मोहम्मद अली जिन्ना की एक बीमारी जो भारत और पाकिस्तान के बंटवारे का कारण बनी
By विकास कुमार | Published: January 7, 2019 05:55 PM2019-01-07T17:55:15+5:302019-01-07T17:56:54+5:30
मोहम्मद अली जिन्ना की इस बीमारी का पता शायद लार्ड माउंटबेटेन को था इसी कारण से उन्होंने हिंदुस्तान की आजादी को 1948 से पहले 15 अगस्त 1947 का दिन निर्धारित किया क्योंकि उन्हें मालूम था कि जिन्ना की किसी भी वक़्त मौत हो सकती है।
ब्रिटिश शासन से आजादी मिलने के बाद मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र के रूप में पाकिस्तान की मांग रखी। महात्मा गांधी, पंडित नेहरू और सरदार पटेल के लाख समझाने के बावजूद मुस्लिम लीग और इसके सर्वमान्य नेता मोहम्मद अली जिन्ना ने अपने कदम पीछे नहीं खींचे। दरअसल मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग अपने स्थापना काल के बाद से ही करनी शुरू कर दी थी। या कह सकते हैं कि मुस्लिम लीग का जन्म ही पाकिस्तान के जन्म के लिए हुआ था।
जिन्ना को मनाने की अंतिम जिम्मेवारी भारत के अंतिम गवर्नर जनरल लार्ड माउंटबेटेन को दी गई लेकिन जिन्ना अपनी जिद पर अड़े रहे। मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान का निर्माण कर इतिहास के पन्नों में दर्ज होना चाहते थे और इसके अलावा उन्हें कुछ मंजूर नहीं था।
माउंटबेटेन ने उनके सामने भारत और पाकिस्तान के संयुक्त जनरल बनने का प्रस्ताव रखा लेकिन जिन्ना ने उसे भी ठुकरा दिया। माउंटबेटेन ने उन्हें समझाया कि अगर आप पाकिस्तान के जनरल बनेंगे तो आपके पास सीमित शक्तियां होंगी लेकिन मोहम्मद अली जिन्ना ने यह कहते हुए झिड़क दिया कि पाकिस्तान का प्रधानमंत्री वही करेगा जो वो चाहेंगे। भारत के विभाजन की लकीरें जिन्ना के इसी जिद के बाद खींच गई। कुछ लोग तो ऐसा भी कहते हैं कि अगर पंडित नेहरू ने जिन्ना को भारत का प्रधानमंत्री बनने दिया होता तो शायद भारत का बंटवारा नहीं होता। लेकिन ये बातें केवल के कोरी कल्पना है क्योंकि मोहम्मद अली जिन्ना के ऊपर पाकिस्तान का भूत सवार था।
जिन्ना नहीं थे धार्मिक नेता
जिन्ना अपने आप को मुसलमानों का राजनीतिक नेता मानते थे, न कि धार्मिक नेता। इसकी वजह से उन्हें कई बार धर्मसंकट से भी गुज़रना पड़ा था। मशहूर लेखक ख़ालिद लतीफ़ गौबा ने एक जगह लिखा है कि एक बार उन्होंने जिन्ना को एक मस्जिद में नमाज़ पढ़ने के लिए आमंत्रित किया। जिन्ना बोले, 'मुझे नहीं पता कि नमाज़ किस तरह पढ़ी जाती है।' यही नहीं जिन्ना पोर्क(सुअर का मांस) भी बड़े चाव से खाते थे।
कम लोगों को पता था कि दूसरा विश्व युद्ध समाप्त होने से पहले जिन्ना एक जानलेवा बीमारी की गिरफ़्त में आ चुके थे। उनके डॉक्टर जाल पटेल ने जब उनका एक्सरे लिया तो पाया कि उनके फेफड़ों पर चकत्ते पड़ गए हैं, लेकिन उन्होंने इस बात को गुप्त रखा। मोहम्मद अली जिन्ना की इस बीमारी का पता शायद लार्ड माउंटबेटेन को था इसी कारण से उन्होंने हिंदुस्तान की आजादी को 1948 से पहले 15 अगस्त 1947 का दिन निर्धारित किया क्योंकि उन्हें मालूम था कि जिन्ना की किसी भी वक़्त मौत हो सकती है।
अगर जिन्ना की बीमारी का अंदाजा अगर सरदार पटेल और पंडित नेहरू को होता तो शायद भारत का बंटवारा नहीं होता, क्योंकि सरदार पटेल जिन्ना के मांग को कुछ वक़्त तक लटका सकते थे। लेकिन ऐसे में देश की आजादी का मामला भी आगे बढ़ जाता। खैर हिन्दुस्तान का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान एक नया राष्ट्र बना। कैंसर की बीमारी के कारण मोहम्मद अली जिन्ना की बहुत ही दर्दनाक मौत हुई और जिस दिन उनका मौत हुआ उस वक़्त उनका वजन मात्र 40 किलो था।