूर्ण चर्चा भी हो सकती है।