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म्यांमार: अपदस्थ नेता आंग सान सू की को भ्रष्टाचार के मामले में पांच साल जेल की सजा सुनाई गई, भ्रष्टाचार के 10 और मामले लंबित

By भाषा | Updated: April 27, 2022 12:20 IST

सेना द्वारा पिछले साल फरवरी में तख्तापलट के बाद सत्ता से बाहर कर दी गयीं सू की ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था कि उनके एक शीर्ष राजनीतिक सहकर्मी ने घूस के तौर पर सोना और हजारों डॉलर लिए थे।

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ठळक मुद्देउनके एक शीर्ष राजनीतिक सहकर्मी पर घूस के तौर पर सोना और हजारों डॉलर लेने का आरोप लगाया गया था।सत्ता से बाहर कर दी गयीं सू की ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था।उन्हें अन्य मामलों में पहले ही छह साल की कैद की सजा सुनायी जा चुकी है।

यंगून: सैन्य शासित म्यांमार की एक अदालत ने देश की पूर्व नेता आंग सान सू की को भ्रष्टाचार के मामले में बुधवार को दोषी ठहराया और उन्हें पांच साल की जेल की सजा सुनायी।

सेना द्वारा पिछले साल फरवरी में तख्तापलट के बाद सत्ता से बाहर कर दी गयीं सू की ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था कि उनके एक शीर्ष राजनीतिक सहकर्मी ने घूस के तौर पर सोना और हजारों डॉलर लिए थे।

उनके समर्थकों और स्वतंत्र विधि विशेषज्ञों ने उनकी सजा की निंदा करते हुए इसे अनुचित और सू की (76) को राजनीति से पूरी तरह बाहर करने के मकसद से उठाया गया कदम बताया।

उन्हें अन्य मामलों में पहले ही छह साल की कैद की सजा सुनायी जा चुकी है और अभी उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के 10 और आरोप लगे हैं। इस अपराध के तहत अधिकतम 15 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

अन्य मामलों में भी दोषी ठहराए जाने पर उन्हें कुल 100 साल से अधिक समय की जेल की सजा हो सकती है। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता सू की सैन्य शासन की अवहेलना करने के लिए पहले ही कई वर्ष नजरबंदी में बिता चुकी हैं।

नाम उजागर ना करने की शर्त पर एक विधि अधिकारी ने सू की को दी गई सजा की जानकारी दी। म्यांमार की राजधानी ने पी ताव में सू की के मुकदमे की सुनवाई बंद कमरे में हुई और उनके वकीलों, राजनयिकों तथा वहां मौजदू लोगों के मीडिया से बात करने पर रोक लगा दी गई थी।

गौरतलब है कि एक फरवरी 2021 को म्यांमा की सेना ने देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी और सू की तथा म्यांमा के कई बड़े नेताओं को हिरासत में ले लिया था।

सू की की पार्टी ने पिछले आम चुनाव में भारी जीत हासिल की थी, लेकिन सेना का कहना है कि चुनाव में व्यापक पैमाने पर धांधली हुई। एक निगरानी समूह के अनुसार, सेना के देश की बागडोर अपने हाथ में लेने के बाद देशभर में हुए प्रदर्शनों को कुचलने के लिए सेना के भीषण बल प्रयोग से करीब 1800 लोगों की मौत हुई है।

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