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ओमीक्रोन वंचित इलाकों को हर तरह से करेगा प्रभावित

By भाषा | Updated: December 22, 2021 12:18 IST

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(कोलिन अंगस, यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड)

शेफील्ड (ब्रिटेन), 22 दिसंबर (द कन्वरसेशन) महामारी के बार-बार नये रूप में दस्तक देने से एक बात सामने आई है कि कैसे ब्रिटेन की आबादी में कोविड के प्रभाव समान रूप से नहीं पड़े हैं। वंचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने बीमारी के स्वास्थ्य और वित्तीय बोझ को असमान रूप से महसूस किया है।

इस असमानता की कठोरता का एक उदाहरण यह तथ्य है कि, एक बार जब आप समूहों के बीच उम्र के अंतर को ध्यान में रखते हैं, तो महामारी के पहले साल में, इंग्लैंड के सबसे अधिक वंचित क्षेत्रों में कोविड से दर्ज मृत्यु दर सबसे कम वंचित क्षेत्रों की तुलना में ढाई गुना अधिक थी।

इस असमानता के कुछ कारणों का पता लगाने के लिए आपको ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है। अधिक वंचित समूहों के लोगों के घर से काम करने में सक्षम होने की संभावना कम होती है,उनके कम जगह और खराब वेंटिलेशन वाले बड़े, कई सदियों से चले आ रहे घरों में रहने की संभावना अधिक होती है, अच्छी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की संभावना कम होती है और मोजूदा स्वास्थ्य स्थितियां उनमें अधिक हो सकती है जो कोरोना वायरस के संक्रमण से जुड़े जोखिमों को बढ़ाती हैं।

इन कारकों ने पहले ही ब्रिटेन में स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण असमानताओं को पैदा किया, लेकिन महामारी ने उनमें और इजाफा कर दिया।

हालांकि, हाल में कुछ ऐसा हुआ जिसका अनुमान नहीं था। सितंबर के अंत में, नए कोविड ​​मामलों की दर, जो पिछले 18 महीनों से सबसे अधिक वंचित क्षेत्रों में सबसे अधिक थी, कम वंचित क्षेत्रों में बढ़ने लगी। अचानक, बिना किसी चेतावनी के कोविड मामलों में असमानता की दिशा बदल गई।

इस परिवर्तन का एक बड़ा कारक सबसे कम वंचित क्षेत्रों में स्कूली बच्चों के मामलों में दिखी वृद्धि थी। लेकिन वही परिवर्तन वृद्धावस्था वाले समूहों में भी हुआ। तो असल में हो क्या रहा है?

कई संभावित स्पष्टीकरण हैं, लेकिन एक अहम कारक इस तथ्य की संभावना है कि इतने लंबे समय तक ज्यादा मामले सामने आने के कारण, अधिक वंचित क्षेत्रों में संक्रमण से मिली प्रतिरक्षा का स्तर भी ज्यादा रहा। अनिवार्य रूप से, इतने सारे लोगों को पहले से ही कोविड था कि वायरस संक्रमित करने के लिए अतिसंवेदनशील लोगों की तलाश में निकलने लगा।

बहरहाल, कई और समृद्ध क्षेत्रों में अपेक्षाकृत कम मामले देखे गए थे। इसलिए नए प्रकोपों ​​के लिए अधिक जोखिम था, खासकर स्कूली बच्चों में जिनके पास टीकों की अतिरिक्त सुरक्षा नहीं थी।

दुर्भाग्य से, तब से एक बड़ा नया विकास हुआ है: ओमीक्रोन आ गया है। नया स्वरूप चिंता के पिछले स्वरूपों की तुलना में और भी अधिक संक्रामक प्रतीत होता है, और इसमें कुछ हद तक प्रतिरक्षा से बच निकलने की क्षमता है। इसका मतलब है कि यह उन लोगों को पुन: संक्रमित करने में सक्षम है जिनके पास कुछ हद तक प्रतिरक्षा है, चाहे वह संक्रमित होकर मिली हो या टीकाकरण के माध्यम से मिली हो।

ऐसे लोगों को फिर से संक्रमित करने की क्षमता जिन्हें पहले से कोविड हुआ है, इसका मतलब है कि ओमीक्रोन अधिक वंचित क्षेत्रों के लिए एक बड़ा जोखिम लेकर आया है। कोविड के मामलों और मौतों में असमानता को जन्म देने वाले सभी कारक जो हमने महामारी के पहले 18 महीनों में देखे हैं, वे अब भी मौजूद हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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