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बांग्लादेश की पूर्व PM शेख हसीना को फांसी की सजा

By सतीश कुमार सिंह | Updated: November 17, 2025 15:11 IST

बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने पिछले वर्ष के छात्र विद्रोह के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराध के लिए मौत की सजा सुनाई है, जिसके कारण उनकी सरकार गिर गई थी।

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ठळक मुद्देहसीना उसी दिन बढ़ती अशांति के बीच बांग्लादेश से भाग गईं और तब से भारत में रह रही हैं।मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है।भारत ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है।

ढाकाः बांग्लादेश के विशेष न्यायाधिकरण ने मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई है। बांग्लादेश के विशेष न्यायाधिकरण ने पिछले वर्ष छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को दोषी ठहराया। महीनों तक चले मुकदमे में उन्हें पिछले साल छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह पर घातक कार्रवाई का आदेश देने का दोषी पाया गया था। बांग्लादेश के विशेष न्यायाधिकरण ने मानवता के विरुद्ध अपराध के लिए पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को मौत की सजा सुनाई है। बांग्लादेश के विशेष न्यायाधिकरण ने पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को मानवता के विरुद्ध अपराध के लिए पांच साल के कारावास की सजा सुनाई है।

बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी-बीडी) ने सोमवार को अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ एक मामले में अपना फैसला सुनाना शुरू कर दिया है। पिछले साल छात्र नेतृत्व वाले आंदोलन के दौरान मानवता के खिलाफ कथित अपराधों के लिए उन पर उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया जा रहा है।

इस आंदोलन के कारण हसीना की अब भंग हो चुकी आवामी लीग पार्टी की सरकार गिर गयी थी। तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण, हसीना के दो सहयोगियों पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून के खिलाफ भी इन्हीं आरोपों में अपना फैसला सुनाएगा। मामून को न्यायाधिकरण के समक्ष पेश किया गया।

अभियोजकों ने आरोपियों के लिए मृत्युदंड की मांग की है। हसीना (78) पर बड़े पैमाने पर हुए विद्रोह से जुड़े कई आरोप हैं, जिसके कारण उन्हें अगस्त 2024 में पद छोड़ना पड़ा था। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि हसीना सरकार के व्यापक कार्रवाई के आदेश के बाद 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच ‘‘जुलाई विद्रोह’’ के दौरान 1,400 लोग मारे गए थे।

हसीना और कमाल को भगोड़ा घोषित कर दिया गया और उनकी अनुपस्थिति में उन पर मुकदमा चलाया गया, जबकि मामून को सरकारी गवाह बनने से पहले व्यक्तिगत रूप से मुकदमे का सामना करना पड़ा। मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने हसीना को विरोध प्रदर्शनों के दौरान कथित अत्याचारों की ‘‘मास्टरमाइंड और मुख्य साजिशकर्मा’’ बताया है।

उनके समर्थकों का कहना है कि ये आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। न्यायाधिकरण ने 28 कार्य दिवसों के बाद 23 अक्टूबर को मामले की सुनवाई पूरी की, जब 54 गवाहों ने अदालत के समक्ष गवाही दी कि किस प्रकार पिछले वर्ष ‘जुलाई विद्रोह’ नामक छात्र आंदोलन को दबाने के प्रयास किए गए थे, जिसने पांच अगस्त 2024 को हसीना की अब भंग हो चुकी अवामी लीग सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंका था।

हसीना उसी दिन बढ़ती अशांति के बीच बांग्लादेश से भाग गईं और तब से भारत में रह रही हैं। माना जाता है कि कमाल ने भी भारत में शरण ले ली है। मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है, लेकिन भारत ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है।

बांग्लादेश में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ मानवता के विरुद्ध कथित अपराध के एक मामले में विशेष न्यायाधिकरण के फैसले से पहले सुरक्षा बलों की भारी तैनाती के बीच सोमवार को हिंसा की छिटपुट घटनाएं सामने आयीं। सामान्य दिनों में सुबह के समय यातायात जाम से जूझने वाली राजधानी ढाका की सड़कों पर सोमवार को सन्नाटा पसरा रहा।

