महाराजा दलीप सिंह के बेटे का महल बिकने को तैयार, कीमत जानकर हो जाएंगे हैरान, जानिए खासियत

By भाषा | Updated: August 24, 2020 21:34 IST2020-08-24T21:34:33+5:302020-08-24T21:34:33+5:30

महाराजा रणजीत सिंह के छोटे बेटे दलीप सिंह इंग्लैंड निर्वासित किये जाने तक और अपना साम्राज्य ब्रिटिश राज के तहत आने तक सिख साम्राज्य के अंतिम महाराजा थे। उनके साम्राज्य में 19 वीं सदी में लाहौर (पाकिस्तान) भी शामिल था।

Maharaja Dalip Singh's son's palace ready sell, will be surprised to know the price | महाराजा दलीप सिंह के बेटे का महल बिकने को तैयार, कीमत जानकर हो जाएंगे हैरान, जानिए खासियत

दलीप सिंह को 1849 में द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध के बाद उनकी पदवी के साथ पंजाब से हटा दिया व निर्वासन में लंदन भेज दिया गया था। (file photo)

Highlightsदलीप सिंह के बेटे प्रिंस विक्टर का जन्म 1866 में लंदन में हुआ था और ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया उनकी गॉडमदर के समान थी।ब्रिटिश अधिकारियों ने नवविवाहित जोड़े को दक्षिण-पश्चिम केनसिंगटन के लिटिल बॉल्टन इलाके में उनके ससुराल के नये घर के रूप में एक आलीशान महल पट्टे पर दे दिया। इसे पट्टे पर देकर किराये से आय अर्जित करने के लिये एक निवेश संपत्ति के रूप में पंजीकृत कराया गया था।

लंदनः महाराजा दलीप सिंह के बेटे प्रिंस विक्टर अल्बर्ट जय दलीप सिंह का लंदन स्थित पूर्व पारिवारिक महल बिकने जा रहा है और इसकी कीमत 1.55 करोड़ ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग रखी गई है।

महाराजा रणजीत सिंह के छोटे बेटे दलीप सिंह इंग्लैंड निर्वासित किये जाने तक और अपना साम्राज्य ब्रिटिश राज के तहत आने तक सिख साम्राज्य के अंतिम महाराजा थे। उनके साम्राज्य में 19 वीं सदी में लाहौर (पाकिस्तान) भी शामिल था। दलीप सिंह के बेटे प्रिंस विक्टर का जन्म 1866 में लंदन में हुआ था और ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया उनकी गॉडमदर के समान थी।

कई साल बाद जब प्रिंस विक्टर ने नौवें अर्ल ऑफ कोवेंट्री की बेटी लेडी एनी कोवेंट्री के साथ अपने मिश्रित नस्ल की शादी से वहां के समाज में खलबली पैदा की, तब ब्रिटिश अधिकारियों ने नवविवाहित जोड़े को दक्षिण-पश्चिम केनसिंगटन के लिटिल बॉल्टन इलाके में उनके ससुराल के नये घर के रूप में एक आलीशान महल पट्टे पर दे दिया।

इस महल की बिक्री का आयोजन कर रहे बाउशैम्प एस्टेट के प्रबंध निदेशक जेरेमी गी ने कहा, ‘‘लाहौर के निर्वासित क्राउन प्रिंस के इस पूर्व आलीशान महल की छत ऊंची हैं, इसके अंदर रहने के लिये विशाल जगह है और पीछे 52 फुट का एक बगीचा भी है। ’’

यह महल 1868 में बन कर तैयार हुआ था और इसे अर्द्ध सरकारी ईस्ट इंडिया कंपनी ने खरीदा था और इसे पट्टे पर देकर किराये से आय अर्जित करने के लिये एक निवेश संपत्ति के रूप में पंजीकृत कराया गया था। उस समय भारत पर राज करने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी ने यह महल मामूली किराये पर निर्वासित दलीप सिंह के परिवार को दे दिया था। उल्लेखनीय है कि महाराजा दलीप सिंह को 1849 में द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध के बाद उनकी पदवी के साथ पंजाब से हटा दिया गया था तथ बाद में निर्वासन में लंदन भेज दिया गया था।

प्रिंस विक्टर अल्बर्ट जय दलीप सिंह, महारानी बंबा मूलर से उनके सबसे बड़े बेटे थे। बंबा से उन्हें एक बेटी -सोफिया दलीप सिंह- भी थी, जो ब्रिटिश इतिहास में एक प्रमुख महिला अधिकार कार्यकर्ता के रूप में प्रसिद्ध रही। प्रिंस विक्टर जुआ खेलना, घुड़सवारी और बड़े होटलों में जश्न मनाने जैसे आलीशान जीवन शैली को लेकर जाने जाते थे। वर्ष 1902 में कुल 117,900 ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग (जो उस वक्त एक बड़ी रकम थी) के कर्ज के साथ उन्हें दिवालिया घोषित कर दिया गया।

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान प्रिंस और उनकी पत्नी मोनाको में थे, जहां 51 वर्ष की आयु में प्रिंस की 1918 में मृत्यु हो गई। वर्ष 1871 की जनगणना के मुताबिक यह महला ईस्ट इंडिया कंपनी के मालिकाना हक में पंजीकृत था, जहां एक बटलर और दो नौकर, अंग्रेजी भाषा सिखाने के लिये एक गर्वनेस और एक माली नियुक्त थे।

एस्टेट के मुताबिक 2010 में इस महल का जीर्णोद्धार और आधुनिकीकरण कराया गया। 5,613 वर्ग फुट आकार के इतालवी शैली के विला में दो औपचारिक स्वागत कक्ष, एक अनौपचारिक परिवार कक्षा, एक पारिवारिक रसोई और एक नाश्ता कक्ष, पांच शयनकक्ष, एक जिम और दो कर्मचारी शयनकक्ष हैं। 

Web Title: Maharaja Dalip Singh's son's palace ready sell, will be surprised to know the price

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