प्रिंस एंड्रयू: ब्रितानी शाही परिवार का महिलाओं की पीड़ा को दरकिनार करने का एक पुराना इतिहास रहा है

By भाषा | Updated: August 15, 2021 12:06 IST2021-08-15T12:06:34+5:302021-08-15T12:06:34+5:30

Prince Andrew: The British royal family has a long history of sidelining women's suffering | प्रिंस एंड्रयू: ब्रितानी शाही परिवार का महिलाओं की पीड़ा को दरकिनार करने का एक पुराना इतिहास रहा है

प्रिंस एंड्रयू: ब्रितानी शाही परिवार का महिलाओं की पीड़ा को दरकिनार करने का एक पुराना इतिहास रहा है

(लांसेस्टर विश्वविद्यालय में मीडिया विषय की लेक्चरर लौरा क्लैंसी)

लंदन, 15 अगस्त (द कन्वरसेशन) ब्रिटेन के राजकुमार एंड्रयू ने नाबालिगों की तस्करी और यौन उत्पीड़न के दोषी जेफरी एपस्टीन के साथ मित्रता के कारण खुद पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों को कई बार खारिज किया है। एपस्टीन पर आरोप लगाने वाली एक महिला ने अब एंड्रयू पर आरोप लगाया है कि उन्होंने तीन बार उसका यौन उत्पीड़न किया। इस मामले में एंड्रयू के खिलाफ न्यूयॉर्क में दीवानी मुकदमा चल रहा है।

इस बारे में विरोधाभासी बयान सामने आ रहे हैं कि एंड्रयू ने जांच में कितना सहयोग किया है। न्यूयॉर्क के तत्कालीन अटॉर्नी जनरल ज्योफ्री बर्मन ने जनवरी 2020 में कहा था कि राजकुमार एंड्रयू ने ‘‘बिल्कुल सहयोग नहीं’’ किया। उसी महीने, मेट्रोपोलिटन पुलिस की इस बात को लेकर आलोचना हुई थी कि उसने इस संबंधी सूचना मुहैया कराने का अनुरोध करने की स्वतंत्रता को खारिज कर दिया कि यौन उत्पीड़न की कथित घटना के समय एंड्रयू कहां थे।

एंड्रयू ने औपचारिक रूप से सबूत पेश करने के बजाए नवंबर 2019 में बीबीसी के ‘न्यूजनाइट’ को साक्षात्कार दिया था। यह साक्षात्कार बकिंघम पैलेस में दिया गया। राजकुमार एंड्रयू इस साक्षात्कार के जरिए अपनी छवि साफ करना चाहते थे, लेकिन उन्होंने जो बातें कहीं, उनसे पूरा मामला पलट गया। उन्होंने कथित घटना के दिन पिज्जा एक्सप्रेस में होने का दावा किया और ऐसी बीमारी से पीड़ित होने की बात की, जिसके कारण पसीना नहीं आता है। दरअसल वह इस आरोप को खारिज करना चाहते थे कि वह नाचने के बाद ‘‘पसीने से भीग’’ गए थे।

साक्षात्कार का व्यापक स्तर पर मजाक बना था और अंततः उन्होंने ‘‘निकट भविष्य’’ के लिए अपने सार्वजनिक कर्तव्यों से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि वे जुलाई 2020 में अपनी बेटी राजकुमारी बीट्राइस की शादी में शामिल हुए थे, लेकिन वे तस्वीरों से गायब थे। इससे यह संकेत जाता है कि जानबूझकर यह दिखाया गया कि आधिकारिक शाही कार्यक्रम से समस्या पैदा करने वाले व्यक्ति को हटाया गया।

शाही परिवार के व्यवहार और घोटाले की मीडिया कवरेज से संकेत मिलता है कि एंड्रयू को राजशाही में ‘‘कुल के कलंक’’ के रूप में देखा जाता है। एंड्रयू अपने खिलाफ आरोपों को लगातार खारिज करते रहे हैं। उन्होंने न्यूजनाइट साक्षात्कार में एपस्टीन मामले की पीड़िताओं के प्रति न तो सहानुभूति दिखाई थी और न ही एपस्टीन के साथ अपनी दोस्ती को लेकर खेद व्यक्त किया था। उन्होंने कहा था, ‘‘जिन लोगों से मैं मिला था और जो अवसर मुझे दिए गए थे ... वे वास्तव में बहुत उपयोगी थे।’’ साक्षात्कार में उनकी ताकत और कारोबारी सौदे एपस्टीन के कारण पीड़ा सहने वाली महिलाओं की चिंताओं से अधिक जरूरी प्रतीत हुए।

