लेखक एवं स्तंभकार की जेल में मौत होने पर ढाका में प्रदर्शन

By भाषा | Updated: February 26, 2021 16:49 IST2021-02-26T16:49:30+5:302021-02-26T16:49:30+5:30

Protest in Dhaka after writer and columnist dies in jail | लेखक एवं स्तंभकार की जेल में मौत होने पर ढाका में प्रदर्शन

लेखक एवं स्तंभकार की जेल में मौत होने पर ढाका में प्रदर्शन

ढाका, 26 फरवरी (एपी) बांग्लादेश में डिजिटल सुरक्षा कानून का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार एक लेखक एवं स्तंभकार की जेल में मौत हो जाने पर शुक्रवार को राजधानी ढाका में एक व्यस्त चौराहे को प्रदर्शनकारियों ने अवरूद्ध कर दिया।

बांग्लादेश के इस कानून को आलोचकों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने वाला बताया है।

मुश्ताक अहमद (53) को सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने को लेकर पिछले साल मई में गिरफ्तार कर लिया गया था। दरअसल, उन्होंने कोरोना वायरस महामारी से निपटने में प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के तौर-तरीकों की आलोचना की थी।

अहमद की जमानत याचिका कम से कम छह बार नामंजूर कर दी गई थी।

हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि बृहस्पतिवार को अहमद की मौत कैसे हुई। गृह मंत्री असदुज्जमान खान ने शुक्रवार को कहा कि घटना की जांच की जाएगी।

इस बीच, सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी ढाका विश्वविद्यालय परिसर के पास जुट गये, जबकि कई अन्य ने सोशल मीडिया पर अपना रोष प्रकट किया। प्रदर्शनकारियों ने डिजिटल कानून रद्द करने की मांग की और ‘हम न्याय चाहते हैं’ का नारा लगाया।

मानवाधिकार संगठनों, ह्यूमन राइट्स वाच और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बांग्लादेश से मामले की जांच करने का अनुरोध किया है। न्यूयार्क की ‘कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स’ (सीपीजे) ने भी यह मांग की है कि बांग्लादेश सरकार को यह कानून रद्द करना चाहिए और अहमद की मौत की जांच करनी चाहिए।

पुलिस का आरोप है कि अहमद ने राष्ट्र की छवि धूमिल करने की कोशिश की या भ्रम फैलाया।

गौरतलब है कि 2014 के डिजिटल सुरक्षा कानून के तहत बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम, इसके संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान, राष्ट्रगान या राष्ट्रध्वज के खिलाफ किसी तरह का दुष्प्रचार करने पर 14 साल तक की कैद की सजा का प्रावधान किया गया है। सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने या लोक व्यवस्था में विघ्न डालने पर 10 साल तक की कैद की सजा का भी इसमें प्रावधान किया गया है।

सीपीजे ने एक बयान में एक सह आरोपी एवं राजनीतिक काटूर्निस्ट कबीर किशोर को जेल से रिहा करने की मांग की है। उन्हें पिछले साल गिरफ्तार किया गया था।

सीपीजे के एशिया मामलों के वरिष्ठ शोधार्थी ने कहा, ‘‘बांग्लादेश सरकार को अहमद की मौत की स्वतंत्र जांच की अनुमति देनी चाहिए।

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Web Title: Protest in Dhaka after writer and columnist dies in jail

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