नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी फूट की ओर, चीनी राजदूत की बढ़ी सक्रियता, पीएम केपी शर्मा ओली के राजनीतिक भविष्य का फैसला आज

By भाषा | Updated: July 10, 2020 05:36 IST2020-07-10T05:36:56+5:302020-07-10T05:36:56+5:30

माना जाता है कि केपी शर्मा ओली का झुकाव चीन की ओर है। बुधवार को एनसीपी की 45 सदस्यीय स्थायी समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक शुक्रवार तक के लिए टाल दी गयी। यह लगातार चौथा मौका है, जब पार्टी की बैठक टाल दी गई।

Nepal's Ruling Party Headed For a Split as Oli-Prachanda Talks Reach Deadlock | नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी फूट की ओर, चीनी राजदूत की बढ़ी सक्रियता, पीएम केपी शर्मा ओली के राजनीतिक भविष्य का फैसला आज

केपी ओली शर्मा के राजनीतिक भविष्य का आज फैसला हो सकता है। (फाइल फोटो)

Highlights 68 वर्षीय ओली के राजनीतिक भविष्य के बारे में शुक्रवार को पार्टी की स्थायी समिति की बैठक के दौरान फैसला किया जा सकता है।नेपाल में चीनी राजदूत होउ यान्की की सक्रियता बढ़ गयी है ताकि ओली की कुर्सी को बचाया जा सके। 

काठमांडोः नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) विभाजन की ओर बढ़ती प्रतीत हो रही है क्योंकि बृहस्पतिवार को आयी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के बीच आधा दर्जन से अधिक बैठकें होने के बाद भी उनके मतभेद नहीं दूर हो सके हैं। उम्मीद की जा रही है कि 68 वर्षीय ओली के राजनीतिक भविष्य के बारे में शुक्रवार को पार्टी की स्थायी समिति की बैठक के दौरान फैसला किया जा सकता है। इस बीच नेपाल में चीनी राजदूत होउ यान्की की सक्रियता बढ़ गयी है ताकि ओली की कुर्सी को बचाया जा सके। 

माना जाता है कि ओली का झुकाव चीन की ओर है। बुधवार को एनसीपी की 45 सदस्यीय स्थायी समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक शुक्रवार तक के लिए टाल दी गयी। यह लगातार चौथा मौका है, जब पार्टी की बैठक टाल दी गयी ताकि पार्टी के दोनों नेताओं को मतभेदों को दूर करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। 

काठमांडो पोस्ट की खबर के अनुसार होउ यान्की ने ओली और प्रचंड के बीच मध्यस्थता के लिए बृहस्पतिवार को पूर्व प्रधानमंत्री से उनके आवास पर मुलाकात की। प्रचंड के एक सहयोगी ने इस मुलाकात की पुष्टि की। सूत्रों के अनुसार यह मुलाकात करीब 50 मिनट चली। पिछले कुछ दिनों में चीनी राजदूत कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने चीनी राजदूत द्वारा की जा रही इन मुलाकातों की आलोचना की है और कहा कि यह नेपाल के आंतरिक राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप है। 

प्रचंड खेमे को वरिष्ठ नेताओं और पूर्व प्रधानमंत्रियों माधव कुमार नेपाल तथा झालानाथ खनल का समर्थन हासिल है। यह खेमा ओली के इस्तीफे की मांग कर रहा है और उसका कहना है कि ओली की हालिया भारत विरोधी टिप्पणी "न तो राजनीतिक रूप से सही थी और न ही राजनयिक रूप से उचित थी।" 

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के दो धड़ों के बीच मतभेद उस समय बढ़ गया जब प्रधानमंत्री ने एकतरफा फैसला करते हुए संसद के बजट सत्र का समय से पहले ही सत्रावसान करने का फैसला किया। काठमांडो पोस्ट की खबर के अनुसार ओली और प्रचंड के बीच कई दौर की बातचीत होने के बाद भी कोई सहमति नहीं बन सकी। इस बीच, विरोध प्रदर्शनों के लिए निर्देश नहीं देने के संबंध में प्रचंड के साथ समझौता होने के बावजूद बुधवार को देश भर में ओली के समर्थन में छिटपुट प्रदर्शन हुए। 

Web Title: Nepal's Ruling Party Headed For a Split as Oli-Prachanda Talks Reach Deadlock

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