वैश्विक आतंकी वित्तपोषण निगरानी संस्था FATF की 'ग्रे लिस्ट' में बना रहेगा पाकिस्तान, UAE भी शामिल हुआ
By विशाल कुमार | Updated: March 5, 2022 11:43 IST2022-03-05T11:39:56+5:302022-03-05T11:43:43+5:30
पाकिस्तान को जिन 34 बिंदुओं पर सुधार करने के लिए कहा गया था, वह उसमें से मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण से संबंधित अतिरिक्त श्रेणी के तहत निर्धारित कुछ लक्ष्यों को अभी भी पूरा नहीं कर पाया है।

वैश्विक आतंकी वित्तपोषण निगरानी संस्था FATF की 'ग्रे लिस्ट' में बना रहेगा पाकिस्तान, UAE भी शामिल हुआ
इस्लामाबाद: वैश्विक आतंकी वित्तपोषण निगरानी संस्था पेरिस स्थित फाइनैंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को अपनी आतंकवाद के वित्तपोषण ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा है और उसे अपनी वित्तीय प्रणाली में शेष कमियों को जल्द से जल्द दूर करने के लिए कहा है।
डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान को जिन 34 बिंदुओं पर सुधार करने के लिए कहा गया था, वह उसमें से मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण से संबंधित अतिरिक्त श्रेणी के तहत निर्धारित कुछ लक्ष्यों को अभी भी पूरा नहीं कर पाया है।
एफएटीएफ धनशोधन एवं आतंकी वित्तपोषण की निगरानी करने वाली वैश्विक संस्था है। पाकिस्तान धनशोधन और आतंकी वित्तपोषण पर लगाम लगाने में नाकाम रहने के कारण जून 2018 से एफएटीएफ की 'ग्रे सूची' में है।
एफएटीएफ ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को आतंकवाद के वित्तपोषण पर अपर्याप्त नियंत्रण वाले देशों या ग्रे सूची की अपनी बढ़ी हुई निगरानी सूची में शामिल कर लिया है।
इसके साथ ही निगरानी संस्था ने सिंगापुर के टी. राजा कुमार को दो साल के निश्चित कार्यकाल के लिए अपना अगला अध्यक्ष नियुक्त करने का भी फैसला किया।
‘द डॉन’ के मुताबिक, एफएटीएफ की पूरक बैठक का समापन सत्र शुक्रवार को हुआ और इस दौरान संस्था ने वित्तीय अपराधों से लड़ने के लिए वैश्विक प्रतिबद्धताओं पर पाकिस्तान की मजबूत प्रगति की भी सराहना की।
अखबार के अनुसार, पाकिस्तान अब जनवरी, 2023 के अंत तक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण से निपटने से जुड़ी 2021 की कार्य योजना को पूरा करने के लक्ष्य पर काम कर रहा है।
अक्टूबर, 2021 में एफएटीएफ ने अपनी 27 सूत्री कार्य योजना के 26 बिंदुओं पर पाकिस्तान के प्रगति करने की बात स्वीकार की थी, लेकिन संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा प्रतिबंधित आतंकी समूहों के शीर्ष कैडर के खिलाफ आतंकी फंडिंग की जांच और अभियोजन को लेकर उसने इस्लामाबाद को अपनी ग्रे सूची (अधिक निगरानी वाली सूची) में बरकरार रखा था।
उस समय एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर ने कहा था कि पाकिस्तान को कुल 34 सूत्रों वाली दो समवर्ती कार्य योजनाओं को पूरा करना है। ‘द डॉन’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने 30 सूत्रों पर या तो काम पूरा कर लिया है या फिर उन पर प्रगति की है।
इसमें कहा गया है कि एफएटीएफ के क्षेत्रीय सहयोगी-एशिया पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) से मिली 2021 की हालिया कार्य योजना मुख्य रूप से मनी लॉन्ड्रिंग पर केंद्रित थी और उसने इसके क्रियान्वयन में गंभीर कमियां पाई थीं।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नयी कार्य योजना के सात सूत्रों में से चार को या तो पूरा कर लिया गया है या फिर उनमें प्रगति हुई है। इसमें कहा गया है कि अक्टूबर 2021 में एफएटीएफ ने यह कहते हुए पाकिस्तान को उसकी कार्य योजना के शेष बिंदुओं को जल्द से जल्द संबोधित करने की कोशिशें जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया था कि आतंकी वित्तपोषण की जांच और अभियोजन यूएन द्वारा प्रतिबंधित शीर्ष आतंकी कमांडरों को निशाना बनाता है।
पाकिस्तान अब तक चीन, तुर्की और मलेशिया जैसे करीबी सहयोगियों की मदद से एफएटीएफ की काली सूची में शामिल होने से बचता आया है। हालांकि, ग्रे सूची में बने रहने के कारण इस्लामाबाद के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और यूरोपीय संघ से वित्तीय मदद हासिल करना मुश्किल होता जा रहा है, जिससे मुल्क के लिए आर्थिक समस्याएं और बढ़ रही हैं।