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अधिक स्वच्छ ऊर्जा यानी अधिक खदानें, जलवायु पर कदम के नाम पर समुदायों का नुकसान नहीं करना चाहिए

By भाषा | Updated: November 4, 2021 13:27 IST

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(निक बैंटन, एसोसिएट प्रोफेसर, क्वींसलैंड विश्वविद्यालय और डिएना केम्प, प्रोफेसर एवं निदेशक, खनन में सामाजिक उत्तरदायित्व केंद्र)

ब्रिसबेन, चार नवंबर (द कन्वरसेशन) ऐसे में जब दुनिया अक्षय ऊर्जा की ओर बढ़ रही है और जीवाश्म ईंधन आधारित उद्योग बंद हो रहें हैं, स्थानीय कार्यबल, समुदायों और व्यवसायों का क्या होगा जो उन पर निर्भर हैं?

इस हफ्ते, ग्लासगो में वैश्विक जलवायु शिखर सम्मेलन में उद्योग, सरकार और नागरिक समाज के नेताओं ने इस पर चर्चा की कि ‘‘न्यायसंगत बदलाव’’ आगे कैसे सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने में मदद कर सकता है। ‘‘न्यायसंगत बदलाव’’ विस्थापित श्रमिकों के लिए उचित काम और गुणवत्ता वाली नौकरियों को प्राथमिकता देने के बारे में है, क्योंकि कोयला खदानें, तेल रिफाइनरी, बिजली संयंत्रों में नौकरियां चरणबद्ध तरीके से कम हो रही हैं।

बहरहाल, जैसा कि हमने अपने हाल के शोधपत्र में बताया है, एक न्यायसंगत बदलाव के विचार का विस्तार करने की आवश्यकता है। स्वच्छ ऊर्जा के बुनियादी ढांचे में उपयोग किए जाने वाले खनिजों की मांग को पूरा करने के लिए कई नई खानों की आवश्यकता होगी। इन खदानों का काफी प्रभाव पड़ सकता है, जिसमें असमानता के नए रूप, भूमि और प्राकृतिक संसाधनों पर प्रभाव शामिल है।

यदि हम जलवायु परिवर्तन के सामाजिक प्रभावों को जिम्मेदार जलवायु कार्रवाई के साथ संतुलित करने में विफल रह तो हम एक प्रकार के नुकसान को दूसरे से प्रतिस्थापित करने का जोखिम उठाएंगे- और यह दूसरी तरह की मुसीबत होगी।

ऊर्जा बदलाव में न्याय

विश्व को स्वच्छ प्रौद्योगिकी के लिए बड़ी मात्रा में खनिजों और धातुओं की आवश्यकता होगी, जिसमें पवन और सौर ऊर्जा बुनियादी ढांचे के लिए लौह अयस्क, विद्युतीकरण प्रणालियों के लिए तांबा और बैटरी भंडारण के लिए निकल शामिल हैं।

इन ऊर्जा बदलाव के लिए खनिजों के लिए खदानें अधिक गहरी, निम्न श्रेणी की, ऊर्जा और पानी के लिहाज से अधिक असंवेदनशील और मूल निवासियों की भूमि पर निर्मित होने की संभावना है। इनसे अधिक खदान अपशिष्ट और अधिक खतरनाक अवशेष (खनन अवशेष) का उत्पादन होगा।

नई अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं जैसे सौर और पवन फार्म स्थापित करने से सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव भी पड़ेगा। इन परियोजनाओं के लिए भूमि के बड़े क्षेत्रों की आवश्यकता होती है, जिससे मूल निवासियों के अधिकार सीमित हो सकते हैं।

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने पूर्वानुमान जताया है कि महत्वपूर्ण खनिजों से संयुक्त राजस्व 2040 से पहले जीवाश्म ईंधन से आगे निकल जाएगा। इस बढ़ती मांग को देखते हुए, सरकारों पर निवेश आकर्षित करने और नई खदानों को मंजूरी देने का दबाव होगा।

पर्यावरणीय सफाई और परित्यक्त खानों की ऐतिहासिक समस्या दुनिया भर में एक मुद्दा है, क्योंकि खनन की गई चट्टानों से दशकों तक एसिड और भारी धातुओं का रिसाव जलमार्गों में हो सकता है। अधिक खदानों के निर्माण से यह समस्या और बढ़ जाएगी।

कुछ देश अपनी ऊर्जा प्रणालियों को बदलने के लिए आवश्यक सामग्रियों को सुरक्षित करने के लिए प्रयास करते दिख रहे हैं। उदाहरण के लिए, नियोडिमियम जैसे दुर्लभ तत्व के उत्पादन पर चीन का एकाधिकार है। यह पवन टरबाइन और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसी नवीकरणीय प्रौद्योगिकियों के लिए आवश्यक होता है।

इन खनिजों की आपूर्ति में अनिश्चितता नए भू-राजनीतिक संघर्ष शुरू कर सकती है, जिससे वैश्विक कमोडिटी बाजारों पर खुली प्रतिस्पर्धा का युग दबाव में आ जाएगा। इससे पारदर्शिता कम हो सकती है और आपूर्ति श्रृंखलाओं में मानवाधिकारों का जोखिम और बढ़ सकता है।

जलवायु कार्रवाई के नाम पर दूरस्थ खनन समुदायों और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में इस तरह के नुकसान से बचने के लिए एक उचित बदलाव पर काम किया जाना चाहिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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