इसी तरह, इतिहास गवाह है कि संस्था की पितृसत्तात्मक प्रकृति और इसके भीतर महिलाओं की पीड़ा के बारे में राजशाही बेपरवाह रही है।

हेनरी अष्टम को याद कीजिए। हेनरी अष्टम और उनकी छह पत्नियों को ब्रितानी इतिहास के पाठ्यक्रम में वर्णित किया गया है, जिनमें से उनकी दो पत्नियों का सिर इसलिए काट दिया गया था, क्योंकि वे लड़कों को जन्म नहीं दे पाई थीं।

शाही पत्नियों का आज भले ही सिर कलम नहीं किया जाता, लेकिन जैसा कि मैंने अपनी पुस्तक 'रनिंग द फैमिली फर्म: हाउ द मोनार्की मैनेज इट्स इमेज एंड अवर मनी' में तर्क दिया है, राजकुमारियों के गर्भधारण को लेकर अब भी विशेष रुचि है। उनके विवाह के तत्काल बाद से उनके गर्भधारण की अटकलें लगने लगती हैं (शाही बच्चे वैवाहिक बंधन के बिना पैदा नहीं होने चाहिए) और जब शाही उत्तराधिकारी का जन्म होने वाला होता है तो अस्पताल के बाहर मीडिया की भीड़ मौजूद रहती है।

हमें राजकुमारी डायना और मेगन मर्केन के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की रिपोर्ट नहीं भूलनी चाहिए। डायना ने कहा था कि उनकी भोजन संबंधी मनोवैज्ञानिक समस्या (बुलिमिया) इस बात का संकेत थी कि वह ‘‘मदद के लिए चीख रही’’ थी, लेकिन उन्होंने महसूस किया कि उनके मानसिक स्वास्थ्य से निपटने के बजाए, ‘‘कंपनी’’ ने उन्हें ‘‘अस्थिर’’ कहकर खारिज कर दिया।

मर्केल ने इस साल की शुरुआत में ओपरा विनफ्रे को दिए साक्षात्कार में कहा था कि उनके मन में आत्महत्या करने के विचार आते थे और एक वरिष्ठ अधिकारी ने उनसे कहा था कि उनका मदद लेना ‘‘संस्था के लिए अच्छा नहीं होगा’’।

एंड्रयू पर जांच में सहयोग करने के लिए दबाव बनाने के बजाए शाही परिवार ने आधिकारिक शाही तस्वीरों से उन्हें हटाकर अपनी छवि को बनाए रखने को प्राथमिकता दी। ऐसा प्रतीत होता है कि उसने मर्केल के स्वास्थ्य के बजाए संस्थान की छवि को प्राथमिकता दी। दोनों मामलों में महिलाएं पीड़िता बनीं।

एंड्रयू एकमात्र समकालीन राजकुमार नहीं है, जिन पर यौन शोषण के अपराधियों से संपर्क रखने के आरोप लगे हैं। राजकुमार चार्ल्स की जिमी सैविले के साथ 30 साल पुरानी दोस्ती थी। सैविले को "धर्मार्थ सेवाओं" के लिए दिया गया ‘ओबीई’ (ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर) सम्मान उसके खिलाफ कई यौन अपराधों की पुष्टि के बाद भी वापस नहीं लिया गया था। सैविले की मौत से पहले उस पर कई सार्वजनिक आरोप लगाए गए थे। इसके बावजूद चार्ल्स ने सैविले की मौत के बाद सार्वजनिक रूप से शोक व्यक्त करते हुए ‘‘श्रद्धांजलि’’ दी।

क्या समय बदल रहा है?

लैंगिक समानता संबंधी शाही इतिहास में हाल में बदलाव देखने को मिला है। पुरुषों को प्राथमिकता देने वाले उस कानून को 2013 में बदल दिया गया था, जो सिंहासन के लिए पुरुष उत्तराधिकारियों को प्राथमिकता देता था। हालांकि यह एक स्वागत योग्य बदलाव है, लेकिन यह 21वीं सदी में पुरुषों की विरासत को प्राथमिकता देने वाली संस्था के बारे में बहुत कुछ बताता है।

एंड्रयू को अपने ऊपर लगे आरोपों का अदालत में निस्संदेह जवाब देना चाहिए, लेकिन उस संस्था की विचारधाराओं के बारे में भी बड़े सवाल पूछने का अब शायद समय आ गया है जो एंड्रयू की रक्षा करती प्रतीत होती है।

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Web Title: Prince Andrew: The British royal family has a long history of sidelining women's suffering

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