WEF 2018: दावोस में भाषण के दौरान पीएम मोदी की फिसली जुबान, गलती से बोल दी ये बात
By कोमल बड़ोदेकर | Updated: January 23, 2018 17:53 IST2018-01-23T17:07:08+5:302018-01-23T17:53:21+5:30
अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के सामने आंकड़े गिनाते हुए चूक गए साथ ही उनकी जुबान भी फिसल गई।

WEF 2018: दावोस में भाषण के दौरान पीएम मोदी की फिसली जुबान, गलती से बोल दी ये बात
वर्ल्ड इकोनॉमी फोरम की सालाना बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सामने भारत के विजन की कई खास बातें रखीं। लेकिन अपने संबोधन में कई जगह उनकी जुबान फिसली जिससे अर्थ का अनर्थ हो गया। भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के सामने आंकड़े गिनाते हुए कई बार चूक कर गए। इसमें भारत की आजादी का जिक्र करते हुए उन्होंन कहा कि 'भारत की आजादी के 17 साल'। यहां वो भारत की आजादी के 70 साल का जिक्र करना चाहते थे। एक और जगह वो रोज मर्रा को 'रोज मरा' बोल गए।
अपने भाषण को शुरू करते हुए उन्होंन कहा, मानव सभ्यता के लिए सबसे बड़े खतरे पैदा कर रही हैं। इसमें सबसे पहले उन्होंने क्लाइमेंट का जिक्र किया। तेजी से बदलती हुई टेक्नोलॉजी के सामने पहले से चली आ रही चुनौतियां अब और भी गंभीर होती जा रही हैं।
विश्व आर्थिक मंच को हिंदी में संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कई जगह संस्कृत के श्लोक का भी जिक्र किया। उन्होंने सभी के कल्याण का जिक्र करते हुए श्लोक पढ़ा, 'सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भाग भवेत'। जिसका अर्थ है, "सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मङ्गलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।"
एक अन्य श्लोक में पीएम मोदी ने कहा, 'अयं बन्धुरयं नेतिगणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥' जिसका अर्थ है- धरती ही परिवार है (वसुधा एव कुटुम्बकम्)। यह वाक्य भारतीय संसद के प्रवेश कक्ष में भी अंकित है।