नेपाल के PM केपी ओली ने किया बड़ा सियासी उलटफेर, जानें किस वजह से लिया संसद भंग करने का फैसला
By अनुराग आनंद | Published: December 20, 2020 01:56 PM2020-12-20T13:56:29+5:302020-12-20T14:57:50+5:30
पीएम केपी ओली ने सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं और मंत्रियों के साथ शनिवार को सिलसिलेवार मुलाकातों के बाद यह फैसला लिया।
नई दिल्ली:नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने उस समय सभी लोगों को चौका दिया जब रविवार को अचानक कैबिनेट मीटिंग बुलाया और इस बैठक में संसद भंग करने का बड़ा निर्णय ले लिया।
बता दें कि नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने रविवार को हुई मंत्रिमंडल की आपात बैठक में संसद भंग करने की सिफारिश की है। मीडिया में आई खबरों में यह जानकारी दी गई है। ओली ने सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं और मंत्रियों के साथ शनिवार को सिलसिलेवार मुलाकातों के बाद मंत्रिमंडल की आपात बैठक बुलाई थी।
मिल रही जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रपति ने पीएम ओली के संसद भंग करने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। अब 30 अप्रैल से 10 मई के बीच नेपाल में चुनाव होने की बात कही जा रही है।
ऊर्जा मंत्री वर्षमान पून ने इस संबंध में ये जानकारी दी है-
यह खबर हिमालयन टाइम्स अखबार ने प्रकाशित की। 'काठमांडू पोस्ट' ने ऊर्जा मंत्री वर्षमान पून के हवाले से कहा, ''आज मंत्रिमंडल ने राष्ट्रपति से संसद भंग करने की सिफारिश करने का फैसला किया है।'' खबरों में कहा गया है कि इस अनुशंसा को मंजूरी के लिये राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के पास भेजा जाएगा। ओली ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दल प्रचंड के साथ सत्ता संघर्ष के बीच यह कदम उठाया है।
सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने केपी ओली से नाराज होकर ये कहा-
पीएम केपी ओली के इस फैसले से नाराज होकर सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने केपी शर्मा ओली के फैसले का विरोध किया है। पार्टी ने साफ शब्दों में स्पष्ट किया है कि किसी भी परिस्थिति में पार्टी से सलाह लिए बिना सरकार को यह फैसला नहीं लेना चाहिए।
क्या है इस फैसले की मूल वजह-
इससे पहले, पीएम ओली पर संवैधानिक परिषद अधिनियम से संबंधित एक अध्यादेश को वापस लेने का दबाव था, जिसे उन्होंने मंगलवार को जारी किया था और राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने एक घंटे के भीतर मंजूरी दे दी थी। अधिनियम उन्हें पूर्ण कोरम के बिना केवल तीन सदस्यों की उपस्थिति में बैठक बुलाने और निर्णय लेने का अधिकार देता है।