खतरे में केपी ओली की कुर्सीः मंत्रियों से पूछा- साफ बताओ किसकी तरफ हो? जानें सरकार का गणित

By आदित्य द्विवेदी | Updated: July 5, 2020 12:12 IST2020-07-05T12:12:46+5:302020-07-05T12:12:46+5:30

पीएम केपी ओली ने कहा कि सिर्फ मेरे खिलाफ ही नहीं राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के खिलाफ भी महाभियोग चलाने की साजिश रच रहे हैं।

Nepal Political Crisis Updates: KP Oli asked ministers- tell clearly, whose side are you on? | खतरे में केपी ओली की कुर्सीः मंत्रियों से पूछा- साफ बताओ किसकी तरफ हो? जानें सरकार का गणित

खतरे में है नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी (फाइल फोटो)

Highlightsबैठक के दौरान यह संभावना थी कि पार्टी के अधिकतर नेता ओली से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग करेंगे।ओली (68) ने रविवार को दावा किया था कि उन्हें सत्ता से हटाने के लिये ''दूतावासों और होटलों'' में कई तरह की गतिविधियां चल रही हैं।

नेपाल राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी खतरे में है। सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) टूट की कगार पर पहुंच गई है। इस बीच पीएम ओली ने शनिवार को कैबिनेट की बैठक बुलाई। इस बैठक में उन्होंने अपने मंत्रियों से कहा कि देश और पार्टी मुश्किल में हैं। वो साथ बताएं कि किसकी तरफ हैं। हालांकि बैठक में क्या बातें हुई इस बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।

पीएम केपी ओली ने कहा कि सिर्फ मेरे खिलाफ ही नहीं राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के खिलाफ भी महाभियोग चलाने की साजिश रच रहे हैं। गौरतलब है कि केपी ओली और बिद्या देवी भंडारी के राजनीतिक रिश्ते काफी अच्छे हैं। ओली के समर्थन से ही वो दो बार राष्ट्रपति बन चुकी हैं। फिलहाल केपी ओली के सामने इस्तीफा देने का दबाव बनाया जा रहा है।

ओली का राजनीतिक भविष्य तय करने वाली बैठक टली

नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के राजनीतिक भविष्य पर निर्णय करने के लिये देश की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी समिति की अहम बैठक सोमवार तक टल गई है। अब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को ओली की निरंकुश कार्यशैली तथा उनके भारत-विरोधी बयानों को लेकर आपसी मतभेद दूर करने के लिये और समय मिल गया है। पार्टी की 45 सदस्यीय स्थायी समिति की अहम बैठक शनिवार को स्थानीय समयानुसार सुबह 11 बजे होने वाली थी, लेकिन अंतिम समय में यह स्थगित कर दी गई। 

बैठक के दौरान यह संभावना थी कि पार्टी के अधिकतर नेता ओली से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग करेंगे। इन नेताओं का आरोप है कि ओली सरकार कोविड-19 महामारी से प्रभावी ढंग से निपटने में लोगों की उम्मीदों पर खरी उतरने में नाकाम रही है। पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड समेत कई शीर्ष नेताओं ने भी ओली की उनके भारत विरोधी बयानों के लिये आचोलना की थी। प्रचंड ने कहा कि भारत विरोधी टिप्पणियां ‘‘न तो राजनीतिक रूप से सही हैं और न ही कूटनीतिक रूप से उपयुक्त हैं।’’ 

ओली ने कहा- सरकार गिराने की साजिश

ओली (68) ने रविवार को दावा किया था कि उन्हें सत्ता से हटाने के लिये ''दूतावासों और होटलों'' में कई तरह की गतिविधियां चल रही हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार द्वारा लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल में दर्शाता नया मानचित्र जारी करने बाद उनके खिलाफ रची जा रही साजिश में नेपाली नेता भी शामिल हैं। माधव नेपाल और झालानाथ खनाल सहित वरिष्ठ नेताओं के समर्थन वाले प्रचंड के गुट की मांग है कि ओली पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री दोनों पदों से इस्तीफा दें। 

नेपाल के राजनीतिक हालात

काठमांडू पोस्ट की खबर के अनुसार शुक्रवार की बैठक में प्रचंड ने अपना यह रुख दोहराया कि ओली को पद छोड़ देना चाहिए, लेकिन प्रधानमंत्री ने इससे इनकार करते हुए कहा कि वह अपने इस्तीफे को छोड़कर अन्य किसी भी मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक शनिवार सुबह ओली और प्रचंड ने मतभेद दूर करने के लिए मुलाकात की। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक अगर ओली असंतुष्ट खेमे के साथ समझौता नहीं करेंगे तो सत्तारूढ़ दल में दो फाड़ हो जाएगा। पार्टी में ओली अलग-थलग पड़ गए हैं क्योंकि अधिकतर वरिष्ठ नेता प्रचंड के साथ हैं। 45 सदस्यीय स्थायी समिति के भी केवल 15 सदस्य ओली के साथ हैं। एनसीपी के शीर्ष नेताओं ने ओली के भारत विरोधी बयान के चलते उनका इस्तीफा मांगा है।

समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से इनपुट्स लेकर

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