भारत-चीन सीमा पर तनावः सीमा पर तैनात करेगा मानवरहित हेलीकॉप्टर, ड्रोन ने भरी पहली उड़ान, जानिए खासियत

By भाषा | Updated: May 26, 2020 14:32 IST2020-05-26T14:32:33+5:302020-05-26T14:32:33+5:30

भारत और चीन सीमा पर तनाव बढ़ गया है। इस बीच चीन ने मानवरहित हेलीकॉप्टर का परीक्षण किया। लद्दाख और सिक्किम में दोनों देश के सेना के बीच झड़प देखने को मिली थी। 

New chopper drone may be deployed along India border Chinese state media | भारत-चीन सीमा पर तनावः सीमा पर तैनात करेगा मानवरहित हेलीकॉप्टर, ड्रोन ने भरी पहली उड़ान, जानिए खासियत

तिब्बत में चीन की भारत से लगने वाली दक्षिण पश्चिमी सीमा पर चीन के हितों की रक्षा के लिए इसे तैनात किया जा सकता है। (file photo)

Highlightsहाल के सैन्य झड़पों के बाद से चीन ने लद्दाख से लगी सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की है। चीनी सेना ने सीमा से लगे क्षेत्रों में नए बंकर बनाने के लिए अर्थ मूवर्स मशीनों को भी तैनात किया है।

बीजिंगः चीन के प्रथम मानवरहित हेलीकॉप्टर ड्रोन ने पहली उड़ान भरी। देश की सरकारी मीडिया में प्रकाशित खबर में यह जानकारी दी गई। इसे पठारी क्षेत्रों में उड़ान भरने के लिए बनाया गया है और यह ऊंचाई से वार करने तथा निगरानी रखने में सक्षम है।

इसे चीन की भारत से लगने वाली सीमा पर तैनात किया जा सकता है। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स की खबर के अनुसार एआर 500 सी मानवरहित हेलीकाप्टर ऊंचाई से संपर्क साधने में सक्षम है और तिब्बत में चीन की भारत से लगने वाली दक्षिण पश्चिमी सीमा पर चीन के हितों की रक्षा के लिए इसे तैनात किया जा सकता है।

चीन के सरकारी उद्यम एविएशन इंडस्ट्री कॉरपोरेशन ऑफ चाइना (एवीआईसी) द्वारा विकसित ड्रोन ने बुधवार को पूर्वी चीन के जियांग्शी प्रांत के पोयांग में स्थित एवीआईसी बेस से सफलतापूर्वक पहली उड़ान भरी। ग्लोबल टाइम्स में रविवार को प्रकाशित खबर के अनुसार ए आर 500 सी चीन का पहला मानवरहित हेलीकॉप्टर है और इसे पठारी क्षेत्रों में उड़ने के लिए बनाया गया है।

यह पांच हजार मीटर की ऊंचाई से उड़ान भर सकता है और आकाश में 6700 मीटर ऊपर तक जा सकता है। एवीआईसी की ओर से जारी एक वक्तव्य के अनुसार हेलीकॉप्टर का मुख्य कार्य निगरानी करना और संचार स्थापित करना है लेकिन आवश्यकता पड़ने पर इसकी सहायता से हमला किया जा सकता है, सामान पहुंचाया जा सकता है और नाभिकीय एवं रासायनिक संक्रमण का भी पता लगाया जा सकता है। 

डोकलाम के बाद भारत और चीन की सेनाओं के बीच हो सकती है सबसे बड़ी सैन्य तनातनी

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास कई क्षेत्रों में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनाव की स्थिति बरकरार है और 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद यह सबसे बड़ी सैन्य तनातनी का रूप ले सकती है। उच्च पदस्थ सैन्य सूत्रों का कहना है कि भारत ने पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में अपनी स्थिति मजबूत की है। इन दोनों विवादित क्षेत्रों में चीनी सेना ने अपने दो से ढाई हजार सैनिकों की तैनाती की है और वह धीरे-धीरे अस्थायी निर्माण को मजबूत कर रही है।

नाम उजागर न करने की शर्त पर एक उच्च सैन्य अधिकारी ने कहा, “क्षेत्र में भारतीय सेना चीन से कहीं ज्यादा बेहतर स्थिति में है।” गलवान घाटी में दरबुक शयोक दौलत बेग ओल्डी सड़क के पास भारतीय चौकी केएम-120 के अलावा कई महत्वपूर्ण ठिकानों के आसपास चीनी सैनिकों की उपस्थिति भारतीय सेना के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है। सेना की उत्तरी कमान के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डी एस हुड्डा (अवकाशप्राप्त) ने पीटीआई-भाषा से कहा, “यह गंभीर मामला है। यह सामान्य तौर पर किया गया अतिक्रमण नहीं है।”

लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा ने विशेष रूप से इस बात पर बल दिया कि गलवान क्षेत्र पर दोनों पक्षों में कोई विवाद नहीं है, इसलिए चीन द्वारा यहां अतिक्रमण किया जाना चिंता की बात है। रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ एवं चीन में भारत के राजदूत रह चुके अशोक कांत ने भी लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा से सहमति जताई।

उन्होंने कहा, “चीनी सैनिकों द्वारा कई बार घुसपैठ की गई है। यह चिंता की बात है। यह सामान्य गतिरोध नहीं है। यह परेशान करने वाला मामला है।” सूत्रों ने कहा कि पैंगोंग त्सो, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र में दोनों देश की सेनाओं के बीच बढ़ते तनाव को कम करने के लिए राजनयिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। भाषा यश माधव नेत्रपाल नेत्रपाल

तमिलनाडु के सुलुर बेस पर शुरू होगी तेजस लड़ाकू विमानों की दूसरी स्क्वाड्रन

कोयंबटूर के पास स्थित सुलुर एयरबेस पर भारतीय वायु सेना स्वदेश में निर्मित अपने हल्के लड़ाकू विमान तेजस की दूसरी स्क्वाड्रन के संचालन की शुरुआत बुधवार को करेगी। वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया 18वीं स्क्वाड्रन के संचालन की शुरुआत करेंगे। इस स्क्वाड्रन का कूट नाम ‘फ्लाइंग बुलेट्स’ रखा गया है।

वायुसेना के एक प्रवक्ता ने कहा, “स्क्वाड्रन में हल्के लड़ाकू विमान तेजस को शामिल किया जाएगा और तेजस विमानों वाली भारतीय वायु सेना की यह दूसरी स्क्वाड्रन होगी।” तेजस चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है जिसे एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा विकसित किया गया है।

भारतीय वायु सेना ने पहले ही 40 तेजस विमानों का आर्डर दिया है और जल्दी ही एचएएल को 83 और विमानों का आर्डर दिया जा सकता है जिसमें लगभग 38,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। वायु सेना की 18वीं स्क्वाड्रन की स्थापना 1965 में की गई थी और इसका आदर्श वाक्य है ‘तीव्र और निर्भय।’ पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में सक्रिय भूमिका निभाने वाली इस स्क्वाड्रन को 15 अप्रैल 2016 को सेवा मुक्त कर दिया गया था और इससे पहले इसमें मिग-27 विमान शामिल थे। स्क्वाड्रन को एक अप्रैल 2020 को पुनः शुरू किया गया था। इस स्क्वाड्रन को नवंबर 2015 में राष्ट्रपति द्वारा ध्वज प्रदान किया गया था।

 

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