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पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह तालिबान के इलाकों में चला रहे प्रशिक्षण कैंप, UN की निगरानी टीम ने रिपोर्ट में किया दावा

By विशाल कुमार | Updated: May 30, 2022 07:24 IST

अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र निगरानी दल की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय उपमहाद्वीप में अल कायदा में 180 से 400 लड़ाके हैं, जिनमें बांग्लादेश, भारत, म्यांमार और पाकिस्तान के नागरिक गजनी, हेलमंद, कंधार, निमरुज, पक्तिका और जाबुल प्रांत में स्थित हैं।

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ठळक मुद्देअलकायदा को नए अफगान शासन के तहत अधिक स्वतंत्रता प्राप्त है।एक या दो साल के लिए अफगानिस्तान के बाहर हमले या सीधे हमले की संभावना नहीं है।जनवरी 2022 में तालिबान के एक प्रतिनिधिमंडल ने लश्कर द्वारा इस्तेमाल किए गए एक प्रशिक्षण शिविर का दौरा किया। 

काबुल: पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) अफगानिस्तान के तालिबान-नियंत्रित हिस्सों में मौजूद हैं जहां वे प्रशिक्षण शिविर चलाते हैं और शीर्ष स्तर (के नेताओं के साथ) पर बैठकों सहित सत्तारूढ़ शासन के साथ गहरे संबंध रखते हैं। अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र निगरानी दल की ताजा रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारतीय उपमहाद्वीप में अल कायदा (एक्यूआईएस) के 180 से 400 लड़ाके हैं, जिनमें बांग्लादेश, भारत, म्यांमार और पाकिस्तान के नागरिक गजनी, हेलमंद, कंधार, निमरुज, पक्तिका और जाबुल प्रांत में स्थित हैं।

हालांकि, इसमें कहा गया है कि अलकायदा को नए अफगान शासन के तहत अधिक स्वतंत्रता प्राप्त है, लेकिन क्षमता की कमी और तालिबान के संयम दोनों के कारण अगले एक या दो साल के लिए अफगानिस्तान के बाहर हमले या सीधे हमले की संभावना नहीं है।

रिपोर्ट में एक सदस्य देश का हवाला देते हुए कहा गया है कि जैश नंगरहार में आठ प्रशिक्षण शिविर रखता है, जिनमें से तीन सीधे तालिबान के नियंत्रण में हैं। वहीं, लश्कर-ए-तैयबा के पास कुनार और नंगरहार में तीन शिविर मौजूद हैं जो कि पहले तालिबान के संचालन को आर्थिक और प्रशिक्षण विशेषज्ञता प्रदान करता था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि उसी सदस्य देश ने बताया था कि जनवरी 2022 में तालिबान के एक प्रतिनिधिमंडल ने नंगरहार के हस्का मेना जिले में लश्कर-ए-तैयबा द्वारा इस्तेमाल किए गए एक प्रशिक्षण शिविर का दौरा किया। 

इसके साथ ही, अक्टूबर 2021 में एक सदस्य देश के अनुसार लश्कर नेता, मावलवी असदुल्ला, तालिबान के उप आंतरिक मंत्री नूर जलील से मिले।

निगरानी दल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति की सहायता करता है और यह रिपोर्ट अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से इसकी पहली रिपोर्ट है। 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति के सदस्यों के बीच प्रसारित रिपोर्ट अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र की भविष्य की रणनीति के लिए दिशा दिखाती है।

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