काठमांडू, 13 मार्च पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ की अगुवाई वाले नेपाल सीपीएन (माओइस्ट सेंटर) ने शनिवार को प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल से अपने मंत्रियों को वापस बुला लिया और सीपीएन-यूएमएल की केंद्रीय समिति में नामित अपने सभी नेताओं को निर्देश दिया कि वे 24 घंटे के भीतर अपना रुख स्पष्ट करें। इससे दोनों धड़ों के बीच तकरार और भी बढ़ गई है।
काठमांडू पोस्ट की खबर के मुताबिक जिन मंत्रियों को वापस बुलाया गया है, उनमें गृह मंत्री राम बहादुर थापा, ऊर्जा एवं जल संसाधन तथा सिंचाई मंत्री टोप बहादुर रायमाझी, जल आपूर्ति मंत्री मणि चंद्र थापा, शहरी विकास मंत्री प्रभु शाह, युवा एवं खेल मामलों के मंत्री दावा लामा तमांग और श्रम मंत्री गौरी शंकर चौधरी।
पार्टी कार्यालय की ओर से बताया गया कि यह फैसला पेरिस दांडा में आज सुबह हुई सीपीएन-एमसी की स्थायी समिति की बैठक में लिया गया।
अखबार ने स्थायी समिति के सदस्य देवेंद्र पौडेल के हवाले से बताया, ‘‘हमारी स्थायी समिति ने संघीय सरकार से अपने सभी मंत्रियों को वापस बुलाने का निर्णय लिया है और यूएमएल द्वारा नामित नेताओं से कहा है कि वे 24 घंटे के भीतर अपना रुख स्पष्ट करें। पार्टी के फैसलों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी।’’
कानूनी प्रावधान के मुताबिक यदि सांसद पार्टी छोड़ते हैं या उन्हें पार्टी से निष्कासित किया जाता है तो उनकी संसद सदस्यता भी रद्द हो जाती है।
गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले नेपाल के उच्चतम न्यायालय ने सीपीएन(यूएमएल) और सीपीएन (माओइस्ट सेंटर) का 2018 में हुआ एकीकरण रद्द कर दिया था। इन दोनों पार्टियों का नेतृत्व क्रमश: ओली और प्रचंड कर रहे थे।
मई 2018 में दोनों दलों ने आपस में विलय कर एकीकृत ‘‘नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी’’ का गठन किया था। यह घटनाक्रम, 2017 के आम चुनावों में दोनों पार्टियों के गठबंधन को मिली जीत के बाद हुआ था।
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