कुछेक कार और रिक्शे ही कड़ी निगरानी वाले चौराहों से गुजरते दिखाई दिए। हालांकि, वक्त गुजरने के साथ ही शहर में हिंसा की छिटपुट घटनाएं सामने आयीं। प्रदर्शनकारियों ने सड़कें अवरुद्ध करने के लिए पेड़ों के तने और टायर जलाए, जबकि ढाका के कई इलाकों में कई देसी बम विस्फोट हुए। देश के कई अन्य हिस्सों से भी इसी तरह की हिंसा की खबरें आईं।

‘जुलाई विद्रोह’ से जुड़े कई समूह सुबह अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-बांग्लादेश (आईसीटी-बीडी) परिसर के बाहर इकट्ठा हुए और नारे लगाते हुए न्याय की मांग की। सोमवार के इस घटनाक्रम से पहले रात भर छिटपुट आगजनी और देसी बम हमलों की खबरें आयी थीं। अज्ञात हमलावरों ने एक पुलिस थाने परिसर के एक हिस्से में आग लगा दी और अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस की सलाहकार परिषद के एक सदस्य के आवास के बाहर दो देसी बम विस्फोट किए। ढाका के प्रमुख चौराहों पर भी कई विस्फोटों की खबर है।

अब भंग हो चुकी अवामी लीग द्वारा दो दिवसीय बंद के आह्वान के बाद पहले से ही संकट की आशंका से जूझ रहे अधिकारियों ने कड़ी सैन्य, अर्धसैनिक और पुलिस सतर्कता के आदेश दिए हैं। सुरक्षा बलों ने आईसीटी-बीडी परिसर, सचिवालय, उच्चतम न्यायालय परिसर, प्रधानमंत्री कार्यालय और राजनयिक परिसर के आसपास गश्त तेज कर दी है।

मुख्य मार्गों पर बख्तरबंद वाहन, पानी की बौछारों के लिए वाहन (वाटर कैनन) और रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) तथा पुलिस की दंगा-नियंत्रण टीम तैनात की गई हैं। शहर में आवाजाही की निगरानी के लिए कई जगह नाके भी स्थापित किए गए हैं। ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (डीएमपी) ने अपने कर्मियों को हिंसक प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने की अनुमति दे दी है।

डीएमपी आयुक्त एस एम सज्जात अली ने रविवार देर रात कहा, “जो कोई भी बस में आग लगाएगा या बम फेंकेगा, उसे गोली मारी जानी चाहिए।” अभियोजन पक्ष ने 78 वर्षीय हसीना के लिए मृत्युदंड की मांग की है। ढाका में 10 नवंबर के बाद से कई हमले हुए हैं, जिनमें यूनुस द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक के मीरपुर मुख्यालय के बाहर देसी बम विस्फोट शामिल हैं।

इसकी शाखाओं पर भी पेट्रोल बम हमले और आगजनी की घटनाएं हुईं। पिछले सप्ताह हमलावरों द्वारा खड़ी बसों में आग लगाने से एक बस चालक की मौत हो गई थी। हसीना इस समय भारत में हैं। उनकी गैरहाजिरी में पूर्व गृहमंत्री असदुज्जामान खान कमाल के साथ मुकदमे की सुनवाई हुई। पूर्व पुलिस प्रमुख अब्दुल्लाह अल मामून अदालत में पेश हुए और सजा में नरमी की उम्मीद में सरकारी गवाह बन गए।

अभियोजक गाजी एम एच तामिम ने कहा कि सरकार ने अधिकतम सजा और आरोपियों की संपत्ति जब्त कर पीड़ित परिवारों में बांटने की मांग की है। आईसीटी-बीडी के नियमों के अनुसार हसीना फैसला आने के 30 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने या गिरफ्तार होने पर ही अपीलीय प्रभाग में अपील कर सकती हैं।

अवामी लीग के फेसबुक पेज पर अपलोड एक ऑडियो संदेश में हसीना ने आरोपों को खारिज कर समर्थकों से चिंता न करने की अपील की और कहा कि “यह सिर्फ समय की बात है।” हसीना और उनके दो सहयोगियों पर पिछले वर्ष हुए ‘जुलाई विद्रोह’ से जुड़े कथित मानवता-विरोधी अपराधों जैसे हत्या, हत्या के प्रयास, यातना, निहत्थे छात्र प्रदर्शनकारियों पर घातक बल प्रयोग, घातक हथियार तैनात करने के आदेश और रंगपुर व ढाका में हत्याओं का आरोप है। हसीना ने सभी आरोपों को “पूरी तरह से झूठा” बताया है।

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