Papua New Guinea landslide: सबसे बड़ा डर, लाशें सड़ रही हैं, पानी बह रहा और रोग फैलने का गंभीर खतरा, पीएम मोदी ने कहा- भारत हरसंभव मदद करने के लिए तैयार

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 28, 2024 12:08 IST2024-05-28T12:07:31+5:302024-05-28T12:08:12+5:30

Papua New Guinea landslide: पापुआ न्यू गिनी की सरकार के एक अधिकारी ने संयुक्त राष्ट्र को बताया है कि पिछले शुक्रवार को हुए भूस्खलन में 2,000 से अधिक लोगों के जिंदा दफन होने का अनुमान है। उसने राहत एवं बचाव कार्यों के लिए औपचारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय मदद मांगी है।

Papua New Guinea landslide biggest fear dead bodies rotting water flowing serious danger disease spreading PM Modi said India ready help every possible way | Papua New Guinea landslide: सबसे बड़ा डर, लाशें सड़ रही हैं, पानी बह रहा और रोग फैलने का गंभीर खतरा, पीएम मोदी ने कहा- भारत हरसंभव मदद करने के लिए तैयार

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Highlightsपापुआ न्यू गिनी में बड़े पैमाने पर हुए भूस्खलन से 670 लोगों की मौत होने की आशंका जताई थी।सरकार का आंकड़ा संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी के आंकड़ों से करीब तिगुना है। 600 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम में एंगा प्रांत के यमबली गांव में शुक्रवार को भूस्खलन हुआ था।

Papua New Guinea landslide: पापुआ न्यू गिनी के जिस गांव में भूस्खलन के कारण हजारों लोगों की जान चली गई, वहां प्राधिकारियों ने दूसरे भूस्खलन की आशंका जताई है और शवों के मलबे में दबे होने एवं पानी के कारण बीमारी फैलने का भी खतरा है। संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पापुआ न्यू गिनी की सरकार के एक अधिकारी ने संयुक्त राष्ट्र को बताया है कि पिछले शुक्रवार को हुए भूस्खलन में 2,000 से अधिक लोगों के जिंदा दफन होने का अनुमान है। उसने राहत एवं बचाव कार्यों के लिए औपचारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय मदद मांगी है।

इससे पहले अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) ने पापुआ न्यू गिनी में बड़े पैमाने पर हुए भूस्खलन से 670 लोगों की मौत होने की आशंका जताई थी। सरकार का आंकड़ा संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी के आंकड़ों से करीब तिगुना है। देश की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी से लगभग 600 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम में एंगा प्रांत के यमबली गांव में शुक्रवार को भूस्खलन हुआ था।

पापुआ न्यू गिनी में आईओएम मिशन प्रमुख सेरहान एक्टोप्राक ने बताया कि हालिया बारिश और जमीन एवं मलबे के बीच जलधाराओं के फंसने से मलबे की परत और अधिक अस्थिर हो गई है। संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के अधिकारी एंगा प्रांत में हैं और 1,600 विस्थापित लोगों को आश्रय मुहैया कराने में मदद कर रहे हैं।

एक्टोप्राक ने ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ से कहा, ‘‘ऐसी आशंका जताई जा रही है कि एक और भूस्खलन हो सकता है और शायद 8,000 लोगों को निकालने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह बड़ी चिंता का विषय है। जमीन की गतिविधि एवं मलबा गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं और प्रभावित होने वाले लोगों की कुल संख्या 6,000 या उससे अधिक हो सकती है।’’

एक्टोप्राक ने कहा, ‘‘अगर इस मलबे के ढेर को रोका नहीं गया, अगर यह आगे बढ़ता रहा, तो यह गति पकड़ सकता है और पहाड़ के नीचे रह रहे अन्य समुदायों और गांवों को नष्ट कर सकता है।’’ ग्रामीण अपने रिश्तेदारों के शवों की तलाश में कीचड़ भरे मलबे में नंगे हाथों से खुदाई कर रहे हैं जो चिंता की बात है।

एक्टोप्राक ने कहा, ‘‘इस समय मेरा सबसे बड़ा डर यह है कि लाशें सड़ रही हैं, ... पानी बह रहा है और इससे संक्रामक रोग फैलने का गंभीर खतरा है।’’ संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय समन्वयक को रविवार को लिखे गए एक पत्र में दक्षिण प्रशांत द्वीप राष्ट्र के राष्ट्रीय आपदा केंद्र के कार्यवाहक निदेशक लुसेटा लासो माना ने कहा था कि भूस्खलन में ‘‘2000 से अधिक लोग जिंदा दफन हो गए’’ और ‘‘बड़ी तबाही’’ हुई है। भूस्खलन के बाद से हताहत हुए लोगों की संख्या का अनुमान व्यापक रूप से अलग-अलग है और अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अधिकारियों ने पीड़ितों की संख्या कैसे गिनी।

पापुआ न्यू गिनी को हरसंभव मदद देने के लिए तैयार है भारत : प्रधानमंत्री मोदी 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पापुआ न्यू गिनी में विनाशकारी भूस्खलन के कारण लोगों की मौत और तबाही होने पर मंगलवार को दुख जताया और कहा कि भारत हरसंभव मदद करने के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘पापुआ न्यू गिनी में विनाशकारी भूस्खलन से लोगों की मौत और तबाही से बहुत दुखी हूं।

पीड़ित परिवारों के प्रति हमारी हार्दिक संवेदना और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं। भारत हरसंभव सहयोग मुहैया कराने के लिए तैयार है।’’ पापुआ न्यू गिनी सरकार के अनुसार, दक्षिण प्रशांत द्वीप राष्ट्र में भूस्खलन से 2,000 से अधिक लोगों के जिंदा दफन होने की आशंका है।

यह हादसा शुक्रवार तड़के यमबली गांव में हुआ जब एक पर्वत का एक हिस्सा ढह गया। भूस्खलन के समय लोग सो रहे थे। यह गांव ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी तट पर स्थित इस गरीब, ग्रामीण आबादी वाले देश के अंदरुनी इलाके में एक अस्थिर और दूरस्थ क्षेत्र में स्थित है जिससे तलाश व बचाव अभियान जटिल और खतरनाक हो गया है।

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