पाकिस्तान: पीएम शहबाज शरीफ ने कहा, "इमरान खान के लिए सुप्रीम कोर्ट 'ढाल' बनी, न्यायपालिका पर 'काला धब्बा' लगा दिया"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 13, 2023 12:59 PM2023-05-13T12:59:33+5:302023-05-13T13:03:09+5:30
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जिस तरह से इमरान खान के लिए "लोहे की ढाल" की तरह खड़ी हुई। वह बेहद खेदजनक है।
इस्लामाबाद: प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की संघीय कैबिनेट ने इस सप्ताह सुप्रीम कोर्ट द्वारा पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान के मामले में दिये गये रिहाई के आदेश की बेहद तीखी आलोचना करते हुए उसे न्यायपालिका के चेहरे पर "काला धब्बा" बताया है।
इसके साथ ही कैबिनेट ने इमरान की गिरफ्तारी के बाद भड़के हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान निजी और सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान पर नाराजगी व्यक्त किया, लेकिन आपातकाल लगाने की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया। बीते शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जिस तरह से इमरान खान के लिए "लोहे की ढाल" की तरह खड़ी हुई। वो बेहद खेदजनक है।
खबरों के अनुसार कैबिनेट की बैठक में रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने मुल्क में आपातकाल घोषित करने का प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन इसे सत्ताधारी गठबंधन के तीन दलों पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी), जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-एफ (जेयूआई-एफ) और बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल (बीएनपी-एम) ने सिरे से नकार दिया।
सूत्रों के अनुसार रक्षामंत्री आसिफ ने बैठक में कहा कि मुल्क की मौजूदा अनिश्चितता और खराब माहौल में कानून व्यवस्था को बनाये रखने के लिए आपातकाल लागू करना बेहद जरूरी है। हालांकि, बिलावल भुट्टो की पार्टी पीपीपी के नेता फरहतुल्ला बाबर ने बताया कि पार्टी ने आपातकाल लगाने के विचार का विरोध किया।
पाकिस्तान में राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 232 के तहत आपातकाल की घोषणा का प्रावधान है और इसे संसद के दोनों सदनों यानी सीनेट और नेशनल असेंबली द्वारा अनुमोदित किया जाता है। आपातकाल अधिकतम एक वर्ष के लिए लगाया जाता है। उस दौरान संविधान द्वारा नागरिकों को मिले सभी मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए जाते हैं।
पाकिस्तान में आपातकाल को लेकर इस कारण से बहस हो रही है क्योंकि पाक की सर्वोच्च अदालत ने इमरान खान की गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से रिहा करने का आदेश दिया था।
इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से कहा गया कि पीएम शरीफ ने इमरान खान को सुप्रीम कोर्ट से मिले "न्याय के दोहरे मानकों" को खारिज कर दिया है। उन्होंने कैबिनेट की बैठक में कहा, 'न्यायपालिका इमरान खान के लिए लोहे की ढाल बन गई है, जो बेहद शर्मनाक है।'
पीएम शरीफ की ओर से कहा गया, “देश के अन्य राजनीतिक नेताओं ने कोर्ट के तमाम कठिन फैसलों का स्वागत किया, जबकि इमरान खान को उसी कोर्ट से विशेषाधिकार प्राप्त फैसला देते हुए रिहा किया गया। ये सुप्रीम कोर्ट की न्याय व्यवस्था का दोहरा मापदंड हैं।”
बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री बीते गुरुवार की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की उस टिप्पणी से हैरान थे, जिसमें उन्होंने कोर्ट रूम में कहा कि वह इमरान खान से मिलकर खुश हैं।
उन्होंने याद किया कि पीपीपी नेता बेनजीर भुट्टो की हत्या के बावजूद उनके पति आसिफ अली जरदारी ने राष्ट्रवाद को और पुख्ता करते हुए 'पाकिस्तान खप्पे' (हमें पाकिस्तान चाहिए) का नारा दिया था। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की "न्यायिक हत्या" के बाद भी मुल्क में किसी ने सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला नहीं किया था।
शरीफ ने उस दौर को भी याद किया कि जब वो जेल में थे और उनकी मां का इंतकाल हो गया था लेकिन उन्होंने या पार्टी ने जनता को दंगे के लिए उकसाने के बजाय धैर्य के साथ रहने की सलाह दी।
उन्होंने आरोप लगाया कि पीटीआई प्रमुख इमरान खान ही अपनी गिरफ्तारी के बाद हुए सैन्य संस्थानों पर हमलों के मास्टरमाइंड और जिम्मेदार थे। उन्होंने कहा कि देश कठिन समय से गुजर रहा है और गठबंधन सरकार विरासत में मिली चुनौतियों से निपटने के लिए प्रयास कर रही है।